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जोगीरा डॉट कॉम के ई सतत प्रयास बा की आपन भोजपुरी भाषा आगे बढ़े आ भोजपुरी के ऑनलाइन के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगन तक पहुचावल जाव, एह कड़ी के आगे बढ़ावत जोगीरा लेके आइल बा भोजपुरी कहावत, त आईं पढ़ल जाव नव सौ से ज्यादा भोजपुरी कहावत (Bhojpuri proverbs) ।
हमरा उम्मीद बा इ सब भोजपुरी कहावत रउवा अपना गाँव-घर में पुरनिया आ अउर आस पास के क्षेत्रन में बोल-चाल में जरूर सुने होखेब।
कवनो समाज के अगर पूरा तरह जाने के होखे त ओ समाज के मुहावरा आ कहावत सुने के चाही काहें से कि एक-एक मुहावरा अउर कहावत में ओह समाज के चिंतन अउर जीवन के सार भरल होला |
भोजपुरी कहावत गाँव में जनमल । गाँव से धीरे-धीरे शहर में आइल गाँव वाला लोग के बोलचाल में कहावत एह तरह से घुलल मिलल बा कि ओह लोग के बोलचाल से कहावत के निकालल सम्भव नइखे ।
भोजपुरी के 900 से ज्यादा कहावत
- अँइटा से गोइठा बड़ सुकुमार।
- अँखिए फूटी तऽ आजन का लगाइब।
- अंगुरी धरत धरत पहुँचा पकड़ लिहलैं।
- सिखावे बच्चा के कि चेउँ चेउँ बोल।
- अँटकल बनिया दे उधार।
- अन्धा के आगे रोवे आपन दीदा खोवे।
- अइली ना गइली दु केबऽ कहवली।
- अइले दमाद मन हरियर भइल।। कठवत के माँड़ हेन पतर भइल।
- अइसन दुनियाँ बाउर, बेटा के पीठा, दमादे के जाउर।
- अइसन देश मँझउवाँ, जहाँ भात न पूछे कउवा।
- अइसन घसकट्टा के ई कवलगट्टा
- अउर अन्न खइलें, ना गोहूँ गँठिअवले।
- अकरब मुए ना छुतिहर फूटे।
- अकुतइले गूलर ना पाकेला।
- अकुताइल से बउराइल।
- अकेले चले न बाट, झार के बइठे खाट।
- अगहन दूना पूस सवाई, माघ मास घरहू से जाई।
- अगहन रजपुत अहीर असाढ़, भादो भइँसा चइत चमार।
- अगिया लगाय छउँड़ी बरतर ठाढ़।
- अघाइल बकुला पोठिया तीत।
- अघाइल भइँसा तबो अढ़ाई कट्ठा।
- अभी पोखरा ना खोनाइल तले घरियाड़ डेरा डाल देहलस।
- आँगन बरसे घर भरे बाछा घास न खाय, पहिले दही जमाई के पीछे कीन्ह गाय।
- अजगर के अहार राम चेतलन।
- अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम। दास मलूका कहि गये, सबके दाता राम॥
- अतना पर तऽ अइसन, काजर देला पर कइसन।
- अदमी ना हवे, बागड़ हवे।
- अदरा गइल तीनों गइल, सन साठी कपास। हथिया गइल सभ कुछ गइल, आगिल पाछिल चास॥
- अदरा मास जे बोए साठी, दुख के मार निकाल लाठी।
- अधजल गगरी छलकति जाये।
- अधिका जोगी मठ उजार।
- अनकर दाना, हक लगाके खाना।
- अनकर सेनूर देखिके, आपन कपार फोरीं।
- अनका खाती काँटा बोवलन, काँटे उनके गड़ल।
- अनका कमाई पर तेल बुकवा।
- अनदेखल चोर राजा बरोबर।
- अन धन अनेक धन, सोना रूपा कतेक धन।
- अनाज खाये आपन, लोग कहे दलिद्दर।
- अन्हरा के दूगो अँखिये चाहीं।
- अन्हरा के आगे रोवे आपन दीदा खोवे।
- अन्हरा के आगे हीरा कंकड़ बरोबरि।
- अन्हरा बाँटे अपने ले।
- अन्हरी बिलाई माँड़े तिरपित।
- अन्हरे सियार के पिपरे मेवा।
- अन्हेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी, टका सेर खाजा।
- अन्हरे के भइँस बिआइल पड़िया, गाँव के लोग ले दऊरल हँडिया।
- अपन झूटा पर कुकुरो बली।
- अपन मन के मउजी, माउग के कहे भउजी।
- अपना दुआरे पर कुकुरो बरियार।
- अपने मन के जौ की, भात पकाईं कि लौकी।
- अपने जाँघ उघारऽ अपने लाजे मरऽ।
- अपनी करनी पार उतरनी।।
- अपने करे से काम, पास रहे से दाम।
- अपने पहरें रहीं जाग, आन के पहरे लागे आग।
- अपने मन से जानी पराया मन की बात।
- अबका लिलाम से तिलाम होई।
- अंजोरिया धरम के रात ह।
- अइली ना गइली फलां ब कहइली।
- अउरी जात के भुखाइल ना गोड के लवलइ।
- अकरावन पिया मर गइले, सेजिया देख भयावन भइले।
- अकेले मियाँ रोवस कि कबर खानस।
- अगरो अगरइली त खँडतर ले परइली।
- अगल-बगल घर गोलक में।
- अगली भइली पिछ्ली, पिछ्ली पुरधाइन।
- अगुताइल कोंहार लगले मूड़ी से माटी कोड़े।
- अगुताइल बिट्यिा के लइका भइल, गोड़ा तर धइल,सियार ले गइल।
- अघाइलो भइंस पाँच काठा।
- अण् सिखावे बच्चा के चेंव-चेंव मत कर।
- अनका धन पर तेल बुकवा।
- अनका धन पर विक्रम राजा!
- अनका धन पे रोवे अँखिया!
- अन्न बिनु लुगरी पुरुँख बिनु पइया, लुगवा के फट्ले धनि भइली बउरइया।
- अन्हरा सियार के महुआ मिठाई।
- आन्हर क गइया के राम रखवइया।
- अपना घर में कुकुर के सेना।
- अपना दही के अहीर खट्टा ना कहे।
- अपना दुआर कुतवा बरिआर।
- अपना बिनु सपना, गोतिया के धन कलपना।
- अपना मने सजनी, के गाँव के लोग क पदनी।
- अपना ला लालबिल जगतर ला दानी।
- अपना हारल मेहरी के मारल के ना कहे।
- अपने उरुँआ सुगा के पढ़ावऽ तारे।
- अपने दिल से समझो पराये दिल की बात।
- अब दिनन भइल भारी, अब का लदबऽ हो बेपारी।
- अबर कुट्निहार दउर-दउर फट्के।
- अबर के मेहरा गाँव भर के भउजाई।
- अबर सवार घोड़ी फोद काढ़े ले।
- अभागा गइले ससुरार, तहँवो मांड़े-भात।
- अरधी मेहरा बटैया खेत।
- अरवा चाउर बसिया माँड़, ओ में डाले समझी के डा़ँड।
- अ खाइल प पादल।
- अल्लाह के एक लड़का!
- अहीर के लाठी कपार पर।
- अहीर गड़ेरिया पासी, तीनो सत्यानासी।
- अहीर बहीर बन बइर के लासा, अहीर पदलेस भइल तमासा।
- अहीर बुझावे से मरद।
- अहीर साठ बरिस ले नाबालिग रहेले।
- अहीर साधु, मूसर धनुही ना होले।
- अहीर से इयारी भादो में उजारी।
- अहीर, राजपुत, डोंम, तीनो जात हड़बोंग।
- अहीरिन के माँग में सोने का मंगटीका।
- आँख आन्हर देह मरखाह।
- आँख के अंधा नाम नयनसुख।
- आँख के आन्हर गांठ के पुरा।
- आँख चले भौं चले, अउर चले पपनी। सोरहो घर लट्टा लगावे, इ घर कुट्नी।
- आँख त हइये ना कजरौटा चाहीं।
- आँख ना दीदा मांगे मलीदा।
- आँख बिलबिल बग्गा में चरवाही।
- आँख में न कान में, एगो लकरी। सउसे समुंदर में एगो मछ्री।
- आँवा के आँवा झाँवा।
- आइ-माइ के ट्कि ना, बिलाई के भरमंगा।
- आइल थोर दिन गइल ढेर दिन।
- आइल बानी गवने, सकोचऽ तानी बात, ना तऽ अउर लेती भात।
- आइल मघवा, फूलल गाल, फिर उहे हाल।
- आई आम चा जाई लबेदा।
- आखिर मुरुँख पछ्तइहें, ट्ट्का भात बसिया क के खइहें।
- आखिर संख बाजल, बाकिर बावाजी के पदा के।
- आगी के तपला से जाड़ ना जइहें, पिया के कमाई से ऱ्हदया ना जुड़इहें।
- आगे अन्हार, पा सूझेना; जियरा चंडाल बूझे ना।
- आगे नाथ ना पा पगहा।
- आगे बैजू, पी नाथ।
- आतुर वश कुकर्मा।
- आदमी के दिन घोड़ा के दिन लागले ना रहे।
- आदमी चलते चिन्हाला।
- आदमी बन ट्ले, जल ना ट्ले।
- आधा बात समधिया जाने ले।
- आधा रोटी बस, कायथ हईं कि पस
- आनकर मूड़ी बेल बराबर।
- आनी से बानी भाखा से पहचानी।
- आन्हर आँख बबुर पर झट्हा।
- आन्हर कुकुर बतासे भोंके।
- आन्हर गु बहिर चेला, मंगले गुड़ लेअइले ढेला।
- आन्ही के आगे बेना के बतास!
