900+ भोजपुरी कहावत | Bhojpuri proverbs

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हमरा उम्मीद बा इ सब भोजपुरी कहावत रउवा अपना गाँव-घर में पुरनिया आ अउर आस पास के क्षेत्रन में बोल-चाल में जरूर सुने होखेब।

900+ भोजपुरी कहावत
900+ भोजपुरी कहावत

कवनो समाज के अगर पूरा तरह जाने के होखे त ओ समाज के मुहावरा आ कहावत सुने के चाही काहें से कि एक-एक मुहावरा अउर कहावत में ओह समाज के चिंतन अउर जीवन के सार भरल होला |

भोजपुरी कहावत गाँव में जनमल । गाँव से धीरे-धीरे शहर में आइल गाँव वाला लोग के बोलचाल में कहावत एह तरह से घुलल मिलल बा कि ओह लोग के बोलचाल से कहावत के निकालल सम्भव नइखे ।

भोजपुरी के 900 से ज्यादा कहावत

  1. अँइटा से गोइठा बड़ सुकुमार।
  2. अँखिए फूटी तऽ आजन का लगाइब।
  3. अंगुरी धरत धरत पहुँचा पकड़ लिहलैं।
  4. सिखावे बच्चा के कि चेउँ चेउँ बोल।
  5. अँटकल बनिया दे उधार।
  6. अन्धा के आगे रोवे आपन दीदा खोवे।
  7. अइली ना गइली दु केबऽ कहवली।
  8. अइले दमाद मन हरियर भइल।। कठवत के माँड़ हेन पतर भइल
  9. अइसन दुनियाँ बाउर, बेटा के पीठा, दमादे के जाउर।
  10. अइसन देश मँझउवाँ, जहाँ भात न पूछे कउवा।
  11. अइसन घसकट्टा के ई कवलगट्टा
  12. अउर अन्न खइलें, ना गोहूँ गँठिअवले।
  13. अकरब मुए ना छुतिहर फूटे।
  14. अकुतइले गूलर ना पाकेला।
  15. अकुताइल से बउराइल।
  16. अकेले चले न बाट, झार के बइठे खाट।
  17. अगहन दूना पूस सवाई, माघ मास घरहू से जाई।
  18. अगहन रजपुत अहीर असाढ़, भादो भइँसा चइत चमार।
  19. अगिया लगाय छउँड़ी बरतर ठाढ़।
  20. अघाइल बकुला पोठिया तीत।
  21. अघाइल भइँसा तबो अढ़ाई कट्ठा।
  22. अभी पोखरा ना खोनाइल तले घरियाड़ डेरा डाल देहलस।
  23. आँगन बरसे घर भरे बाछा घास न खाय, पहिले दही जमाई के पीछे कीन्ह गाय।
  24. अजगर के अहार राम चेतलन।
  25. अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम। दास मलूका कहि गये, सबके दाता राम॥
  26. अतना पर तऽ अइसन, काजर देला पर कइसन
  27. अदमी ना हवे, बागड़ हवे।
  28. अदरा गइल तीनों गइल, सन साठी कपास। हथिया गइल सभ कुछ गइल, आगिल पाछिल चास
  29. अदरा मास जे बोए साठी, दुख के मार निकाल लाठी।
  30. अधजल गगरी छलकति जाये।
  31. अधिका जोगी मठ उजार।
  32. अनकर दाना, हक लगाके खाना।
  33. अनकर सेनूर देखिके, आपन कपार फोरीं।
  34. अनका खाती काँटा बोवलन, काँटे उनके गड़ल।
  35. अनका कमाई पर तेल बुकवा।
  36. अनदेखल चोर राजा बरोबर।
  37. अन धन अनेक धन, सोना रूपा कतेक धन।
  38. अनाज खाये आपन, लोग कहे दलिद्दर।
  39. अन्हरा के दूगो अँखिये चाहीं।
  40. अन्हरा के आगे रोवे आपन दीदा खोवे।
  41. अन्हरा के आगे हीरा कंकड़ बरोबरि।
  42. अन्हरा बाँटे अपने ले।
  43. अन्हरी बिलाई माँड़े तिरपित।
  44. अन्हरे सियार के पिपरे मेवा।
  45. अन्हेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी, टका सेर खाजा।
  46. अन्हरे के भइँस बिआइल पड़िया, गाँव के लोग ले दऊरल हँडिया।
  47. अपन झूटा पर कुकुरो बली।
  48. अपन मन के मउजी, माउग के कहे भउजी।
  49. अपना दुआरे पर कुकुरबरियार
  50. अपने मन के जौ की, भात पकाईं कि लौकी।
  51. अपने जाँघ उघारऽ अपने लाजे मरऽ।
  52. अपनी करनी पार उतरनी।।
  53. अपने करे से काम, पास रहे से दाम।
  54. अपने पहरें रहीं जाग, आन के पहरे लागे आग।
  55. अपने मन से जानी पराया मन की बात।
  56. अबका लिलाम से तिलाम होई।
  57. अंजोरिया धरम के रात ह।
  58. अइली ना गइली फलां ब कहइली।
  59. अउरी जात के भुखाइल ना गोड के लवलइ।
  60. अकरावन पिया मर गइले, सेजिया देख भयावन भइले।
  61. अकेले मियाँ रोवस कि कबर खानस।
  62. अगरो अगरइली त खँडतर ले परइली।
  63. अगल-बगल घर गोलक में।
  64. अगली भइली पिछ्ली, पिछ्ली पुरधाइन।
  65. अगुताइल कोंहार लगले मूड़ी से माटी कोड़े।
  66. अगुताइल बिट्यिा के लइका भइल, गोड़ा तर धइल,सियार ले गइल।
  67. अघाइलो भइंस पाँच काठा।
  68. अण् सिखावे बच्चा के चेंव-चेंव मत कर।
  69. अनका धन पर तेल बुकवा।
  70. अनका धन पर विक्रम राजा!
