छुपके-छुपा के आँख से आंसू बहाइले
केतनो भूलाये चाहीं, पर ना भुलाइले
छुपके–छुपा के आँख से आँसू………..
कइले रह तू वादा, साSथ निभावे के
पल-पल संगे साथे, खुशियाँ लुटावे के
हमसे से भइल खता का, काहे छुपाइले
छुपके–छुपा के आँख से आँसू………..
जिनगी के एह मोर पे, अब जाईँ हम कहां
मारी दुनिया ठोकर, पल-पल ईहां – उहां
टूटल अब डोर आश के, नेहियाँ लगाइले
छुपके–छुपा के आँख से आँसू………..
भंवरा बिना ई फूल के, रही ना कवनो मोल
भंवरा के बा ई आदत, रस चूसे डोल-डोल
तबहूँ भरे ना पेट रब से, अरजी लगाइले
छुपके–छुपा के आँख से आँसू………..
माई, भइया बाबू छोड़ के, अइनी रउआ साथ
लाल बिहारी एह उमर में, काहे करिले घात
तीन शब्दन के जाल में , काहे रुलाइले
छुपके–छुपा के आँख से आँसू………..
लेखक: लाल बिहारी लाल