ग़रीबी कवनो पय ना होला | अमित सिंह लोहतम | भोजपुरी कहानी

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दुनिया में के बा जे धनिक बनल नइखे चाहत सब लोग पइसा के पीछे भागत बा जइसे बिलाई के पीछे कुकुर लेकिन ढेर लोग कहत सुनल जाला की गरीबी कौनों पय ना होला । लेकिन सांच ई बा की आज आपन हितई नतई भी गरीब से ना रखल चाहता अगर आपन लईका आ लईकी के बियाहो शादी करत बा लोग त पहिले उ परिवार के तरी (आर्थिक स्थिति) देखत बा। गरीब से केहू संघतियाओ नईखे करत कहे की सभे के मानसिकता बा की संघतीया भी ओकरा के बनावल जाए जे घारा- सकेता काम आ सके आज के समय में काम आवे के मतलब बा पईसा जेकरा लगे पइसा नैखे वो कऊनो मदद सहतया ना कर सकेला एईसन त बा सोच लोग के आ समाज के समाज भी त हमनी से बनल बा साच बात इ बा की इ हमनी सब आदमी के सोच बा।

दुनिया के सबसे धनिक आदमी बिल गेट्स कहले बाटे गरीब पैदा होना हमारे हाथ में नहीं लेकिन गरीब रहकर ही मर जाना यह हमारे हाथ में है  मतलब कि हमनी के सोचत ही बनी जा गरीब मरे के तनी मनी केहू सोचल त ओकरा के तुरंत कहाए लगी बाप के नाम साग पात बेटा के नाम परोरा ।

अमित सिंह लोहतम
अमित सिंह लोहतम

पईसा के कवनो परिभाषा ना होला केतना कमाये के बा केतना ना केहू नईखे जानत। पइसा कमाये के भूख के कवनो सीमा नईखे जेकरा भीरी जतने बा ओ ओताने हहुआइल बा। हमनी में से ढेर लोग आपन माई बाप दोस्त संघतिया नाता हित सभेे के अनहरचटकी दे देता पैसवा खातिर खैर सवाल बा गरीबी कवनो पय ना होला अगर ना होला त काहे केहू गरीब के आपन नाता हित नईखॆ बनावत आ संघतीया नईखन बानावत। भोजपुरी में एगो कहाउत बा कि  हाथी वाला के ही हाथी मिलेला मतलब साफ बा अगर गरीब के केहू संघतीया भी बनवत बा त उ ओकरा साथ उ वैवहार ना करेला जैसन की आपना बराबर के संघतीया के साथ करेला।

ग़रीबी कवनो पय ना होला हमरा समझ से ई बात धनिक आ सफल लोग गरीब के फुसलावेे के खातिर कहले होई औरू गरीब एकरे के ब्रह्मा जी के लेख मान के धनिक बने के प्रयास करल बंद कर दे ले। हमरा त बुझाला की आज के समय में ग़रीबी से बड़हन कवनो पय बडले ना बा।

ना त केहू गरीब के आपन नाता हित बनावेे, संघतीया बानावे तब बुझाई की बात सही बा ओकरा बाद एगो औरु कहाउत भोजपुरी में हरमेश बोलल जाला की पइसा हाथ के मइल हऽ एकर सोझ मतलब बा कि पईसा बेकार बा काहे की पईसा के तुलना मईल से करल बा बाकी ई बात आज ले कवनो धनिक के मुंह से ई कहाउत केहू नईखॆ सुनले ई कहाउत उहे कहेला जेकरा भीरी उ मईल मतलब पैसा नईखॆ अगर पईसा मईल बा त काहे ना केहू उ मईल गरीब के दे देता सब लोग कहेला पईसा सबकुछ ना होला कुछ त होला ही।

भोजपुरी कहानी ग़रीबी कवनो पय ना होला
भोजपुरी कहानी ग़रीबी कवनो पय ना होला

आज के समय में बिना पईसा के गरीब आदमी बढ़िया से मर भी नईखॆ सकत काहे की मरला के बाद भी आदमी के जरावे खातिर लकड़ी गोईढा आ कफ़न के दरकार पड़ेला आउरू ई सब सामान झिटिका से ना मिली जरूरत बा ई समय मे पईसा कमाए के ना की ई गरीब बन के मोटरी घेठरी उठा के भागे के।

खैर आपन आपन सोचे के तरीका बा आपन जिनगी बा जे जैसे गुजारे रउआ लोग आपन राय दिही।

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