- आप र्रूप भोजन परर्रूप सिंगार।
- आपन अपने ह, विरान विराना।
- आपन करनी पार उतरनी।
- आपन कानी र उतानी।
- आपन काम मो आवे दे।
- आपन दिया बार के मस्जिद के दिया बारीं।
- आपन निकाल मोर नावे दे।
- आपन फूली केउ ना निहारे, दोसर के ढेढ़ निहा ला।
- आमा गिहथिन रहली, त भर्रूके-भर्रूके पिसान भइल।
- आवते बहुरिया जनमते लइकवा।
- इ कढ़ावे ली, त उ घोंटावे ली।
- इ गुर खइले कान छेदवले।
- इ बिलाइ बने गइली, उ महोखा बन गइलन।
- इजत बरोह जोगवले से।
- इजती इजते पे म ला।
- इडिल-मिडिल के छ्ोड़ऽ आस, धरऽ खुरपी गढ़ऽ घास।
- इयर फूट्ल बीयर फूट्ल, बाबा हो कुँआ बानी।
- इसर निकलस दरिदर पइसस।
- इसर से भें ना दरिदर से बैर।
- उ डाढ़ी-डाढ़ी त इ पाते-पाते।
- उखड़े बाल ना बरिआर खाँ नाम।
- उजरा गँव में ऊँ आइल, लोग कहे बलबले हऽ।
- उजारी टोल मुरारी महतो।
- उठ लिहली मुँह धो लिहली, पान के बीरा चबा लिहली।
- उठऽ बहुरिया सॅस ल ऽ ढेकी छोड़ऽ जाँत ल ऽ।
- उधरिया बइठले अगिला मंगा।
- उधिआइल सतुआ पितर के दान।
- ऊँ चुराये निहुरल जाय।
- ए गाय! खा, तहार बाछा बिकाई।
- ए बबुआ! तोर भाई केइसन! घर-घर ढ्ँूढ़े बिलरिया एहिसन।
- ए बुरी गोह! ध के गोड़ त धइले बाड़े सोर!
- ए भइंस, आपन पोंकल नेवारऽ, तहरा दूध से बाज आवतानी।
- ए हाथ करऽबऽ, त ओ हाथ पइबऽ।
- एक आन्हर एक कोढ़ी, भले राम मिलवले जोड़ी।
- एक ट्का के मुर्गी नव ट्का के मसाला।
- एक त गउरा अपने गोर, दूसर लहली कमरी ओढ़।
- एक त छ्उँड़ी नचनी, गोड़ में परल बजनी, अउरी हो गइल नचनी।
- एक बोलावे चौदह धावे।
- एक मन के बंसी, चौरासी मन के छ्ीप।
- एक लकड़ी, नब्बे खर्च।
- एक हाथ के ककरी, नौ हाथ के बिआ।
- एके माघ ले जाड़ ना होला।
- एड़ी के मा भेड़ी के खौरा। (गर्ज दूसरे को, खुद बेचैन)
- ए ले ललगंड़िया के सोने के बनुक। रात चलावे, दिन खरची के दु:ख।
- ओएड़े-गोयड़े खेत चरइहऽ मेहरी के ट्किुला देख-देख जइहऽ।
- ओछ्री के भोज में छुछुनरी गइल नेवता।
- ओढ़ले पहिरले वर, छ्पले-छुपले घर।
- केंगाल ठीक, जंजाल ना ठीक।
- केंठी, चंदन, मधुरी बानी, दगाबाज के तीन निसानी।
- कउआ खइले अमर!
- कतनो अहिर होई सयाना, लोरिक छाड़ि न गाव आना।
- कथनी कथे अगाध के चले गिध के चाल।
- कनिओ के मौसी, दुलहो के मौसी।
- कनिया के आख में लो ना, लोकनी हकन करे।
- कपार पर के लिखल के मेटाई
- कभी नाव पर गाड़ी, कभी गाड़ी पर नाव।
- कम कूबत, मार खाये के निसानी।
- कमाय धोती वाला खाय टोपी वाला।
- करत में डाँड़ टू खात में नीक लागे।
- करनी ना धरनी, धिया होइ ओठ बिदरनी।
- करम फूट्ल गेहूँ के, गेहूँ गइले घोनसारी।
- करवाँ कोंहार के धी जजमान के।
- करिअवा भेली ढ्ेर मीठ।
- करिआ अछ्र भइंस बराबर।
- करिआ कमरी में लाल के तोई।
- करिया बाभन गोर चमार।
- करिया भइंस अन्हारी रात, ब प अहिर के जात।
- करिया में कुच-कुच करिया में काई। करिया भतार देख आवेला ओकाई।
- करिया वाभन गोर शुद्र, ओह के देख काँपे रुँद्र।
- कर्जा लेके साख बनी!
- कलकत्ता के कमाई जूता छाता में लगाई।
- कलवार के लइका भूखे मरे, लोग क ताड़िए पी के मातल बा।
- कहला बिनु कथनी ट्ेढ़!
- कहला से धोबी गदहा पर ना चढ़े।
- कहाँ राजा भोज कहाँ भोजवा तेली!
- कहावे के अनेरिआ, चलावे के लधार।
- कहिया राजा अइहें, त कब हँडिया धोअब
- कहीं के ईं कहीं का रोड़ा, भानमती के कुनबा जोड़ा।
- क के रहनी कहल ना जाव, कहला बिना रहल ना जाव।
- का खुरपी के बान् धइले, का खुरपी के बेंचले!
- का पर कर्रूँ सिंगार पिया मोर आन्हर। (का पर उ किस पर)
- काँस-पितर कवनो गहना ना, करिया भतार गोड़ जातऽ ना।
- काठ के हँडिया एके बेर।
- कातिक गइले, बैल पदवले।
- कान कुइस कोत गर्दनिया, ए तीनों से हा दुनिया।
- कानी गाय के अलगे बथान।
- कानी बिलाई के घर में शिकार।
- काम क नथ वाली, लागे चिरकुट्ही।
- काम के ना काज के दुस्मन अनाज के।
- काम के ना काज के कटावऽ घोड़ी घास के।
- काम धाम में आलसी भोजन में होसियार।
- काम न धन्धा अढ़ाई रोट्ी बन्धा।
- काम प्यारा चाम नहीं।
- काल्ह के बनिया आज के सेठ।
- का रजवा के घ अइले, का रे विदेसे गइले।
- का भीम गए अगुताई, तातल दूध ओठ ज जाई।
- कि पे भा अनवतवा भाय, कि पेट् भा नमिया माय।
- कुकुर बिलाई के जमघट्।
- कुटुम कुटुम जइसन रहले कुटुम ओहिसन पवले कुटुम।
- कुत्ता का अनजान के बनिया काट्े पहचान के।
- कु के बैल, त कुदेला तंगी।
- कुबंस ले निरबंस अच्छा।
- कुल कपड़ा रखले से।
- के मनावल! त बकरी।
- के हऊँ! त बर के मउसी; नून देबू! त अगतिआ नइखे।
- केंकरवा के बिहान केंकरवे खाला।
- केंकरा पैर पसारे, त पोखरा के थाह पावे।
- केतनो अहिर पिंगल पढ़े, बाकिर बात जंगल के बोले।
- केतनो करि चतुराई विधि के लिखल बाँव ना जाई।
- केतनो खेती बना के जोतीं, एक दिन दखिना लग जाई।
- केतनो चिरई उड़ि आकास, लेकिन करि धरती के आस।
- केतनो बरई पान जोगइहें, पाला परिए जाई।
- के के बैगन पंथ के के बैर।
- के खाते-खाते मुये, के खइला बिनु मुये।
- के ना पू हा बानी।
- कोइरी के पहुना!
