परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आयीं पढ़ल जाव सुशान्त कुमार शर्मा जी के लिखल भोजपुरी गीत प्रेम से केहू केतना निहारल, रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा सुशान्त कुमार शर्मा जी के लिखल रचना अच्छा लागल त शेयर आ लाइक जरूर करी।
प्रेम से केहू केतना निहारल
सँवरि केहू फूल हो गइल
डाह केहू हिया में बसावल
त देहिया बबूल हो गइल ।।
नेह केतना रहे कि लुटावे बदे
दोसरा के जिनिगिया सजावे बदे
केहू केतना हुलसि के फुलाइल
कि बगिया में फूल हो गइल।
नाजुकी जाने कवना सखी के छुअन
रंग दिहले बा निरखत में कौनों नयन
के दरद में सदा मुस्कुराइल
गुलबवा के फूल हो गइल ।
कवना भुखिया के तिरपित जिया फल भइल
तृप्ति कवना पियासा के हो जल भइल
मीठ अभिसार कौनो लली के
कोइलिया के तूल हो गइल ।
कौनों निर्बल के आसा लतरिया भइल
पाके धरमी सबल गाछ पसरत गइल
सब लुटा के जे कुछहूँ ना चाहल
उ बगिया के धूल हो गइल ।।
भोजपुरी के कुछ उपयोगी वीडियो जरूर देखीं
जोगीरा डॉट कॉम पऽ भोजपुरी पाठक सब खातिर उपलब्ध सामग्री
ध्यान दीं: भोजपुरी न्यूज़ ( Bhojpuri news ), भोजपुरी कथा कहानी, कविता आ साहित्य पढ़े जोगीरा के फेसबुक पेज के लाइक करीं।