  71. अनका धन पे रोवे अँखिया!
  72. अन्न बिनु लुगरी पुरुँख बिनु पइया, लुगवा के फट्ले धनि भइली बउरइया।
  73. अन्हरा सियार के महुआ मिठाई।
  74. आन्हर क गइया के राम रखवइया।
  75. अपना घर में कुकुर के सेना।
  76. अपना दही के अहीर खट्टा ना कहे।
  77. अपना दुआर कुतवा बरिआर।
  78. अपना बिनु सपना, गोतिया के धन कलपना।
  79. अपना मने सजनी, के गाँव के लोग क पदनी।
  80. अपना ला लालबिल जगतर ला दानी।
  81. अपना हारल मेहरी के मारल के ना कहे।
  82. अपने उरुँआ सुगा के पढ़ावऽ तारे।
  83. अपने दिल से समझो पराये दिल की बात।
  84. अब दिनन भइल भारी, अब का लदबऽ हो बेपारी।
  85. अबर कुट्निहार दउर-दउर फट्के।
  86. अबर के मेहरा गाँव भर के भउजाई।
  87. अबर सवार घोड़ी फोद काढ़े ले।
  88. अभागा गइले ससुरार, तहँवो मांड़े-भात।
  89. अरधी मेहरा बटैया खेत।
  90. अरवा चाउर बसिया माँड़, ओ में डाले समझी के डा़ँड।
  91. अ खाइल प पादल।
  92. अल्लाह के एक लड़का!
  93. अहीर के लाठी कपार पर।
  94. अहीर गड़ेरिया पासी, तीनो सत्यानासी।
  95. अहीर बहीर बन बइर के लासा, अहीर पदलेस भइल तमासा।
  96. अहीर बुझावे से मरद
  97. अहीर साठ बरिस ले नाबालिग रहेले।
  98. अहीर साधु, मूसर धनुही ना होले।
  99. अहीर से इयारी भादो में उजारी।
  100. अहीर, राजपुत, डोंम, तीनो जात हड़बोंग।
  101. अहीरिन के माँग में सोने का मंगटीका।
  102. आँख आन्हर देह मरखाह।
  103. आँख के अंधा नाम नयनसुख।
  104. आँख के आन्हर गांठ के पुरा।
  105. आँख चले भौं चले, अउर चले पपनी। सोरहो घर लट्टा लगावे, इ घर कुट्नी।
  106. आँख त हइये ना कजरौटा चाहीं।
  107. आँख ना दीदा मांगे मलीदा।
  108. आँख बिलबिल बग्गा में चरवाही।
  109. आँख में न कान में, एगो लकरी। सउसे समुंदर में एगो मछ्री।
  110. आँवा के आँवा झाँवा।
  111. आइ-माइ के ट्कि ना, बिलाई के भरमंगा।
  112. आइल थोर दिन गइल ढेर दिन।
  113. आइल बानी गवने, सकोचऽ तानी बात, ना तऽ अउर लेती भात।
  114. आइल मघवा, फूलल गाल, फिर उहे हाल।
  115. आई आम चा जाई लबेदा।
  116. आखिर मुरुँख पछ्तइहें, ट्ट्का भात बसिया क के खइहें।
  117. आखिर संख बाजल, बाकिर बावाजी के पदा के।
  118. आगी के तपला से जाड़ ना जइहें, पिया के कमाई से ऱ्हदया ना जुड़इहें।
  119. आगे अन्हार, पा सूझेना; जियरा चंडाल बूझे ना।
  120. आगे नाथ ना पा पगहा।
  121. आगे बैजू, पी नाथ।
  122. आतुर वश कुकर्मा।
  123. आदमी के दिन घोड़ा के दिन लागले ना रहे।
  124. आदमी चलते चिन्हाला।
  125. आदमी बन ट्ले, जल ना ट्ले।
  126. आधा बात समधिया जाने ले।
  127. आधा रोटी बस, कायथ हईं कि पस
  128. आनकर मूड़ी बेल बराबर।
  129. आनी से बानी भाखा से पहचानी।
  130. आन्हर आँख बबुर पर झट्हा।
  131. आन्हर कुकुर बतासे भोंके।
  132. आन्हर गु बहिर चेला, मंगले गुड़ लेअइले ढेला।
  133. आन्ही के आगे बेना के बतास!