- कोई गंगा नहाइल कोई गुड़ही।
- कोई जनम के संघाती होला, करम के ना होला।
- कोई लेत कोई देत कोई ट्क देले बा।
- कोढ़िया डरावे थूक के भरोसे।
- कोदो साँवा अन्न ना, बेट्ी दामाद धन ना।
- कोल्ह एहिसन मरदा, कोतार एहिसन जोय, सेकर लइकवा चीलर एहिसन होय।
- कौआ के आँड़ उड़ते में चिन्हा जाला।
- कौआ ले कबलवे चतुर।
- खइले पियले साथ।
- खग ही जाने खग के भाखा।
- खा ले पी ले, चुल्हा के ढ्हा दे।
- खा ले बेट्ी दूध-भात आखिर परबे विराना हाथ।
- खाऽ त धी से, जाऽ त जी से।
- खाँड़ छ्ोड़ सउँसी पर धावे, सउँसी मिले ना खांड़ा पावे।
- खाए के ना खिआवे के दउर-दउर कोआ बिछावे के।
- खाए के नाना के, कहाए के दादा के।
- खाए के बेट्ी, लु के दमाद, हाथ-गोड़ तजले बा गोतिया-देआद।
- खाए के मन ना नौ गो बहाना।
- खाए के मांड़ ना नहाये के तड़के।
- खाना कुखाना उपासे भला, संगत-कुसंगत अकेले भला।
- खास भीम हगस सकुनी।
- खिआवे के ना पिआवे के, मांग-ट्ीका धोवे के।
- खिचड़ी खात नीक लागे, बटुली मलत पे बथे।
- खेत खाय पड़िया, भइंस के मुँह झकझोरल जाय।
- खेत च गदहा मार खाए धोबी।
- खेत ना जोतीं राड़ी भइस ना बेसाहीं पाड़ी।
- खेत-खेत पाटा, देह-देह नाता।
- खोंसी के छाल पर कुत्ता के मांस बिकाय।
- खोंसी के जान जाय, खवैया के सवा ना।
- खोलले बकरी, बन्हले लकड़ी।
- गइल घर बुरबकवे बिना।
- गइल जवानी फिर ना लौट्ी, चा धी मलीदा खाय।
- गइल बहुरिया तीनों से- र्तृया, गोर्तृया, रसोइया से।
- गइल भइंस पानी में।
- गइल माध दिन उनतिस बाकी।
- गत के ना पत के सुते अइले स के।
- गदहा के इयारी लात के सनसनहट्।
- गया मरद जो खाय खटाई, गई नारि जो खाय मिठाई।
- गया राज चुंगला पैठा, गया पेड़ बगुला बैठा।
- गया आसन बनारस पीठा।
- गरदन में ढ्ोल परल, रो के बजावऽ चा गा के।
- गरह से निकल गरहन में।
- गलगर होइहऽ धिया, बड़ होके रहिहऽ।
- गवना के घूँघ अउर लइकाई के कुई ना मिले।
- गाँव भर ओझा, चलीं केकरा सोझा
- गा कट्हर, ओ तेल।
- गाय ओसर भइंस दोसर।
- गाय गुन बछ्ड़ा पिता गुन घोड़, ना कु त थोड़े-थोड़।
- गाय ना बाछा, नींद प अच्छा।
- गाय बाभन घुमले फिरले।
- गाया में गाय दान, रास्ता में बाछ्ी, घर अइला पर बावा जी खोसी लेबऽ कि पाठी !
- गाल देब बजाय, सासु जइ लजाय।
- गुदर-मुदर सब सोये, बिसनिया लोगवा रोवे।
- गु गुरुँये रह गइले, चेला चीनी भइले।
- गु से गुरुँआई ?
- गृद्ध दृष्टि अपार।
- गेंठी खुले ना बहुरिया दुबरास।
- गेहँू के साथ घून पिसाला।
- गो के एगो गोड़ टूट्यिे जाई, त ओकर का बिगड़ी!
- गोड़ गरीबनी मगज बिल़ंड।
- गोदी के दहाइल जा, ढ्ीढ़ के ओझाई।
- गोबर जरे, गोइठा हँसे।
- गोबर सूँघला से मुसरी जीओ।
- गोर चमइन गरबे आन्हर।
- गोसेया भुइंया कुकुर पंुजौली।
- घंट्ी क घनर-घनर अउर नकजपना। ठाकुर जी के अंगुठा दिखा के खा ले मन अपना।
- घट्ले नाती भतार।
- घर के मारल बन में गइली, बन में लागल आग। बन बेचारा का क कि करमें लागल आग ?
- घर छाय देखनी घर छुप देखनी, घर में तनी आग लगा के देखनी।
- घर ना दुआर बर तर ठाढ़। (बहसपना)
- घर पर छ्पर ना बाहर फुटानी।
- घर फु गंवार लूट्े।
- घर भर देवर भतार से ठट््ठा।
- घर में खरची ना, बाहर ढ़कार।
- घर मेह ना, बेटा बाहर क्रिया खास।
- घर-घर देखा एके लेखा।
- घर लौका बन लौका लौका के तरकारी, एहिसन घा उतरले लौका गइले ससुरारी।
- घीव के कूंड़े, नाहीं त जव के ठूढ़े।
- घीव देत घोर नरिया।
- घीव संवा काम बड़ी ब के नाम।
- घीवो खाइब, त खेंसारी के दाल में।
- घूघ मोर चुवेला ठेहुनवा, पाद मोर सुनेला पहुनवा।
- घेंाघा के मुँह खुलल।
- घोंघा में बनावेलीन सितुहा में खालीन। (खालीन उ खाती है)
- घोड़ी पड़ी अहिर के पाले, ले दौड़ायल आले-खाले।
- घोड़े की नालबाजी में गदहा पैर बढ़ावे।
- च मड़वा प बिआह।
- च लिट्ी प भंटा।
- चढ़े के हाथी पर चले के भुइंया-भुइंया।
- चमड़ा के ढ्ेर पर कुत्ता के रखवारी।
- चमार के सरपला से गाय मरी!
- चमार सियार सदा होसियार।
- चरभर के अंत मिले, मुरघुइंस के ना मिले। (चरभरउ अधिक बोलने वाला, मुरघुइंसउ चुप्पा अन्तर्मुखी)
- चल बगेरी आपन झुण्ड।
- चलनी धूसली सूप के, जिनका अपने सहसर गो छ्ेद।
- चार बेद चार ओर, ता बीच चतुरी। चार्रू वेद करऽ ता चतुरी की चाकरी। (बिना बुद्धि जरो विद्या)
- चाल चले सिधरी, रो के सिर पर बिसरी।
- चालाक पदनिहार पहिलहीं नाक दाबे।
- चा र्तृया घर रहे, चा र बिदेस।
- चिउरा के गवाह दही।
- चिउरा दही बारह कोस, लिचुई अठारह कोस। (लिचुईउपूड़ी)
- चित प त हमार, प प त तहार।
- चिरइआ उ बिआ, पंखिया रंगा गइल बा।
- चिरई के जान जाय लइका के खेलवना।
- चींट्ी अपना पावें भारी, हाथी अपना पावें भारी।
- चीना के सपूत भइले मार्हा। (चीना उ एक प्रकार का अन्न, इसके चावल को भूनने पर “मार्हा’ बनता है। “मार्हा’ दूध दही के साथ खाने पर बहुत अच्छा लगता है)
- चेत करऽ बाबा बिलार मा मट्की।
- चेरिया बिअइली मर के, रानी कहली “बेट्ए’ ?
- चोर के मुँह चाँद निअर। (निअरउजैसा)
- चोर के हजार बुद्धि।
- चोरवा के मन बसे केंकरी के खेत में।
- चोरी क निहाय के, क सूई के दान। उ चा बैकुण्ठ के त बुरबक बाड़े राम। (निहायउसोनारी का एक समान जिसपर सोना, चांदी पीटा जाता है)
- छाव क छौंड़ी छाव करे, अंगुरी का के घाव करे। दवा देहला पर छ्पबे ना करे, बिना भतार के रहबे ना करे।
- छ्ीन छ्ोर के खाईं, बापू कहाईं।
- छुछुन्दर के माथ पर चमेली के तेल। (छुछुन्दरउ चू की एक प्रजाति)
- छ्ो मुँह बड़ कवर।
- छ्ोलक खट्यिा ढुलकत घोर नारी करकसा विपत के ओर। (घोरउघोड़ा, विपत के ओरउअतिशय विपत्तिदायक)
- छ्ोलक जात बदरक घाम, मउगा से पत राखऽ राम। (छ्ोलकट्उ छुद्र,इ शूद्र, पतउइज्जत)
- छ्ो छाती फा लोर के ठेकाने ना।
- छौंड़ी तोर आँगन कतेक !
