अपना मर्जी से , खुश होके , सुविधा से ,
सगरों अत्याचार देखल , बिना दुबिधा के |
चऊक पर के चरचा , पंचायती सुनल ,
निमन आ बाऊर के , भेद ना गुनल |
मुद्दा बाड़ा बाड़ा , लोग के समझावल ,
वोट दे के चुने बेरा , उहे बात दोहरावल |
आपना इज्जत के , करीं खूब रखवारी ,
दोसरा के नाम पर , लाज टांगल अंटारी |
टीबी पर रामायण , महाभारत , साई -साई ,
देख के भी , करत बानी , केतना कुचराई |
बात बात पर , कानून के दोस दिले ,
लूटे मे आगे आगे , कूल्ही हमरे मिले |
जाती आ धरम , अरे ! खून बा गरम ,
इंसानियत लाचार बा , नईखे का शरम |
सुन के , जान के , देख के , चुप !
आँख वाला “आन्हर ” के ह ई रूप |
– सुधीर पाण्डेय