  134. आप र्रूप भोजन परर्रूप सिंगार।
  135. आपन अपने ह, विरान विराना।
  136. आपन करनी पार उतरनी।
  137. आपन कानी र उतानी।
  138. आपन काम मो आवे दे।
  139. आपन दिया बार के मस्जिद के दिया बारीं।
  140. आपन निकाल मोर नावे दे।
  141. आपन फूली केउ ना निहारे, दोसर के ढेढ़ निहा ला।
  142. आमा गिहथिन रहली, त भर्रूके-भर्रूके पिसान भइल
  143. आवते बहुरिया जनमते लइकवा।
  144. इ कढ़ावे ली, त उ घोंटावे ली।
  145. इ गुर खइले कान छेदवले।
  146. इ बिलाइ बने गइली, उ महोखा बन गइलन।
  147. इजत बरोह जोगवले से।
  148. इजती इजते पे म ला।
  149. इडिल-मिडिल के छ्ोड़ऽ आस, धरऽ खुरपी गढ़ऽ घास।
  150. इयर फूट्ल बीयर फूट्ल, बाबा हो कुँआ बानी।
  151. इसर निकलस दरिदर पइसस।
  152. इसर से भें ना दरिदर से बैर।
  153. उ डाढ़ी-डाढ़ी त इ पाते-पाते।
  154. उखड़े बाल ना बरिआर खाँ नाम।
  155. उजरा गँव में ँ आइल, लोग कहे बलबले हऽ।
  156. उजारी टोल मुरारी महतो।
  157. उठ लिहली मुँह धो लिहली, पान के बीरा चबा लिहली।
  158. उठऽ बहुरिया सॅस ल ऽ ढेकी छोड़ऽ जाँत ल ऽ।
  159. उधरिया बइठले अगिला मंगा।
  160. उधिआइल सतुआ पितर के दान।
  161. ँ चुराये निहुरल जाय।
  162. ए गाय! खा, तहार बाछा बिकाई।
  163. ए बबुआ! तोर भाई केइसन! घर-घर ढ्ँूढ़े बिलरिया एहिसन।
  164. ए बुरी गोह! ध के गोड़ त धइले बाड़े सोर!
  165. ए भइंस, आपन पोंकल नेवारऽ, तहरा दूध से बाज आवतानी।
  166. ए हाथ करऽबऽ, त ओ हाथ पइबऽ।
  167. एक आन्हर एक कोढ़ी, भले राम मिलवले जोड़ी।
  168. एक ट्का के मुर्गी नव ट्का के मसाला।
  169. एक त गउरा अपने गोर, दूसर लहली कमरी ओढ़।
  170. एक त छ्उँड़ी नचनी, गोड़ में परल बजनी, अउरी हो गइल नचनी।
  171. एक बोलावे चौदह धावे।
  172. एक मन के बंसी, चौरासी मन के छ्ीप।
  173. एक लकड़ी, नब्बे खर्च।
  174. एक हाथ के ककरी, नौ हाथ के बिआ।
  175. एके माघ ले जाड़ ना होला।
  176. एड़ी के मा भेड़ी के खौरा। (गर्ज दूसरे को, खुद बेचैन)
  177. ए ले ललगंड़िया के सोने के बनुक। रात चलावे, दिन खरची के दु:ख।
  178. ओएड़े-गोयड़े खेत चरइहऽ मेहरी के ट्किुला देख-देख जइहऽ।
  179. ओछ्री के भोज में छुछुनरी गइल नेवता।
  180. ओढ़ले पहिरले वर, छ्पले-छुपले घर।
  181. केंगाल ठीक, जंजाल ना ठीक।
  182. केंठी, चंदन, मधुरी बानी, दगाबाज के तीन निसानी।
  183. कउआ खइले अमर!
  184. कतनो अहिर होई सयाना, लोरिक छाड़ि न गाव आना।
  185. कथनी कथे अगाध के चले गिध के चाल।
  186. कनिओ के मौसी, दुलहो के मौसी।
  187. कनिया के आख में लो ना, लोकनी हकन करे।
  188. कपार पर के लिखल के मेटाई
  189. कभी नाव पर गाड़ी, कभी गाड़ी पर नाव।
  190. कम कूबत, मार खाये के निसानी।
  191. कमाय धोती वाला खाय टोपी वाला।
  192. करत में डाँड़ टू खात में नीक लागे।
  193. करनी ना धरनी, धिया होइ ओठ बिदरनी।
  194. करम फूट्ल गेहूँ के, गेहूँ गइले घोनसारी।
  195. करवाँ कोंहार के धी जजमान के।
  196. करिअवा भेली ढ्ेर मीठ।
  197. करिआ अछ्र भइंस बराबर।
  198. करिआ कमरी में लाल के तोई।
  199. करिया बाभन गोर चमार।
  200. करिया भइंस अन्हारी रात, ब प अहिर के जात।
  201. करिया में कुच-कुच करिया में काई। करिया भतार देख आवेला ओकाई।
  202. करिया वाभन गोर शुद्र, ओह के देख काँपे रुँद्र।
  203. कर्जा लेके साख बनी!
  204. कलकत्ता के कमाई जूता छाता में लगाई।
  205. कलवार के लइका भूखे मरे, लोग क ताड़िए पी के मातल बा।
  206. कहला बिनु कथनी ट्ेढ़!
