परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आई पढ़ल जाव निर्भय नीर जी के लिखल भोजपुरी कविता महुआ के बेटी। रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं आ रउवा निर्भय नीर जी के लिखल रचना अच्छा लागल त शेयर जरूर करी।
महुआ के बेटी कमाल कऽ के छोड़ देलस।
सभका के बबुनी निहाल कऽ के छोड़ देलस।।
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एकरा सिंगार के समान का बतावल जाव।
ओतने ई चमके ले जेतना चमकावल जाव।।
माने ना घूँघट में केतनो लुकावल जाव।
चांद के ई टुकड़ा के केतनो छिपावल जाव।।
खिड़की से झाँकके बेहाल कऽ के छोड़देलस।
महुआ के बेटी कमाल कऽ के छोड़ देलस।।
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असली समाजवाद इहे मंगावेले।
सभका के थरीया में एकही खियावेले।।
बाबाजी बनिया आ राजपुत चमार के।
भट्ठी में ले जाले कनखी से मार के।।
बड़े बड़े सेठ के कंगाल कऽ के छोड़ देलस।
महुआ के बेटी कमाल कऽ के छोड़ देलस।।
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गुरूजी ,चेलाजी, हाकिम , चपरासी जी।
मथुरा जी, बृंन्दाबन, अयोध्या, काशी जी।।
बाबूजी ,बेटा जी ,भिस्ती आ पासी जी।
एकरा अगुआई में लगनी संन्यासी जी।।
सभ हिन्दुस्तान के कब्रिस्तान कऽ के छोड़ देलस ।
महुआ के बेटी कमाल कऽ के छोड़ देलस।।
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मखमल में लऊके कमरियो में इहे बा।
पर पंचायत कचहरियो में इहे बा।।
घरवो में इहे बा बहरियो में इहे बा।
टोला, टपरिया, शहरियो में इहे बा।।
सगरे खानदान के पामाल कके छोड़ देलस।
महुआ के बेटी कमाल कऽ के छोड़ देलस।।
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एकरा मोहब्बत में घर बार लुट गइल।
बड़े बड़े साधुन के कंठी भी टूट गइल।।
बोतल के पानी पर लोटा भी छूट गइल।
देखी धनवंतरी के कलसा भी फ़ुट गइल।
एके बिहार घर बंगाल कऽ के छोड़ देलस।
महुआ के बेटी कमाल कऽ के छोड़ देलस।।
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मिले के पहिले ई बती बुता देले।
तनिको ना बईठे दे ऐतना अगुता देले।।
सगरे बरोबर बा कतहीं सुता देले।
आपन बना मुँह में कुत्ता मुता देले।।
धोती के सोझे रुमाल कऽ के छोड़ देलस।
महुआ के बेटी कमाल कऽ के छोड़ देलस।।
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