नाहीं उठेला जिनिगिया के भार देवता ।
जोरिहा हमसे पिरितिया के तार देवता ॥
नइहर छूटल, छूटल सासु के दुवारिया
कतहूँ न इंजोर लउके सगरों अन्हरिया
बाझल जिनगी जगतिया मझार देवता ॥
बोझिल रिसता आ बोझिल परिवार हो
देखि देखि पिराला ई हियरा हमार हो
ना जाने कहवाँ बिलाइल बहार देवता ॥
मनई न देखे मनई, मनई ना सुनेला
आपन आपन करे, बस आपन गुनेला
तोहीं भरि आँखि लीहा निहार देवता ॥
बाचल न गाँव आपन नाही बचल देशवा
अझुराइल हित मीत मिलल ना सनेसवा
सझुरहिया सभके आ लीहा सँभार देवता ॥
-जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
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