  207. कहला से धोबी गदहा पर ना चढ़े।
  208. कहाँ राजा भोज कहाँ भोजवा तेली!
  209. कहावे के अनेरिआ, चलावे के लधार।
  210. कहिया राजा अइहें, त कब हँडिया धोअब
  211. कहीं के ईं कहीं का रोड़ा, भानमती के कुनबा जोड़ा।
  212. क के रहनी कहल ना जाव, कहला बिना रहल ना जाव।
  213. का खुरपी के बान् धइले, का खुरपी के बेंचले!
  214. का पर कर्रूँ सिंगार पिया मोर आन्हर। (का पर उ किस पर)
  215. काँस-पितर कवनो गहना ना, करिया भतार गोड़ जातऽ ना।
  216. काठ के हँडिया एके बेर।
  217. कातिक गइले, बैल पदवले।
  218. कान कुइस कोत गर्दनिया, ए तीनों से हा दुनिया।
  219. कानी गाय के अलगे बथान।
  220. कानी बिलाई के घर में शिकार।
  221. काम क नथ वाली, लागे चिरकुट्ही।
  222. काम के ना काज के दुस्मन अनाज के।
  223. काम के ना काज के कटावऽ घोड़ी घास के।
  224. काम धाम में आलसी भोजन में होसियार।
  225. काम न धन्धा अढ़ाई रोट्ी बन्धा।
  226. काम प्यारा चाम नहीं।
  227. काल्ह के बनिया आज के सेठ।
  228. का रजवा के घ अइले, का रे विदेसे गइले।
  229. का भीम गए अगुताई, तातल दूध ओठ ज जाई।
  230. कि पे भा अनवतवा भाय, कि पेट् भा नमिया माय।
  231. कुकुर बिलाई के जमघट्।
  232. कुटुम कुटुम जइसन रहले कुटुम ओहिसन पवले कुटुम।
  233. कुत्ता का अनजान के बनिया काट्े पहचान के।
  234. कु के बैल, त कुदेला तंगी।
  235. कुबंस ले निरबंस अच्छा।
  236. कुल कपड़ा रखले से।
  237. के मनावल! त बकरी।
  238. के हऊँ! त बर के मउसी; नून देबू! त अगतिआ नइखे।
  239. केंकरवा के बिहान केंकरवे खाला।
  240. केंकरा पैर पसारे, त पोखरा के थाह पावे।
  241. केतनो अहिर पिंगल पढ़े, बाकिर बात जंगल के बोले।
  242. केतनो करि चतुराई विधि के लिखल बाँव ना जाई।
  243. केतनो खेती बना के जोतीं, एक दिन दखिना लग जाई।
  244. केतनो चिरई उड़ि आकास, लेकिन करि धरती के आस।
  245. केतनो बरई पान जोगइहें, पाला परिए जाई।
  246. के के बैगन पंथ के के बैर।
  247. के खाते-खाते मुये, के खइला बिनु मुये।
  248. के ना पू हा बानी।
  249. कोइरी के पहुना!
  250. कोई गंगा नहाइल कोई गुड़ही।
  251. कोई जनम के संघाती होला, करम के ना होला।
  252. कोई लेत कोई देत कोई ट्क देले बा।
  253. कोढ़िया डरावे थूक के भरोसे।
  254. कोदो साँवा अन्न ना, बेट्ी दामाद धन ना।
  255. कोल्ह एहिसन मरदा, कोतार एहिसन जोय, सेकर लइकवा चीलर एहिसन होय।
  256. कौआ के आँड़ उड़ते में चिन्हा जाला।
  257. कौआ ले कबलवे चतुर।
  258. खइले पियले साथ।
  259. खग ही जाने खग के भाखा।
  260. खा ले पी ले, चुल्हा के ढ्हा दे।
  261. खा ले बेट्ी दूध-भात आखिर परबे विराना हाथ।
  262. खाऽ त धी से, जाऽ त जी से।
  263. खाँड़ छ्ोड़ सउँसी पर धावे, सउँसी मिले ना खांड़ा पावे।
  264. खाए के ना खिआवे के दउर-दउर कोआ बिछावे के।
  265. खाए के नाना के, कहाए के दादा के।
  266. खाए के बेट्ी, लु के दमाद, हाथ-गोड़ तजले बा गोतिया-देआद।
  267. खाए के मन ना नौ गो बहाना।
  268. खाए के मांड़ ना नहाये के तड़के।
  269. खाना कुखाना उपासे भला, संगत-कुसंगत अकेले भला।
  270. खास भीम हगस सकुनी।
  271. खिआवे के ना पिआवे के, मांग-ट्ीका धोवे के।
  272. खिचड़ी खात नीक लागे, बटुली मलत पे बथे।