- जग जगदीश के।
- जजमाने के घी, जजमाने के लकड़ी स्वाहा।
- जथा के ठेकाने ना कुटुम्ब करस धावा।
- जनम के दुखिया करम के हीन, हाथ में खुरपी मोथा बीन।
- जनमत खइले माता-पिता के, घुसकत आजा-आजी। ममहर में ननिअउरा खइले, कुल में दागा-बाजी।
- जनाना के खाइल मरद के नहाइल केहू ना देखे।
- जब कवर भीतर, तब देवता पीतर।
- जब चिन्हबे ना करब त आपन केहिसन !
- जब जेहिसन तब तेहिसन, इ ना बूझे से पंडित केहिसन!
- जब राम तकि सब दु:ख भगिहें।
- जब ले करेब पूता-पूता, तब ले लगाइब आपन बूता।
- जब साग से ना जुड़इनी, तब साग के पानी से जुड़ाएब!
- जब हाँड़ी पर ढ्कना ना होखे, त बिलाइयो के लाज क के चाहीं।
- जबर मउगी के अबर बोतू।
- जबरा क जबरई, अबरा क नियाब।
- जबरा मारे, रोवे ना दे।
- जबाब से के जीभ काट्ी?
- जरी जलुहार त पुलंगी भूमिहार।
- जव के दिन जइहऽ, सतुआरी के अइहऽ।
- जव के रोट्ी गबर-गबर, सास ले पतोह जबर।
- जवन जानल जाला, तवन बात के सीअल जाला।
- जवना डार पर बइ के ओही के का के।
- जवना पतल में खाए ओही में छ्ेद करे।
- जवान मउगी के कोख भारी।
- जस दुलहा तस बनी बराती।
- जस बबुआ तस बबुनी नाहीं, जस ढ्ेबुआ तस कुई नाहीं।
- जस-जस धीया बाढ़ेली, तस-तस काँढ़ काढ़े ली।
- जहाँ गेहुअन के मूड़ी, तहाँ बाबू के सिरहान।
- जहाँ चार कानू, तहाँ बात मानू।
- जहाँ चार गगरी, तहाँ लड़बे करी।
- जहाँ ढ्ेर मउगी, तहाँ मरद उपास।
- जहाँ न पहुँचे रवि, तहाँ पहुँचे कवि।
- जहाँ मीठा होई, उहाँ चिंउट्ी लगबे करी।
- जहाँ मुर्गा ना होई, तहाँ बिहाने ना होई?
- जहाँ लू प तहाँ टू परीं, जहाँ मार प तहाँ भाग परीं।
- जाईं नेपाल, संगही कपार।
- जाइज पर रहेब त करऽबऽ का?
- जागऽ किसान, भइल बिहान, फौड़ा उठावऽ चलऽ खेते।
- जागल भाग पड़ले पाले, धइले पोंछ् पट्कले खाले।
- जातो गंवइली, भातो ना मिलल।
- जा जोगी मठ के उजाड़।
- जानीं से सानीं।
- जाने ले चीलम, जिनका पर चढ्ेला अंगारी।
- जिअला में बोरा ना, मरला पर दोलाई।
- जिन पुत जनमले ना होइहें, उ अबट्ले का होइहें।
- जिन ब अपने छ्निार, लगवली कुल परिवार।
- जीअता पर छूँ भात, मरला पर दूध भात।
- जीतला के अगाड़ी, हारला के पछाड़ी।
- जुरता पर कुरता।
- जु साग ना सोहरत जाय।
- जे खाय गाय के गोस, उ कइसे हिनू के दोस!
- जे जनमते ना उजिआइल, उ आगे का उजिआई?
- जे ना पढ़ी फकरा, उ का पढ़ी पतरा!
- जे ना पू से का बाबा।
- जे पंच, सेही चट्नी।
- जे पांड़े के पतरा में, से पंडिताइन के अंचरा में।
- जे फूल होखे से महादेव जी पर।
- जे बनावे जाने, उ खाए भी जाने।
- जे बाड़े से गु बाबा।
- जे रोगिया के भावे से बैदा फुरमावे।
- जेकर धन जाले ओकर धरम जाले।
- जेकर पिया माने, से सोहागिन।
- जेकर बनरी से ही नचावे, दोसर नचावे त का धावे।
- जेकर माई पूड़ी पकावे, सेकर बेटा छ्छ्ने।
- जेकर मुँख बदन न पाईं, ओकरा आंगन का क जाईं ?
- जेकर रोट्ी उ बन-बन फिरे, फकीरवा ठोक-ठोक खाय।
- जेकरा घूरा बइ के ओक आंड़ दागे के?
- जेकरा घेघ ओकरा उदबेगे ना, देखवैया का उदबेग?
- जेकरा छाती में बार ना ओकर एतबार ना।
- जेकरा पर चूई, से छायी।
- जेकरा पास माल बा, ओकर गोट्ी लाल बा।
- जेक माई मरे, ओक पतल में भात ना।
- जेतना के मुन्ना ना ओतना के झुनझुना।
- जेतना घट्वा गरजे ओतना बरसे ना।
- जेतना मुअड़ी मारीं ओतना हगाईं।
- जेतने घी ओतने चीकन।
- जेहिसन कोंहड़ा छान्ही पर, ओहिसन कोंहड़ा भूइयाँ।
- जेहिसन जात ओहिसन भात।
- जेहिसन दाल-भात, ओहिसन फतेहा।
- जेहिसन देव ओहिसन पूजा।
- जेहिसन देवर ओहिसन भउजाई।
- जेहिसन नेत ओहिसन बरक्कत।
- जेहिसन रहर ओहिसन बीआ, जेहिसन माई ओहिसन धीया।
- जेहिसन राजा ओहिसन परजा।
- जेहिसन हीरा के चोर ओहिसन खीरा के चोर।
- जैसी ब बयार पीठ तब तैसी दीजै।
- जोलहा के बेगार पैठान।
- झोरी में फुट्हा ना सराय में डेरा।
- ट्का ट्काई नौ ट्का बिदाई।
- ट्का पास में जो साथ में।
- ट्ʠ??्हरी के छ्पला से बादर छ्पाई?
- टूट्लो तेली त नौ अधेली।
- ठाँव गुन का कुठाँव गुन कारिख।
- डाँड़ डूबल जाव, ठेहुना के पते ना।
- डिबनी कतके दूर, अब निअराइल बा।
- ढ्ँू कुकुर गोसेंया के हानि।
- ढाल छुरा तर्रूआ गइल कुँअर के साथ, ढ्ोल मजीरा खंजड़ी, रहल उजैनी हाथ।
- ढुलमुल बें कुदारी के, हँस के बोले नारी से।
- ढ्ेलाह खेत, पेटाह बेटा बाद में बुझाला।
- तर धइली छ्तिनी ऊँपर धइली साग, पिअवा कहलस पदनी, त लौट्ल भाग।
- तर धरती ना ऊँपर बंजर।
- तसलिया तोर कि मोर!
- तहरा किहाँ जाएब त का खिअइबऽ, हमरा किहाँ अइबऽ त का लेके अइबऽ?
- ताकते बानी, लउकत नाहीं।
- ताग पा के जूरा, चिरकु के फुरहुरा।
- ताग पा ढ्ोलना, कु नहीं बोलना।
- ताड़ी के चिखना, बाप के कमाई, जोगाऽ के खाईं।
- तीन कायथ कहवाँ, बिपत प तहँवा।
- तीन जात अलगरजी, बढ़ई, लोहार, दरजी।
- तीन जात घचान्हर, ऊँट्, बिद्यार्थी, बानर।
- तीन जात हड़बोंग, राजपूत, अहीर, डोंब।
- तीन ट्कि महा बिकट्।
- तीन दिन रहई, त पियाजी से कहई।
- तीन परानी पदमा रानी।
- तीन परानी पोखरा रानी।
- तीन मन में तिनमनिया, सेर भर में उतनिया।
- तीन में कि तेरह में, कि सुतरी के गिरह में!
