परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आईं पढ़ल जाव आकाश पांडेय जी के लिखल भोजपुरी भाषा प कविता। आपन राय जरूर दीं कि रउवा आकाश पांडेय जी लिखल रचना कइसन लागल आ रउवा सब से निहोरा बा कि अगर रउवा सब के रचना अच्छा लागल त शेयर क के आगे बढ़ाईं।
ऐ भोजपुरी, देख तू काहाँ आगैलु,
सब बदल गइल, लेकिन ताहर मिठास ना बदलल,
आधा से बेसी गावँ सहर हो गइल,
इनार सुख गइल,
लोग के भेष भूसा तक बदल गइल,
लेकिन भोजपुरी, ताहार मिठास ना बदलल।
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नाया जमाना आगैल, लेकिन गावँ के चबूतरा पर आजले ताहार चर्चा होला,
कहल जाला की ताहरा में जौन मिठास आ मधुरता बा,
उ कहिं नइखे।
ऐ भोजपुरी, सब बदल गइल लेकिन ताहार मिठास ना बदलल।
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गाँव के काकी के बीड़ी छूट गइल, धुर के जगे अब गैस के चूल्हा आगैल,
लेकिन काका- काकी के भोजपुरीया अंदाज़ न बदलल,
ऐ भोजपुरी, सब बदल गइल लेकिन ताहार मिठास न बदलल।
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होली के पुआ आ छठ के ठेकुआ ना बदलल,
गमछा उहे बा, सतुआ ना बदलल,
सब बदल गइल भोजपुरी, लेकिन ताहार मिठास ना बदलल।
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होली के जोगीरा आ दीवाली के झूरी,
ना बदलल ईद के सेवई आ दशहरा के पूरी।
भेस-भूसा आ दुनिया के दासा बदल गइल,
लेकिन हमार भोजपुरी भासा ना बदलल।
सब बदल गइल ऐ भोजपुरी, लेकिन ताहार मिठास ना बदलल।
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