  273. खेत खाय पड़िया, भइंस के मुँह झकझोरल जाय।
  274. खेत च गदहा मार खाए धोबी।
  275. खेत ना जोतीं राड़ी भइस ना बेसाहीं पाड़ी।
  276. खेत-खेत पाटा, देह-देह नाता।
  277. खोंसी के छाल पर कुत्ता के मांस बिकाय।
  278. खोंसी के जान जाय, खवैया के सवा ना।
  279. खोलले बकरी, बन्हले लकड़ी।
  280. गइल घर बुरबकवे बिना।
  281. गइल जवानी फिर ना लौट्ी, चा धी मलीदा खाय।
  282. गइल बहुरिया तीनों से- र्तृया, गोर्तृया, रसोइया से।
  283. गइल भइंस पानी में।
  284. गइल माध दिन उनतिस बाकी।
  285. गत के ना पत के सुते अइले स के।
  286. गदहा के इयारी लात के सनसनहट्।
  287. गया मरद जो खाय खटाई, गई नारि जो खाय मिठाई।
  288. गया राज चुंगला पैठा, गया पेड़ बगुला बैठा।
  289. गया आसन बनारस पीठा।
  290. गरदन में ढ्ोल परल, रो के बजावऽ चा गा के।
  291. गरह से निकल गरहन में।
  292. गलगर होइहऽ धिया, बड़ होके रहिहऽ।
  293. गवना के घूँघ अउर लइकाई के कुई ना मिले।
  294. गाँव भर ओझा, चलीं केकरा सोझा
  295. गा कट्हर, ओ तेल।
  296. गाय ओसर भइंस दोसर
  297. गाय गुन बछ्ड़ा पिता गुन घोड़, ना कु त थोड़े-थोड़।
  298. गाय ना बाछा, नींद प अच्छा।
  299. गाय बाभन घुमले फिरले।
  300. गाया में गाय दान, रास्ता में बाछ्ी, घर अइला पर बावा जी खोसी लेबऽ कि पाठी !
  301. गाल देब बजाय, सासु जइ लजाय।
  302. गुदर-मुदर सब सोये, बिसनिया लोगवा रोवे।
  303. गु गुरुँये रह गइले, चेला चीनी भइले।
  304. गु से गुरुँआई ?
  305. गृद्ध दृष्टि अपार।
  306. गेंठी खुले ना बहुरिया दुबरास।
  307. गेहँू के साथ घून पिसाला।
  308. गो के एगो गोड़ टूट्यिे जाई, त ओकर का बिगड़ी!
  309. गोड़ गरीबनी मगज बिल़ंड।
  310. गोदी के दहाइल जा, ढ्ीढ़ के ओझाई।
  311. गोबर जरे, गोइठा हँसे।
  312. गोबर सूँघला से मुसरी जीओ।
  313. गोर चमइन गरबे आन्हर।
  314. गोसेया भुइंया कुकुर पंुजौली।
  315. घंट्ी क घनर-घनर अउर नकजपना। ठाकुर जी के अंगुठा दिखा के खा ले मन अपना।
  316. घट्ले नाती भतार
  317. घर के मारल बन में गइली, बन में लागल आग। बन बेचारा का क कि करमें लागल आग ?
  318. घर छाय देखनी घर छुप देखनी, घर में तनी आग लगा के देखनी।
  319. घर ना दुआर बर तर ठाढ़। (बहसपना)
  320. घर पर छ्पर ना बाहर फुटानी।
  321. घर फु गंवार लूट्े।
  322. घर भर देवर भतार से ठट््ठा।
  323. घर में खरची ना, बाहर ढ़कार।
  324. घर मेह ना, बेटा बाहर क्रिया खास।
  325. घर-घर देखा एके लेखा।
  326. घर लौका बन लौका लौका के तरकारी, एहिसन घा उतरले लौका गइले ससुरारी।
  327. घीव के कूंड़े, नाहीं त जव के ठूढ़े।
  328. घीव देत घोर नरिया।
  329. घीव संवा काम बड़ी ब के नाम।
  330. घीवो खाइब, त खेंसारी के दाल में।
  331. घूघ मोर चुवेला ठेहुनवा, पाद मोर सुनेला पहुनवा।
  332. घेंाघा के मुँह खुलल।
  333. घोंघा में बनावेलीन सितुहा में खालन। (खालन उ खाती है)
  334. घोड़ी पड़ी अहिर के पाले, ले दौड़ायल आले-खाले।
  335. घोड़े की नालबाजी में गदहा पैर बढ़ावे।
  336. च मड़वा प बिआह।
  337. च लिट्ी प भंटा।
  338. चढ़े के हाथी पर चले के भुइंया-भुइंया।
  339. चमड़ा के ढ्ेर पर कुत्ता के रखवारी।
  340. चमार के सरपला से गाय मरी!
