किस्मत से निकल के का आईल
ई बात समझ ना पाईले,
जहवां जहवां कुछ आस दिखे
ओह ओर खीचल चलि जाईले।
सभ अन्जान भईल एहीजा
केहु ना आपन लागेला,
जेकरा खातीर सुख तेजले रहीं
उ देखते हमरा के भागेला,
कईसन ई समय के आईल फेरा
काहे ओकरे पीछे धाईले
किस्मत से——–समझ ना पाईले।
कवन हमसे उ भूल भईल
जवना के सजा हम भोगिला,
कईसे बिछुड़ल उ प्यार मिली
दिन रात ईहे हम सोचिला,
कवना ई जनम के चूक रहे
काहे ई जहर हम खाईले
किस्मत से——–समझ ना पाईले।
जइसन ई दरद मिलल हमरा
दुश्मन के दरद ई मिले ना,
बरबाद न हो केहु ईहवां
अईस हम बात बताईले
किस्मत से——–समझ ना पाईले।
देवेन्द्र कुमार राय
(ग्राम+पो०-जमुआँव, पीरो, भोजपुर, बिहार )