माई भाँसा के कदर करीं ए भइया आ जहाँ कहीं रही लेकिन भाँसा बोलीं भोजपुरिये एहि प लिखल कवि ह्रदयानन्द विशाल जी के कविता पढ़ल जाव
बानी कुजागहा त दोसर भाँसा
बोलल बा मजबुरिये
घर के सवांग से बात होखे त
भाँसा बोलीं भोजपुरिये
पाँप बटोरे आपना कापारे
जे दुर भोजपुरी से भागेला
भाव से भाँसा बोल के देखीं
अमृत के जइसन लागेला
फुहर पातर लिखे गावे ओ से
भइया राखीं बना के दुरिये
घर के सवांग से बात होखे त
भाँसा बोलीं भोजपुरिये
नीमन त नीमने ह भइया
नीमन केकरा ना भावेला
नीमन कवि लो नीमने लिखेला
नीमन गायक ले नीमने गावेला
बाउर देखीं त बिरोध करीं सभे
नीमनका लो मिल के एकशुरिये
घर के सवांग से बात होखे त
भाँसा बोलीं भोजपुरिये
घनश्यामानन्द ओझा जी कहनी
धरमराज यादव अनील शाह से
शास्त्री प्रसाद मदन राय जी
कोशो दुर रहीं रउवा डाह से
ह्रदयाविशाल जी अपनो मे झाँकीं
इहो बाटे खास जरुरिये
घर के सवांग से बात होखे त
भाँसा बोलीं भोजपुरिये
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