भोजपुरी कविता संग्रह बाकिर के लेखक की ओर से
हमार पहिलका कविता संग्रह “पुरइन” के कुल कविता छन्द बन्हाइल गीत शैली के रचना रहे, जवना में भावना के जोर रहे। एह संग्रह के कविता ओह से हट के बा। एह बदलाव का पाछे परम्परा तुरे के भा कवनो अपरम्परा करें के प्रयास नइखे। चिन्तन के छन में जनमल एह संग्रह के कवितन में युग बोध के बानी आधुनिक शिल्प शैली में उजागर भइल बा, जवना से कम से कम शब्दन में आज के आदमी के हरख बिसमाध आ दरद पीरा अनयासे उरेहा गइल बा।
आज के जिन्दगी के चाल बड़ा तेज हो गइल बा। एह तेज चाल में झटकत आ हाँफत आदमी आडंबर आ ढोंग के जवना जमाना में चल रहल बा, ऊ जिन्दगी के मूल्य बदल देले बा। ई बदलाव जिन्दगी के पुरनका ढ़ंग-ढर्रा में हर जगह प्रश्न चिन्ह बन के खड़ा हो जात बा, आ सोचावट के धागा में जगह जगह “बाकिर” के गाँठ अपने आप पड़ जाता। उहे “बाकिर” एह संग्रह के कविता में उतरले बा। आउर कुछ बिसेस कहे के साइत जरुरत नइखे।
लेखक: शारदानन्द प्रसाद
जनम: २ जनवरी १९२६
घर: गौरी, जिला सीवान
पेशा: उप प्रधानाध्यापक, गाँधी स्मारक विद्या मंदिर, पचरुखी, सीवान
“बाकिर: भोजपुरी कविता संग्रह” डाउनलोड करे के खातिर क्लिक करी
रउवा खातिर
भोजपुरी मुहावरा आउर कहाउत
देहाती गारी आ ओरहन
भोजपुरी शब्द के उल्टा अर्थ वाला शब्द
जानवर के नाम भोजपुरी में
भोजपुरी में चिरई चुरुंग के नाम
इहो पढ़ीं
भोजपुरी गीतों के प्रकार
भोजपुरी पर्यायवाची शब्द – भाग १
भोजपुरी पहेली | बुझउवल
भोजपुरी मुहावरा और अर्थ
अनेक शब्द खातिर एक शब्द : भाग १
लइकाई के खेल ओका – बोका
भोजपुरी व्याकरण : भाग १
सोहर
ध्यान दीं: भोजपुरी फिल्म न्यूज़ ( Bhojpuri Film News ), भोजपुरी कथा कहानी, कविता आ साहित्य पढ़े जोगीरा के फेसबुक पेज के लाइक करीं।