  341. चमार सियार सदा होसियार।
  342. चरभर के अंत मिले, मुरघुइंस के ना मिले। (चरभरउ अधिक बोलने वाला, मुरघुइंसउ चुप्पा अन्तर्मुखी)
  343. चल बगेरी आपन झुण्ड।
  344. चलनी धूसली सूप के, जिनका अपने सहसर गो छ्ेद।
  345. चार बेद चार ओर, ता बीच चतुरी। चार्रू वेद करऽ ता चतुरी की चाकरी। (बिना बुद्धि जरो विद्या)
  346. चाल चले सिधरी, रो के सिर पर बिसरी।
  347. चालाक पदनिहार पहिलहीं नाक दाबे।
  348. चा र्तृया घर रहे, चा र बिदेस।
  349. चिउरा के गवाह दही।
  350. चिउरा दही बारह कोस, लिचुई अठारह कोस। (लिचुईउपूड़ी)
  351. चित प त हमार, प प त तहार
  352. चिरइआ उ बिआ, पंखिया रंगा गइल बा।
  353. चिरई के जान जाय लइका के खेलवना।
  354. चींट्ी अपना पावें भारी, हाथी अपना पावें भारी।
  355. चीना के सपूत भइले मार्हा। (चीना उ एक प्रकार का अन्न, इसके चावल को भूनने पर “मार्हा’ बनता है। “मार्हा’ दूध दही के साथ खाने पर बहुत अच्छा लगता है)
  356. चेत करऽ बाबा बिलार मा मट्की।
  357. चेरिया बिअइली मर के, रानी कहली “बेट्ए’ ?
  358. चोर के मुँह चाँद निअर। (निअरउजैसा)
  359. चोर के हजार बुद्धि।
  360. चोरवा के मन बसे केंकरी के खेत में।
  361. चोरी क निहाय के, क सूई के दान। उ चा बैकुण्ठ के त बुरबक बाड़े राम। (निहायउसोनारी का एक समान जिसपर सोना, चांदी पीटा जाता है)
  362. छाव क छौंड़ी छाव करे, अंगुरी का के घाव करे। दवा देहला पर छ्पबे ना करे, बिना भतार के रहबे ना करे।
  363. छ्ीन छ्ोर के खाईं, बापू कहाईं।
  364. छुछुन्दर के माथ पर चमेली के तेल। (छुछुन्दरउ चू की एक प्रजाति)
  365. छ्ो मुँह बड़ कवर
  366. छ्ोलक खट्यिा ढुलकत घोर नारी करकसा विपत के ओर। (घोरउघोड़ा, विपत के ओरउअतिशय विपत्तिदायक)
  367. छ्ोलक जात बदरक घाम, मउगा से पत राखऽ राम। (छ्ोलकट्उ छुद्र,इ शूद्र, पतउइज्जत)
  368. छ्ो छाती फा लोर के ठेकाने ना।
  369. छौंड़ी तोर आँगन कतेक !
  370. जग जगदीश के।
  371. जजमाने के घी, जजमाने के लकड़ी स्वाहा।
  372. जथा के ठेकाने ना कुटुम्ब करस धावा।
  373. जनम के दुखिया करम के हीन, हाथ में खुरपी मोथा बीन।
  374. जनमत खइले माता-पिता के, घुसकत आजा-आजी। ममहर में ननिअउरा खइले, कुल में दागा-बाजी।
  375. जनाना के खाइल मरद के नहाइल केहू ना देखे।
  376. जब कवर भीतर, तब देवता पीतर।
  377. जब चिन्हबे ना करब त आपन केहिसन !
  378. जब जेहिसन तब तेहिसन, इ ना बूझे से पंडित केहिसन!
  379. जब राम तकि सब दु:ख भगिहें।
  380. जब ले करेब पूता-पूता, तब ले लगाइब आपन बूता।
  381. जब साग से ना जुड़इनी, तब साग के पानी से जुड़ाएब!
  382. जब हाँड़ी पर ढ्कना ना होखे, त बिलाइयो के लाज क के चाहीं।
  383. जबर मउगी के अबर बोतू।
  384. जबरा क जबरई, अबरा क नियाब।
  385. जबरा मारे, रोवे ना दे।
  386. जबाब से के जीभ काट्ी?
  387. जरी जलुहार त पुलंगी भूमिहार।
  388. जव के दिन जइहऽ, सतुआरी के अइहऽ।
  389. जव के रोट्ी गबर-गबर, सास ले पतोह जबर।
  390. जवन जानल जाला, तवन बात के सीअल जाला।
  391. जवना डार पर बइ के ओही के का के।
  392. जवना पतल में खाए ओही में छ्ेद करे।
  393. जवान मउगी के कोख भारी।
  394. जस दुलहा तस बनी बराती।
  395. जस बबुआ तस बबुनी नाहीं, जस ढ्ेबुआ तस कुई नाहीं।
  396. जस-जस धीया बाढ़ेली, तस-तस काँढ़ काढ़े ली।
  397. जहाँ गेहुअन के मूड़ी, तहाँ बाबू के सिरहान।
  398. जहाँ चार कानू, तहाँ बात मानू।
  399. जहाँ चार गगरी, तहाँ लड़बे करी।
  400. जहाँ ढ्ेर मउगी, तहाँ मरद उपास।
  401. जहाँ न पहुँचे रवि, तहाँ पहुँचे कवि।
  402. जहाँ मीठा होई, उहाँ चिंउट्ी लगबे करी।
  403. जहाँ मुर्गा ना होई, तहाँ बिहाने ना होई?
  404. जहाँ लू प तहाँ टू परीं, जहाँ मार प तहाँ भाग परीं।
  405. जाईं नेपाल, संगही कपार।
  406. जाइज पर रहेब त करऽबऽ का?