- तीन विप्र कहँवा, ब प तहँवा।
- तीस में ट्ीस, चालिस में नखालिस।
- तू गंगा पार हम जमुना पार।
- तू धनैतिन धने आगर, हम तरवा के धू आगर।
- ते गोतिन गगरी, हम ते बरोबरी।
- तेतर बेट्ी राज लगावे।
- तेलिया हा बार-बार, दइबा हा एक बार।
- तोर नउजी बिकाय, मोर घेलुआ दे।
- तोरा त पेट्वे ना त लोट्वे।
- थान हार जइहें, बाकिर गज ना हरिहें।
- दमड़ी की हाड़ी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई।
- दरबे से सरबे, चहबे से करबे।
- दवा भीतर दम बाहर।
- दही के गवाह चिनी।
- दही के रखवार बिलार।
- दही तब सही।
- दाँत के ठेकाने ना, रहरी के भसक्का।
- दाजे गइल खेती, रिसे गइली बेट्ी।
- दादा काट्ेले घास, मोरा हँसी आवेला।
- दादा के भरोसे अदौरी भात।
- दादा दी हँसुआ, त घास का जाएब।
- दादा मरि त पोता राज करिहें।
- दानी दान क भंडरी के पे फूले।
- दानी ले सोम्ह भला, जे ठावें देत जवाब।
- दा उनकर छाती फाट्े, लोर के ठेकाने ना।
- दिआरा के बंस, कभी राजा कभी रंक।
- दिन जाला गुन भारी होला।
- दिन भर चले अढाई कोस।
- दिन भर मांगे त सवे सेर।
- दिल लगे दिवार से तो परी क्या करे।
- दुधार गाय के गो लातो सहल जाला।
- दुनिया दुरंगी मुवल्लिक सराय, कहीं खूब-खूबी, कहीं हाय-हाय।
- घर भोज भइल, कुतवा के मन हुलबुलिये में।
- मने दूमनिया, तीन मने उतनिया, ना र त पे कुनिया।
- दूध-पूत छ्पिवले।
- दूनो हाथ से ताली बाजे ला।
- देख पड़ोसी झल्ल मारे।
- देखत माया परखते छ्ोह, जब देखीं त लागे मोह।
- देखनी में से चिखनी में।
- देखनीहार के धरनीहार लागे।
- देखल कनिया देखल वर, कोठी तर बिछ्ौना कर।
- देखले छ्उँड़ी समधी।
- देखहीं के बाड़े पिया, चिखहीं के नाहीं, सूरत बा कवनो लजत नाहीं।
- देखा-देखी पाप, देखा-देखी धरम।
- देवकुरी गइले दूना दुख।
- देह घुसके ना गेहँू बन चाहीं
- देह डोरा, पे बोरा।
- देह में दम ना बजार में धक्का।
- देहात में गाही, बाजार में नौ गाही।
- धन के बढ़ल अच्छा, मन के बढ़ल ना अच्छा।
- धन मधे कठवत, सिंगार मधे लहँगा।
- धनिके के पहुना के दाल भात बारा, गरीबे के पहुना के मकई के दारा।
- धान के देस पुअ से बुझाला।
- धीया ना पूता, मुँह चा कुत्ता।
- “न’ से ” ‘।
- नइहर जो, ससुरा जो, जांगर चला बेट्ी कतहूँ खो।
- नइहर रहले ना जाय, ससुरा सहले ना जाय।
- नइहर से आइल लुगरी, चढ़ गइल गुलरी।
- नकली नारी बिपत के ओर।
- ननद के भी ननद होले।
- नया धोबिनिया लुगरी में साबुन।
- नया मियाँ, जिया पिआज खाले।
- नया लूगा तीन दिन, लुगरी बरीस दिन।
- नया-नया राज भइल, गगरी अनाज भइल।
- नरको में ठेला-ठेली।
- नव जानेली छ्व ना जानेली।
- ना अकरब मुये, ना छुतिहर फूट्े।
- ना उ देवी बाड़ी, ना उ कराह बा।
- ना के में दोष बा, ना के नीमन बा।
- ना चलनी के पानी आई, ना परउस के बरहा बराई।
- ना धोबिया के दोसर खाहिन, ना गदहवा के दोसर मउआर।
- ना हिनुए में ना तुरुके में।
- नाग मरलन डोंड़ ट्ीका भइल।
- नाचे कू तू तान सेकर दुनिया राखे मान।
- नाचे से कब ले बांचे!
- नाधा त आधा, आधा त साधा।
- नानी के आगे ननिऔरा के बात।
- नानी, पानी, बेइमानी के धन ना रसे।
- नान्ह बिट्यिा, पुरान जबड़ा, भतार के मरली चार तबड़ा।
- नाम गंगादास, कमंडल में जले ना, नाम अन्हारी बारी, होम क के पल्लवे ना।
- नाम धनपति, घर पर करायने ना।
- नाम रामायन, करीखही अक्षर से भें ना।
- नाम लवंगिया, बसाय अंडरबोय।
- नामी बनिया के नाम बिकाला।
- नामे नाम, ना त अकरवले नाम।
- निझारल जिएला, विस्वासे मुयेला।
- निपले पोतले डेहरी, पेन्हले ओढ़ले मेहरी।
- निरबंस अच्छा बहुबंस ना अच्छा।
- निरबल के दइबो सतावे ले।
- निरबल के बल राम।
- नीम हकीम खत जान, भीतर गोली बाहर प्रान।
- नीमन गीत गाएब, ना दरबार देखे जाएब।
- नेकी बदी साथ जाला।
- नेत धरम के मारी मुँह, पे भ तवन करीं काम।
- नोहरनी देखले नोह बढ़ल।
- नौकर ऐसा चाहिए घर कभी ना जाय, काम क ताव से भीख माँग कर खाय।
- नौकर के चाकर मड़ई के ओसारा।
- पंडित सोइ जो गाल बजावा।
- पइंचा में पानी ना परे।
- पइसवा तीन, चिजुइया कीनी बीन।
- पइसा ना कौड़ी, बीच बाजार में दौड़ा-दौड़ी।
- पकड़े के गोड़ त पकड़ले बाड़े सोर।
- पड़ोसिन सिहैली उपास।
- पड़ोसिया के सिहइला से इनार के पानी झुरा जाला।
- पढ़लऽ त बड़ा गुन कइलऽ, हँसलऽ त दूनों कुल नसइलऽ।
- पढ़े फारसी बेचे तेल, देख भाई कुदरत के खेल।
- पत कवर बिसमिल्ला।
- पतरी तिरिअवा कुलवा के हानि, सरबस खा के निरबस बानि।
- पतिबरता कहाँ नइखी, कुट्नी से बचें तब त!
- परले राम कुकुर के पाले, धइले पों पट्कलस खाले।
- पर्रूआ बैल हेव के आशा।
- पहिला दिन पहुना, दूसरा दिन ठेहुना, तीसरा दिन केहुना।
- पहिले खइली घोर-घार, तब खइली पिठुरा, थाली धो के पी लेहली, पेट् हो गइल सुसुरा।
- पहिले लिखीं, पी दीहीं, घ त कागज के बाप से लिहीं।
- पांक से पांक ना धोआई।
- पाकल आम के कवन ठीक, कब चू जाई!
- पातर डेहरी अन्न के खैकार।
- पातर डेहरी फोंफड़ बाँस, मउगा बेटा कुल के नाश।
- पानी में मछ्री, नौ-नौ कुट्यिा बखरा।
- पाव भर धनिया सहादलपुर कोठी।
- पिआ सरा त गाछ्ी पर, पंच सरा त भुइंया।
- पुरबिल्ला के चूक रहे। (पुरबिल्लाउपूर्वजन्म)
- पुरवइया के बहल राँड़ के रोवल, कब बाँव ना जाला।
- पुराना चाउर पंथ परेले।
- पु भाई नाक वाला।
- पू ना पाछ्े, हम दुलहिनिया के मौसी।
- पूत परजा बराबर।
- पूस के दिन फूस, माघ के दिन बाघ।
- पे क कुरकुर, जूड़ा क मँहमँह।
- पे में रही त गुन करी, बाहर जाई त खून करी।
- पेन्हेला सब कोई, चमकावेला कोई-कोई।
- पैसा त बेसवा भी कमाले।
- फट्क के लीं, फट्क के दीं।
- फट्क गिरधारी, जिनका लोटा न थारी।
- फाट्ल जामा बाजार में धक्का।
- बइठल ले बेगारी भला।
- बउरहवा के भंइस, गाँव भर धंूचा ले के दउड़े।
- बकरी कहिया के मरखाह, कोईरी कहिया के सिपाही।
- बकरी के महतारी कब ले खैर मनाई।
- बकसऽ ए बिलार मुर्गा जी त बांड़े रहिहें।
- बगुला मरले पर हाथ।
- बछ्वा बैल बहुरिया जोय, ना हर बहे ना खेती होय।
- बड़ आदमी के चेर बनी, केंगाल के दोस्त ना।
- बड़ से पायीं छ्ो से ना पायीं।
- बड़-बड़ के टोपी ना, कुत्ता के पैजामा।
- बड़-बड़ घोड़ी दहाइल जा गदहा पू कतेक पानी।
- बड़-बड़ ढ्ोल तहाँ ट्मिकी के मोल?
