जीविका उपारजन करे के समरथाय ना रहला पर जिंदगी जिये खातिर साधारन चीज़ो दुर्लभ हो जला।
सियार जदि अन्हर हो जाए त ओकरा पीपर-पकड़ी के गाछ के गोदो दुर्लभ हो जाला। भोजपुर मे बर पीपल आ पकड़ी के फर के कही-कही गोदा आ कही-कही पकूहा कहल जाला।
जब आदमी कउनो काम करे के लायक ना होला भा असमर्थ होला त आसान कामो बड़ा कठिन बुझाला।
रउवा खातिर:
भोजपुरी मुहावरा आउर कहाउत
देहाती गारी आ ओरहन
भोजपुरी शब्द के उल्टा अर्थ वाला शब्द
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : पहिलका दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : दुसरका दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : तिसरका दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : चउथा दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : पांचवा दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : छठवा दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : सातवा दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : आठवाँ दिन