  407. जागऽ किसान, भइल बिहान, फौड़ा उठावऽ चलऽ खेते।
  408. जागल भाग पड़ले पाले, धइले पोंछ् पट्कले खाले।
  409. जातो गंवइली, भातो ना मिलल।
  410. जा जोगी मठ के उजाड़।
  411. जानीं से सानीं।
  412. जाने ले चीलम, जिनका पर चढ्ेला अंगारी।
  413. जिअला में बोरा ना, मरला पर दोलाई।
  414. जिन पुत जनमले ना होइहें, उ अबट्ले का होइहें।
  415. जिन ब अपने छ्निार, लगवली कुल परिवार।
  416. जीअता पर छूँ भात, मरला पर दूध भात।
  417. जीतला के अगाड़ी, हारला के पछाड़ी।
  418. जुरता पर कुरता।
  419. जु साग ना सोहरत जाय।
  420. जे खाय गाय के गोस, उ कइसे हिनू के दोस!
  421. जे जनमते ना उजिआइल, उ आगे का उजिआई?
  422. जे ना पढ़ी फकरा, उ का पढ़ी पतरा!
  423. जे ना पू से का बाबा।
  424. जे पंच, सेही चट्नी।
  425. जे पांड़े के पतरा में, से पंडिताइन के अंचरा में।
  426. जे फूल होखे से महादेव जी पर।
  427. जे बनावे जाने, उ खाए भी जाने।
  428. जे बाड़े से गु बाबा।
  429. जे रोगिया के भावे से बैदा फुरमावे।
  430. जेकर धन जाले ओकर धरम जाले।
  431. जेकर पिया माने, से सोहागिन।
  432. जेकर बनरी से ही नचावे, दोसर नचावे त का धावे।
  433. जेकर माई पूड़ी पकावे, सेकर बेटा छ्छ्ने।
  434. जेकर मुँख बदन न पाईं, ओकरा आंगन का क जाईं ?
  435. जेकर रोट्ी उ बन-बन फिरे, फकीरवा ठोक-ठोक खाय।
  436. जेकरा घूरा बइ के ओक आंड़ दागे के?
  437. जेकरा घेघ ओकरा उदबेगे ना, देखवैया का उदबेग?
  438. जेकरा छाती में बार ना ओकर एतबार ना।
  439. जेकरा पर चूई, से छायी।
  440. जेकरा पास माल बा, ओकर गोट्ी लाल बा।
  441. जेक माई मरे, ओक पतल में भात ना।
  442. जेतना के मुन्ना ना ओतना के झुनझुना।
  443. जेतना घट्वा गरजे ओतना बरसे ना।
  444. जेतना मुअड़ी मारीं ओतना हगाईं।
  445. जेतने घी ओतने चीकन।
  446. जेहिसन कोंहड़ा छान्ही पर, ओहिसन कोंहड़ा भूइयाँ।
  447. जेहिसन जात ओहिसन भात।
  448. जेहिसन दाल-भात, ओहिसन फतेहा।
  449. जेहिसन देव ओहिसन पूजा।
  450. जेहिसन देवर ओहिसन भउजाई।
  451. जेहिसन नेत ओहिसन बरक्कत।
  452. जेहिसन रहर ओहिसन बीआ, जेहिसन माई ओहिसन धीया।
  453. जेहिसन राजा ओहिसन परजा।
  454. जेहिसन हीरा के चोर ओहिसन खीरा के चोर।
  455. जैसी ब बयार पीठ तब तैसी दीजै।
  456. जोलहा के बेगार पैठान।
  457. झोरी में फुट्हा ना सराय में डेरा।
  458. ट्का ट्काई नौ ट्का बिदाई।
  459. ट्का पास में जो साथ में।
  460. ट्ʠ??्हरी के छ्पला से बादर छ्पाई?
  461. टूट्लो तेली त नौ अधेली।
  462. ठाँव गुन का कुठाँव गुन कारिख।
  463. डाँड़ डूबल जाव, ठेहुना के पते ना।
  464. डिबनी कतके दूर, अब निअराइल बा।
  465. ढ्ँू कुकुर गोसेंया के हानि।
  466. ढाल छुरा तर्रूआ गइल कुँअर के साथ, ढ्ोल मजीरा खंजड़ी, रहल उजैनी हाथ।
  467. ढुलमुल बें कुदारी के, हँस के बोले नारी से।
  468. ढ्ेलाह खेत, पेटाह बेटा बाद में बुझाला।
  469. तर धइली छ्तिनी ँपर धइली साग, पिअवा कहलस पदनी, त लौट्ल भाग।
  470. तर धरती ना ँपर बंजर।
  471. तसलिया तोर कि मोर!
  472. तहरा किहाँ जाएब त का खिअइबऽ, हमरा किहाँ अइबऽ त का लेके अइबऽ?
  473. ताकते बानी, लउकत नाहीं।
  474. ताग पा के जूरा, चिरकु के फुरहुरा।
  475. ताग पा ढ्ोलना, कु नहीं बोलना।
  476. ताड़ी के चिखना, बाप के कमाई, जोगाऽ के खाईं।
  477. तीन कायथ कहवाँ, बिपत प तहँवा।
  478. तीन जात अलगरजी, बढ़ई, लोहार, दरजी।
  479. तीन जात घचान्हर, ँट्, बिद्यार्थी, बानर।
  480. तीन जात हड़बोंग, राजपूत, अहीर, डोंब।
  481. तीन ट्कि महा बिकट्।
  482. तीन दिन रहई, त पियाजी से कहई।
  483. तीन परानी पदमा रानी।
  484. तीन परानी पोखरा रानी।
  485. तीन मन में तिनमनिया, सेर भर में उतनिया।
  486. तीन में कि तेरह में, कि सुतरी के गिरह में!
