बाड़ी मोरी अबही उमरिया
आ विधाता दिनवा धई दिहलें ऐ राम…
सजना सेयान हम नदान,
त कइसे के गवनमां जाइब ऐ राम
बाबा मोरा अइसन निरमोहिया
न मन में विचरवा कइले ऐ राम
माई मोरा हिया के कठोर
त घरवा से निकाली दिहली ऐ राम
नइहर में कुछउ न सिखलीं
पिया के घर का करब ऐ राम
कुसुम रंग पेन्हली चुनरिया
त लाल रंग चादर मिलल ऐ राम…
डोलिया में हमके बिठाई के
कहार चार लागी गइले ऐ राम
सुसुकि-सुसुकि माई रोवेली
त सखी फुका फारी रोवे ऐ राम
धनी अब भइली ससुरइतीन
लउटी फिर न आइब ऐ राम
दास ऐ कबीर, निर्गुण गावेलन
गाके समझावेले ऐ राम…