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Home भोजपुरी कहावतें आन्हर गुरू बहीर चेला माँगे गुर ले आवे ढेला

आन्हर गुरू बहीर चेला माँगे गुर ले आवे ढेला

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गुरू आन्हर होखे आ बाहीर चेला होखे त काम बिगड़ जाला। गुरू चेला से गुड़ माँगत बड़े, चेला बाहीर बा तगुड़ के जगह माटी के ढेला ले आके उनके देता |
गुरू ओके गुड़ समझ ले तारे। मतलब कि गुरू ज्ञान के आलोक से खुद वंचित बड़े। दोसरा के आलोकित कइसे करिहे। दूनू तरफ से स्थिति बिगड़ल बा। अइसन हालत में काम सही रूप से कइसे होई|

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