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देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी बचावे के परी

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देवेन्द्र कुमार राय जी
देवेन्द्र कुमार राय जी

लंगटा ह लंगटे रही लंगटे ई गाई
माई बहिन के ई अपने गरिआई,
अपना के बुझेला बड़का गवईया
बेटी बहिन के ई मंच प लुटाई।

इजत के बेंच के बनता इजतदार
भोजपुरी के रोज करता दागदार,
कान में कनउंसी लगा के खुब झुमेला
अपना के माने भोजपुरी के पहरदार।

गीत आ संगीत के ककहरो ना जाने
भीमसेन जोशी ई अपना के माने,
चोली कमर छोडि़ दोसर ना आवे
कछी के भीतरा के शास्तर बखाने।

भोजपुरी के ई सभ इजत लुटवले
भोजपुरी गायन के कोठा बनवले,
तोपल ढांपल के झण्डा बना के
घर इजत के सड़क प नचवले।

नाथे के परी अईसन गवईया के
पांत निकाली अईसन लिखवईया के,
करेजा नोचा जाला अईसन जब सुनी
तुंही समझाव राय अईसन सुनवईया के

इहो पढ़ी: देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल कुछ भोजपुरी कविता

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