- बड़का खेत में तीन पाव बीआ।
- बढ़े बंस डफालिन होय।
- बढ़े बंस पिता के धरमा, खेती उपजे अपना करमा।
- बतिया मानेब बाकिर खूंट्वा ओहि जा रही।
- बन में अहीर, नैहर में जोय, जल में केवट्, केउ के ना होय।
- बन में बेल पाकल कौआ के कवन काम के ?
- बनल काम में बाधा डालो, कु तो पंच दिलायेगा।
- बनला के संघाती सब केउ, बिगड़ला के के ना।
- बनले मरद बिगड़ले भक्कू।
- बनिया तउले ना, गंहकी क पू द।
- बपवा लबरा पुतवा चोर, दूनो परइले देस के ओर।
- बबुआ जनमले खुरपी के बेंट्, हाथ गा़ेड डोरा, नादी लेखा पेट्।
- बर अच्छा त बरच्छा।
- बर के बंू ना बरिअतिया के मिठाई।
- बरऽ छानऽ सोखा भइंस दीहें।
- बरिया हा त तूरे, जीते त थूरे।
- बरिया हा त मुँह में मारे।
- बरियार चोर सेन्ह पर गाजे।
- बलिदान के बकरी के कवन ठीक!
- बवना बवना, जो के खेलवना।
- बहनी ना बाटा, अइले गेठर काटा।
- बहरा लम्बी-लम्बी धोती, घ अंठुली के रोट्ी।
- बहिर कुत्ता बतासे धावे, न एहर पावे ना ओहर पावे।
- बहिला गाय दुआर के सोभा।
- बहुत गया, थोड़ा है बाकी, अब मत हाथ बिगाड़ो साथी।
- ब हर ना ब कुदारी, अमृत भोजन दे मुरारी।
- बांझ का जाने परसौती के पीड़ा।
- बांस आ सुअर कट्ला पर बुझाले।
- बांस के जरी बांसे होई।
- बाग में जाईं ना, पाँच आम रोज खाईं।
- बाजऽ बाजन बाजऽ, दुस्मन के घर बाजऽ।
- बाणी गवरैया बांझ से नजारा।
- बात करीं केवल, भतार लागस चाहे देवर।
- बात बिगाड़े तीन, अगर, मगर, लेकिन।
- बानर के हाथ में नरियर।
- बानर जनि आदी के सवाद!
- बाप कूली बेटा साहेब।
- बाप के गर में मुँअड़ी, बेटा के गर में रुँदराछ्।
- बाप के तीकी ना बेटा के जुलफी। (तीकीउ चिरकी)
- बाप के नाम साग-पात बेटा के नाम परौर।
- बाप दादा न खइले पान, दाँत बिदोरले गइल परान।
- बाप न झुलले मातारी ना झुालली, हमहीं झुाललीं सरधा बुतवलीं।
- बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुँपैया।
- बाप बेटा बरतिया, माई-बेट्ी गीतहारिन।
- बाबा के बेर्ही तर बेट्ी उपास, करऽ बेट्ी करम के आस।
- बाबा जी के दाना हक लगाके खाना।
- बाबा जी जिअलो पर खाले, मरलो पर खाले।
- बाभन कुत्ता हाथी, तीनो जात के घाती।
- बाभन खिअवले, बाबू कहवले, कायथ थम्हवले।
- बाभन चले कइसे, कट्हर फ जइसे।
- बाभन जात अन्हरिया रात एक मूठी चिउरा भर धउरल जास।
- बाभन नाचे कोइरी देखे।
- बाभन, बरखा, बाढ़, बेयार, दखिना पइले, भइले फरार।
- बार उखड़े ना बरियार खाँ नाम।
- बारह बरिस तप कइली, जोलहा भतार मिलल।
- बारी के बारी कोलवांसी।
- बारी समइया पिया खोर-खोर खइले, म के बेरा बउखा गर्हवले।
- बावन बीरवा हार गइले, बाकी बाड़े चमसुर।
- बावाजी के मुखे दुआर।
- बिअवा के धनवा कूट्-कू खइली, बोये के बेरा नइहर गइली।
- बिगड़ला के बहनोई केहूना, बनला के सार सब कोई।
- बिट्यिा गिहथिन कि केंट्यिा गिहथिन।
- बिन जोल ईद।
- बिना मन के बिआह कनपट्ी पर सेनुर।
- बिना मेंह के दौनी।
- बिनु घरनी घर भूत के डेरा।
- बिलाई के पे में घी पची
- बिलाई के भागे सिकहर टूट्ल।
- बिलार भइली मुखिया, गीदड़ करमचारी।
- बीन के हाल गोबिन्द जानेले।
- बुढ़वा भतार पर पाँच ट्किुली।
- बुरबक सरहले।
- बूढ़ बकरी बगैचा चरे।
- बूढ़ भइली दूर गइली।
- बूढ़ सूगा पोस मानी?
- बे बोलावे के बोले! त बर के मउसी।
- बेट्ओ मीठ भतरो मीठ, किरिया केकर लगाके खाई ?
- बेटा भइल जवान, त कोठी में लागल पेहान। (पेहानउढ्क्कन)
- बेटा मरल अच्छा साख मरल ना अच्छा।
- बेटा मांगे गइली भतार गंवा के अइली।
- बेट्ी के मैया रानी, बूढ़ी समैया भरेली पानी।
- बेट्ी चमार के नाम राजारनिया।
- बेट्ी बिअहली कुइयां उड़हली।
- बेल तर के मारल बबूर तर।
- बेसवा र्रू धरम बचे।
- बैद-बैद-बैद, दूनो आँख के भड़कौना बैद।
- भंसार घर दबिला मजा करी। (भंसारउभंड़सार, दबिलाउगंड़ासी की तरह का एक हथियार)
- भइल बिआह मोर करबे का?
- भउजाई के बढ़निये में लछ्न। (बढ़नी – कूंची, झाडू)
- भक्ति नाहीं भाव नाहीं, नेह नाहीं माया में, अढाई सेर ठूँस के सुत गइले धरमसाला में।
- भतार के कमाई बाजार में गवइली, बेटा के कमाई बंक में।
- भर गाँव से बतिआ आवस, मालिक से मँुह लुकावस।
- भर मत करिहऽ भूमिहार के, पों जनि धरिहऽ सियार के। (भरउ विश्वास)
- भर, भुईंहार, अहीर ये माना, पोस न माने तीनो जाना।
- भरा भूत ओखेले।
- भरी हाथ चूरी ना त प से रांड़।
- भल भुइंहार के कहल मत करिहऽ, चिरकी उखाड़ के जेंवर बरिहऽ।
- भल र्तृया रहले त लुगरिये पर लुभास।
- भला कुल के बेट्ी बाड़ू, भला कुल के नारि। अगिला चार उजरले बाड़ी, पिछ्ला में लगवली हाथ। (चारउफूस के घर का छ्प्पर)
- भला संग बसिहऽ खइहऽ बीड़ा पान, बुरा संग बसिहऽ कइह दूनो कान। (कान कटाना उइज्जत गंवाना)
- भाई के भात ना हजाम के पक्की।
- भाई-बहिनी आन के, जोहिया परान के। (जोहियाउजोड़ू, मरद)
- भाग बुरी बौना, बिआह में खिअवले, अब बाकी बा गवना!
- भाजा खाये के मन, तेल का कम।
- भादो भंइसा चइत चमार। (मस्त रहते हैं)
- भारी र भार से पतुकी भड़ाक से।
- भुइंहार के अंतरी उनचास हाथ।
- भुइंहार भगत ना बेसवा सती, सोनार सांच ना एको रती।
- भुखले लइका गूलर खाले।
- भूख त छ्ंू का, नींद त सेज का!
- भूखा के दीं अघाइल के ना।
- भूल गइल भाव-भजन, भूल गइल फकरी, तीन चीज जायज रहे, नून तेल लकरी।
- भूसा के उधिआइल, बड़का के खिसिआइल ना बुझाला।
- भेखे भीख मिलेला।
- भोग माई आपन कमाई।
- भोज त ओज का, ओज त भोज का?
