परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आई पढ़ल जाव निर्भय नीर जी के लिखल भोजपुरी कविता विरहिन , रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं आ रउवा निर्भय नीर जी के लिखल रचना अच्छा लागल त शेयर जरूर करी।
विरह के अगिया में,
विरहिन जिनिगिया के,
जीयते जीयरवा के,
भट्ठी सुनूँगावेली।।
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मँगिया निहारेली जे,
आँखि के पुतरिया में,
कोखिया के आगि-धार,
भीतरे बुतावेली।।
सेजिया बुझाला जइसे,
नागीन सवतिया से,
नयना से झर-झर,
लोर बरसावेली।।
विरह के अगिया में,
विरहिन जिनिगिया के,
जीयते जीयरवा के,
भट्ठी सुनूँगावेली।।
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डेहरी पर जरत दीया,
बुताऽ देली चिटुकी से,
अँजोरिया भगाई ऊ,
अँधारऽ के बोलावेली।।
धनके धरती छाती,
मिलन विरहवा के,
हंसतऽ रोअतऽ हिया,
गोदी दुलरावेली।।
विरह के अगिया में,
विरहिन जिनिगिया के,
जीयते जीयरवा के,
भट्ठी सुनूँगावेली।।
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विधवा बांझिनदार,
सोहागिन जिनिगिया में,
करम लिखंतवा से,
सबुरि धरावेली।।
रोटी लूगा खरची जे,
काल सेहू बनि गइलें,
पिया परदेस भेजी,
विरहिन कहावेली।।
विरह के अगिया में,
विरहिन जिनिगिया के,
जीयते जीयरवा के,
भट्ठी सुनूँगावेली।।
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बसंत नव गात लखि,
मदन रस धरती पर,
जिया से उचाट खाई,
पतझर बोलावेली।।
उमड़ि-घुमड़ि आवे,
करिया बदरवा से,
पिया के सनेस लागि,
बिनती सुनावेली।।
विरह के अगिया में,
विरहिन जिनिगिया के,
जीयते जीयरवा के,
भट्ठी सुनूँगावेली।।
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आँधी आ बेयार देखि,
धाई-धाई अंगना में,
पिया जी के पतिया के,
मिनती मनावेली।।
दुई जुग विरह के,
पिया-पिया रटना से,
सइयाँ के सुरतिया में,
हरि रूप पावेली।।
विरह के अगिया में,
विरहिन जिनिगिया के,
जीयते जीयरवा के,
भट्ठी सुनूँगावेली।।
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कृष्णा-कृष्णा राधे जी के,
माखनचोर गोपी लो के,
नागर घन मुरति में,
हियरा बसावेली।।
विरह के भूख लागी,
निर्भय जोग-जोगिनी के,
मेरो तों गोपाल गिरधर,
मीरा धुन गावेली।।
विरह के अगिया में,
विरहिन जिनिगिया के,
जीयते जीयरवा के,
भट्ठी सुनूँगावेली।।
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