छ समय पहिले एगो रिपोर्ट आइल रहे कि भोजपुरी भारत के अइसन भाषा बा जवन सबसे तेजी से आगे बढ़ रहल बा। भोजपुरी भाषी समाज में जागरूक लोग के संख्या में बढ़ोतरी भइल बा, भोजपुरी साहित्य रचे आ पढ़े में लोग के रुचि बढ़ रहल बा।
अइसन में जरूरी बा की भोजपुरी साहित्य के ज्यादा से ज्यादा मंच मिले ताकि नवका पौध के भी हौसला बढ़े आ भोजपुरी अपना यात्रा में बिना रुके आगे बढ़त रहो। भोजपुरी भाषा, साहित्य आ संस्कृति के प्रचार-प्रसार आ संरक्षण के उद्देश्य संगठित भइल रहे संस्था जय भोजपुरी जय भोजपुरिया। भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर जी के पुण्यतिथी के पावन स्मृति पर 15 जुलाई, 2018 के गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान के सभागार में राष्ट्रीय भोजपुरी कवि सम्मेलन के आयोजन भईल ।
कार्यक्रम के सबसे जरूरी कड़ी यानी कि मंच संचालन के दायित्व सुप्रसिद्ध रंगकर्मी लव कांत सिंह बहुत बढिया से निभवले। दिप प्रज्वलन से कार्यक्रम के समहुत भईल आ सन्स्था के अध्यक्ष श्री सतीश कुमार त्रिपाठी जी जय भोजपुरी जय भोजपुरिया के अब तक के सफर के कहानी कइसे एगो मादरी जुबान के प्रेमी नवजवान गणेश नाथ तिवारी “श्रीकरपुरी” के द्वारा गठित वाट्सएप समुह कम समय मे ही सन्स्था के रूप में बदल गईल, श्रोता लोग के सामने रखले ।
केशव मोहन पाण्डेय के कविता “आजुवो भरमावे वाला, भरमावता गौरैया के” से कवि सम्मेलन के आगाज़ भईल, जे पी द्विवेदी के गीत “पियउ कवने अफतीया अझुराइल बाड़” दर्शक लोग के थपरी पिटे के मजबुर कईलस ।
डॉ पुष्पा सिंह बिसेन जी के कविता ” मुठी भर आतंकी के बल पर, उत्पाती मचवले बाड़” श्रोता लोग में जोश भरे में कामयाब भईल । नवका पौध विबेक पाण्डेय के कविता “लागल प्रेम के बेमारी, मिलल आधुनिक नारी” श्रोता लोग के चेहरा प हंसी बिखेरे में कामयाब भईल । जलज कुमार अनुपम के कविता “हउवे पहचान हमनीके जान” सुन के गर्व से सीना चौड़ा भ गईल ।
पँडित राजीव के कविता “हम हई भोजपुरी पाठा” डॉ प्रमोद पूरी के “हम गरीब हमार चिन्ता, दु जून जे निवाला बा”, दिलीप पैनाली जी के कविता” काहें केहू के केहु बढ़ाई” श्रोता लोग के मंत्रमुग्ध करे में कामयाब भईल । तारकेश्वर राय जी के कविता “बड़ी याद आवेले मोरे गउवां के गलियां” श्रोता के मानस में गांव क याद ताजा क देहलस । लव कान्त सिंह के कविता “पहिले जइसन अब आपन गावँ ना रहल” श्रोता के थपरी बटोरलस ।
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गणेश नाथ तिवारी श्रीकरपुरी के “बेटी बचाई, बेटी पढ़ाई” आधी आबादी के बचावे के समय सामयिक कविता सभकर मन मोह लिहलस । सजंय कुमार ओझा जी के हास्य कविता सभागार में उपस्थित लोग के ठेठा के हंसे प मजबुर कइलस ।
रामप्रकाश तिवारी के कविता “एगो हँसी ख़ातिर वक़्त नइखे” बर्तमान समाज प कटाक्ष भी श्रोता के निमन लागल । बिनोद गिरी के सावन गीत श्रोता के लोकगीत के प्रति लगाव के बढ़वलस आ खूब थपरी बटोरलस । एकरा अलावा येह भोजपुरी कवि सम्मेलन में नवजागरण प्रकाशन के राज कुमार अनुरागी, बिख्यात रंगकर्मी महेन्द्र प्रसाद सिंह, डॉ मुन्ना पाण्डेय, पत्रकार, साहीतयकार, लाल बिहारी लाल, गाजियाबाद से सुनील सिन्हा, सन्तोष कुमार “सरस”, अनूप श्रीवास्तव, बी एम उपाध्याय आदि महानुभाव लोग अपना कविता से माईभाषा के सम्मान में चार चाँद लगवलन ।
बड़ा ख़ुशी आ गौरव के बात बा की खाली सोसल मीडिया के जोर प सुदूर गाँव, महानगर, विदेश से भी श्रोता लोग कार्यक्रम में उपस्थित भईले । गांधी प्रतिष्ठान के सभागार दर्शक से भरल रहे, भीषण उमस आ गरमी के बावजूद भोजपुरी के प्रति नेह क्षोह देखके लागता की भोजपुरी के प्रति जनमानस के मन मे पियार त बड़ले बा जरूरत बा येके सही दिशा देवे के । येह कवि सम्मेलन में हर उमिर के लोग के साथ आधी आबादी क उपस्थिति उत्साहजनक रहे । कार्यक्रम के सफलता एहि बात से तय हो जाता कि पूरा कार्यक्रम के दौरान नवका पीढ़ी भी उपस्थिति आ जमल रहे।
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