- भोथर चट्यिा के बस्ता मोट्। (चट्यिाउविधार्थी)
- भोथरो हंसुआ अपने ओर खींचेला।
- भो भाव ना जाने, पे भ से काम।
- मइल लूगा, दूबर देह कुकुर का कवन सनेह।
- मउगा मरद कलट्र से इयारी।
- मउगी भतार के झगरा, बीच में बोले से लबरा।
- मकई सूखल, राजपूत भूखल।
- मछ्री खा के बकुलवा ध्यान।
- मड़हा मरद चउरई जोय, सेकरा घरे बरक्कत ना होय। (मंड़हाउमांड पीने वाला, चउरहीउचावल खाने वाली)
- मन क पहिनीं चउतार, विधना लिखले भेड़ी के बार। (चउतारउबारीक ऊँन का कम्बल)
- मन चंगा त कठौती में गंगा।
- मन माने त चेला, ना त सबसे भला अकेला।
- मन में रहल से ना भइल, पंच मिल भकोसीं। (भकोसींउभक्षण करीं)
- मन मोर चंचल जिअरा उदास, मन मोर बसेला इयार जी के पास।
- मन हुलसे त गाईं गीत, भादो में उठाईं भीत। (हुलास उल्लास)
- मर गइल त का हऽ, बिदा करऽ।
- मर जाई जीव, त के खाई घीव।
- मरजी गोबिन्द के केराव फ भेली। (केरावउमट्र)
- मरद के घोड़ा के घास काट्ीं, निमरद के घोड़ा पर मत चढ़ीं।
- मरद मुये नाम के, निमरद मुये पेट् के।
- मरना है काशी तो खुशामद किसका?
- मल बटुली खो भात सो दूनी आठ।
- महतारी के कोख, कोंहार के आँवा।
- महराज जी हउअऽ त कोख में मरबऽ?
- मांगे के भीख पा के बीख। (बीख पादना (मु.) उ क्रोध में बात करना, ऐंठ कर बोलना)
- मांगे के भीख पू के गांव के जामा! (जामाउपूंजी, सम्पदा)
- मांड़ घोटाव ना पीठा ढ्केल। (पीठाउदाल-पीठा, आ की लोई दाल में पकाया हुआ)
- मांड़ जू ना, ताड़ी पर आसा।
- माई क कुट्वन-पिसवन, बेटा दुर्गादत्त।
- माई बेट्ी एके मती हमही उलदिया, हमरा के देखी के लुकइले उलदिया। (उलदिया उअधिक, उलद उल्था उ विपरीत)
- माघ बरखल चाहे, भाई जुदा भइल चाहे।
- माछ्ी मारा पों उखाड़ा, चींउटा से रणजीता, मैं तो बहुत वीर मजबूता।
- माट्ी के देवता तिलके में ओरा गइले। (ओरा जानाउ समाप्त होना)
- माथ ना बन्हवली, पिअवा के मन रखली।
- माथ पर मोट्री बहोर भइया, घर-घर पू मट्कोर कहिया। (बहोरना उ निकलना, घर से बाहर होना)
- माथ में लगावे के तेल ना पुआ पकावे के साध।
- मामा हित मामी मुँह मरावन।
- माय गुन बछ्री पिता गुन घोर, ना अधिक त थोरे-थोर।
- मायभा-मातारी खुश भइली, त कहली-“ए बाबू !लिट्यिा में तनी छ्ेद करऽ, तहरा के माठा दीं।
- मार के ट्र जाईं, खा के पड़ जाईं।
- मा गइले मेहरी, ठेठावे लगले डेहरी।
- मारेला भतार, हँसेला संसार, कहीं छू ना भतार।
- मालिक मालिक एके।
- मीठो चाहीं, भर कठौती चाहीं।
- मँुह एहिसन मँुह ना, मँुह तिनकोना।
- मँुह के बाफ ना रोकाला, हाँड़ी के बाफ रोका जाला।
- मँुह बाछ्ी के पे हाथी के।
- मँुह में दाँत ना चाउर-चिउरा से मस्का।
- मुँह ना धोवे से ओझा कहावे।
- मुँह र्तृया की ओर, गोड़ गोर्तृया की ओर।
- मुँह हइये ना बेल लील लिहले।
- मुठियक दाल में घुठियक पानी।
- मुरदा पर जइसे पाँच मन माट्ी, ओहिसे एक मन अउर।
- मुर्गी बोललस भइल बिहान, उठऽ हे जजिमान।
- मूलधन, आनधन, आधाधन गहना, कपड़ा लाता ट्ीम-टाम झां धन लहना।
- मूस गइल बिअल में धसन ठेठा के का होई!
- मूस मोइले लोढ़ा भइले।
- मेंह के बल पर घा के बैल फेंउकेला।
- मैं मर जइबो ट्का ना बिकइबो, ट्कवा देखि-देखि जीअरा बुझइबो।
- मैं रानी, तें रानी, के भरी डोला के पानी?
- मैं लरकोरिया, तू अलवात, दूनो जगतिया एके में बान्ह।
- मैं सुनरी, पिया सुनरी, गाँव के लोग बनरा-बनरी।
- मों पर ताव झगरुँवा नाव।
- मोर पिया बात ना पूछ्े, मोर सोहागिन नाव।
- मोर भूख मोर माई जानेले, कठौती भर पिसान साने ले।
- रसोइया एक जानी, गाजिर-बिजिर दू जानी, ब प त तीन जानी।
- रहल त मनही ना भावल, चल गइल त मन पछ्ताइल।
- रहल बुढ़िया भइल काल, मरल बुढ़िया भइल अकाल।
- रहला पर के दानी, भादो में कहाँ ना पानी?
- रहली इनिया बिनिया भइली गाँव के महतिनिया।
- रहली तीन जानी, पदली कवन जानी ?
- रही जीव त खाई घीव।
- राजा के ओढ़ना रानी के बइठना।
- राजा के बेटा, हुमेले के नाती, नौ सेर कपड़ा के बान् ले गांती।
- राजा दुखिया, परजा दुखिया, जोगी के दु:ख दूना दु:ख।
- राजा म इन्द्र घर पावे।
- राजावा के घर मोतिये के दु:ख
- राजावा के राज भइल बनरा के तिलक चढ़ल।
- रात अंधरिया पंथ ना सूझे, खाल ऊँच बराबर बूझे।
- रात भर बहुरिया चाँचर खेलस, दिन में कौआ देख डेरास।
- राम के नाम परात के बेरा।
- राम जी के चिरई राम जी के खेत, खाले चिरई भर-भर पेट्।
- राम जी के माया कहीं धूप कहीं छाया।
- राम भरोसे राम लीला पाठी।
- राम से गु ना त गुलाम से?
- राम-राम कहत रहऽ मड़ई में परल रहऽ।
- राह बतावे से आगे चले।
- रेंग-रेंग-रेंग, तोरा खपरी में बेंग।
- लंका में सब उनचासे हाथ।
- लंगा से खुदा हारे।
- लंगा से दूर भला।
- लंगा से लंगा लागे, तब फरिआला।
- लइका के रोग भइल दूध बढ़िया गइल।
- लइका भइल हल्ला भइल, सबेरे देखीं त बाबू के जूँजिये ना।
- लइका मालिक, बूढ़ देवान, मामला बिगड़े साँझ-बिहान।
- लउका पर सितुहा चोख।
- लउट्ल भाग भइली लरकोरी, नित उठ दूध भर-भर खोरी।
- लकड़ी छ्लिले चिकन, बात छ्लिले र्रूखड़।
- लछ्मी आवेली त छ्प्पर फार के।
- लछ्मी के आइल कहीं, ना गइल कहीं।
- लड् लड़ी त झिल्ली झरी।
- लड़ पड़ोसिन दीदा रात।
- लबरो के लइका भइल, उधापति नाम पड़ल।
- ललका चिउरवा, करिअवा गूड़, पे के जरले लिहले हूर।
- लागी से दिआई, बाकिर बाजी रोशन चउकी।
- लागे के बले, भागे के डरे।
- लाजू मरस लाज ला, पे मरस पेट् ला।
- लाजू मरस, ढ्ी जीअस।
- लाजे बहुरिया कोवा ना खइली, कमरी ले पिछुआरा गइली।
- लाजे भवे बोलस ना, सवा भसुर छ्ोड़स ना।
- लाठी के हाथे राउत बेवात। (बेवातउबिना बात के झगड़े के लिए तैयार)
- लात के आदमी बात से ना माने।
- लादल बैला लादल जाय, छुँछ्का बैला कोंहरत जाय।
- लाल मरिचइया तितइया बा ओतने, बूढ़ बानी तबो कुइया करेब ओतने।
- लाल-लाल पइसा त रुँदना कैसा ?
- लालची गइले खुशामद करे, परलोको के हानि भइल।
- लालू के धन जगधर बेवहरिया।
- लाह करीं पिया तोरा पर, पोंटा पोंछ्ी तोरा गोंछा पर।
- लिहीं तेकर दिहीं ना, खाईं सेकर गाईं ना।
- लूगा आ झूला सलूका चाहीं, जोसन ना बाजू भभूटा चाहीं।
- लू में चरखा नफा।
- लू ला कू खाव।
- ले दही, दही।
- ले लुगरिया चल डुंमरिया।
- लोकनी पू ना, कनिया हकन करे।
- लोट्वे ना त पेट्वे।
- लोभी के घर ठग उपास ना करे।
- लोहा के कल में रेंड़ के पचरी।
- वजन में बड़हर से कट्हर बड़ा।
- संगही पिया परिचय नाहीं।
- संदेसे देही ना जामे।
- संवसे गांव में एगो ओझा।
- सइंया से साँस ना देवर मारस मट्की।
- सकता बाभन ना भला, बैष्णो भला चमार।
- सकल चुड़इल के, मजमून परी के।
- सजनी के धन भइल, तर ऊँपर मन भइल।
- सती के रोवले देव रोवे।
- सब कुकुर कासी जइ त पतलवा के चाट्ी ?
- सब कोई दढ़िवाले बा, चूल्हा के फूंको!
- सब गुन के आगर धिया नाक के बहेंगवा।
- सब चिरैया झूमर पा लंगड़ा हुचुक।
- सब जगह नीच गोतिया से बरोबरी।
- सब दिन सेवले कासी, म के बेरा उसर-बासी।
- सब धन सुकुल के, सुकुल के मोल कुकुर के।
- सब रमायन बीत गइल, सियाजी के बिआह कब भइल, पते ना।
- सबके दुलार महतारी के हँकार।
- सर गल जइहें, गोतिया ना खइहें, गोतिया के खाए से, अकारथ जइहें।
- सरल गाय बाभन के दान।
- सरसो गिरहस्थ के निहाल भइले तेली।
- सरसो तरहथी पर, पेरऽ तेल, तब देखऽ जवानी के खेल।
- सराहल बहुरिया डोम घ जाली।
- सहर में गाली, गली में माँफी।
- सहर सिखावे कोतवाल।
- साँच के सोर पाताल में ।
- साँच में आँच का?
- साँझे गइली पराते अइली।
- साँप ना खोने बिअल, कोइरी ना बसे दीअर।
- साठा त पाठा।
- सात बेर सतुअन, भतार के आगे दतुअन।
- सात भतार सतबरता एक कइली गंड़गहता।
- सात मूस खा के बिलाई भइली भगतिन।
- सात सेर के सात पकवली, चौदह सेर के एके, तू दहिज सातो खइलऽ, हम कुलवंती एके।
- सातू के पे सोहारी से भरी?
- सादी करीं जान के, पानी पीहीं छान के।
- साधु-सजन के फुट्हा दुलम बेसवा फा सारी।
- साल के दूसाल बांस कटाले।
- साव सधे दूना लाभ।
- सावन भादो से दूबर?
- सावाँ सोहले मूर्ख सरहले।
- सास कि बोलि त घींच मारेब मूसर।
- सास के ड जुदा भइली, ननद परली बखरा।
- सास ना ननद, घर आनंदे-आनन्द।
- सास बाड़ी कूट्त, पतोह बाड़ी सूतल।
- सास भइली परसन्न त कोनाई के लगवली लिट््ट्ी।
- सास मांगस पानी, ढ्केल द रुँखानी।
- सास रुँठि त करि का? लुगरी छ्ोड़ पहिरहि का?
- सासु से ट्ेढ़ी पगहिया से मेरी।
- सियरा के मन बसे केंकरी के खेत में।
- सीता के दिन वियोग में ही बीत गइल।
- सील के लोर्हा क बड़ाई हमहँु शंभुनाथ के भाई।
- सुअर के बिस्टा, निपे के ना पोते के।
- सुकुवार बहुरिया के माझा ढ्ील।
- सुखला सावन भरला भादो।
- सुघा के मँुह कुत्ता चाट्े।
- सुधा बहुरिया के घंूघ तर साँप बिआले।
- सुन ए माट्ी के लोला, कायथ, सोनार कहीं भगत होला?
- सुनते साख ना पूछ्ल जाला।
- सुरहा ताल के मछ्री, तिनफेड़िया के आम, पकड़ी तर के बइठल, छ्ोड़ देहले राम।
- सूई ना समाय तहाँ फार घुसिआय।
- सूद के पैसा दोबर ना त गोबर।
- सूप के पिट्ला से ऊँ भागी?
- सेमर के फूल देखि सुगना लपइले, मरले ठोर भुआ उड़ि गइले, सुगना हो! इ मन पछ्तइले।
- सेर जागे, सवैया जागे छ्ट्ंकी के छ्ट्पट्ी बरे।
- सेर मरद पसेरी बरद।
- सेराइल बा सथाइल बा, बखरवो कहीं जाई!
- सोना सोनार के सोभा संसार के।
- सोम्ह आ दानी के खरचा बराबर।
- सोम्ह के धन सैतान के नेवान।
- सोरहो सिंगार घेघवे बिगाड़।
- सौ घर कसाई, ऊँहाँ एगो बाबाजी के का बसाई।
- सौ चो सोनार के एक चो लोहार के।
- सौ दवा एक संयम।
- सौ में सूर हजार में काना, सवा लाख में ऐंचां ताना, ऐंचा ताना क पुकार, कोइंसा से रहियो होंसियार।
- सौती के ट्ीस कठौती पर।
- हँस के बोले नारी, सारा काम बिगाड़ी।
- हँस के मांगे दाम, तीनो काम नकाम।
- हँसल घर ही बसेला।
- हँसुआ के बिआह में खुरपी के गीत।
- हंस के मंत्री कउआ।
- हजाम के बरिआत ठाकुरे-ठाकुर।
- हट्यिा के चाउर, बट्यिा के पानी, बइठल रिन्हेली मदोदर रानी।
- हट्यिा के चाउर, बट्यिा के दाल।
- हड़बड़ी के बिआह कनपट्ी पर सेनुर।
- हत्या के भरोसे बाछ्ी फोद काढ़ेले।
- हम अइनी तो आपन जान, तें सुतले कमरी तान।
- हम खेलीं आन से सइंया विरान से, कुकुर लौंड़ू खेले गइले जव के पिसान से।
- हमरा भरोसे रहिह ना, अपना घ खइह ना।
- हमार एक आँख, गोतिया के दूनो आँख चल जाव मंजूर।
- हमार नकिया छ्ँू जाला ए विसंभर भइया, तोहार लोलवा ए तेजनो।
- हर कुदार नेग चार, अमृत बसे खुरपी के धार।
- हर के मारल हेंगा विश्राम।
- हर टू घर भरे, पालो टू ब परे।
- हर द हरवाह द आंड़ खो के पैना दऽ।
- हर ना फार लबर-लबर हेंगा।
- हर ब से खर खाय, बकरी अंचार खाय।
- हर हेंगा में कोढ़िया पगुरी में रंग।
- हरवाह चरवाह के इनार के पानी।
- हरवाही में हरिनाम।
- हरही के पे में सोरही।
- हरिजन चा बरन में ऊँचा।
- हरी घास बकरी से इयारी।
- हाँके भीम भए चौगूना।
- हाकिम के हुकुम, नौकर के चाकर।
- हाथ अगरबत्ती, गा़ेड मोमबत्ती।
- हाथ के मुसरी बिअल में गइल, बिअल कोड़न लागल।
- हाथ गोड़ समतूला, आनकर रोट्ी बीख के मूला।
- हाथ पर पवली, पात पर चट्ली।
- हाथ में ना गा़ेड में ट्कहा लिलार में।
- हाथी अइलस हाथी, हाथी पदलख ट्ीं।
- हाथी के लिंग पर ई के फाहा।
- हाथी के हउदा ना, बकरी के ओहार।
- हाथी चोरावल, खाला-खाला गइल।
- हित कुटुम अइले-गइले।
- रमजानी, सतुआ सानीं, पे चली त हम ना जानीं।
- होत परात किरिया लेब, कारी भइंस अहीर के देब।
- होसियार के सउदा मन ही मन।
- होसियार लइका हगते चिन्हाला।
- बेटी चमार के नाम राजरनिया|
- रोए के रहनी त अन्खिये खोदा गइल
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