  487. तीन विप्र कहँवा, ब प तहँवा।
  488. तीस में ट्ीस, चालिस में नखालिस।
  489. तू गंगा पार हम जमुना पार।
  490. तू धनैतिन धने आगर, हम तरवा के धू आगर
  491. ते गोतिन गगरी, हम ते बरोबरी।
  492. तेतर बेट्ी राज लगावे।
  493. तेलिया हा बार-बार, दइबा हा एक बार।
  494. तोर नउजी बिकाय, मोर घेलुआ दे।
  495. तोरा त पेट्वे ना त लोट्वे।
  496. थान हार जइहें, बाकिर गज ना हरिहें।
  497. दमड़ी की हाड़ी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई।
  498. दरबे से सरबे, चहबे से करबे।
  499. दवा भीतर दम बाहर।
  500. दही के गवाह चिनी।
  501. दही के रखवार बिलार।
  502. दही तब सही।
  503. दाँत के ठेकाने ना, रहरी के भसक्का।
  504. दाजे गइल खेती, रिसे गइली बेट्ी।
  505. दादा काट्ेले घास, मोरा हँसी आवेला।
  506. दादा के भरोसे अदौरी भात।
  507. दादा दी हँसुआ, त घास का जाएब।
  508. दादा मरि त पोता राज करिहें।
  509. दानी दान क भंडरी के पे फूले।
  510. दानी ले सोम्ह भला, जे ठावें देत जवाब।
  511. दा उनकर छाती फाट्े, लोर के ठेकाने ना।
  512. दिआरा के बंस, कभी राजा कभी रंक।
  513. दिन जाला गुन भारी होला।
  514. दिन भर चले अढाई कोस।
  515. दिन भर मांगे त सवे सेर।
  516. दिल लगे दिवार से तो परी क्या करे।
  517. दुधार गाय के गो लातो सहल जाला।
  518. दुनिया दुरंगी मुवल्लिक सराय, कहीं खूब-खूबी, कहीं हाय-हाय।
  519. घर भोज भइल, कुतवा के मन हुलबुलिये में।
  520. मने दूमनिया, तीन मने उतनिया, ना र त पे कुनिया।
  521. दूध-पूत छ्पिवले।
  522. दूनो हाथ से ताली बाजे ला।
  523. देख पड़ोसी झल्ल मारे।
  524. देखत माया परखते छ्ोह, जब देखीं त लागे मोह।
  525. देखनी में से चिखनी में।
  526. देखनीहार के धरनीहार लागे।
  527. देखल कनिया देखल वर, कोठी तर बिछ्ौना कर।
  528. देखले छ्उँड़ी समधी।
  529. देखहीं के बाड़े पिया, चिखहीं के नाहीं, सूरत बा कवनो लजत नाहीं।
  530. देखा-देखी पाप, देखा-देखी धरम।
  531. देवकुरी गइले दूना दुख।
  532. देह घुसके ना गेहँू बन चाहीं
  533. देह डोरा, पे बोरा।
  534. देह में दम ना बजार में धक्का।
  535. देहात में गाही, बाजार में नौ गाही।
  536. धन के बढ़ल अच्छा, मन के बढ़ल ना अच्छा।
  537. धन मधे कठवत, सिंगार मधे लहँगा।
  538. धनिके के पहुना के दाल भात बारा, गरीबे के पहुना के मकई के दारा।
  539. धान के देस पुअ से बुझाला।
  540. धीया ना पूता, मुँह चा कुत्ता।
  541. “न’ से ” ‘।
  542. नइहर जो, ससुरा जो, जांगर चला बेट्ी कतहूँ खो।
  543. नइहर रहले ना जाय, ससुरा सहले ना जाय।
  544. नइहर से आइल लुगरी, चढ़ गइल गुलरी।
  545. नकली नारी बिपत के ओर।
  546. ननद के भी ननद होले।
  547. नया धोबिनिया लुगरी में साबुन।
  548. नया मियाँ, जिया पिआज खाले।
  549. नया लूगा तीन दिन, लुगरी बरीस दिन।
  550. नया-नया राज भइल, गगरी अनाज भइल
  551. नरको में ठेला-ठेली।
  552. नव जानेली छ्व ना जानेली।
  553. ना अकरब मुये, ना छुतिहर फूट्े।
  554. ना उ देवी बाड़ी, ना उ कराह बा।
  555. ना के में दोष बा, ना के नीमन बा।
  556. ना चलनी के पानी आई, ना परउस के बरहा बराई।
  557. ना धोबिया के दोसर खाहिन, ना गदहवा के दोसर मउआर।
  558. ना हिनुए में ना तुरुके में।
  559. नाग मरलन डोंड़ ट्ीका भइल
  560. नाचे कू तू तान सेकर दुनिया राखे मान।
  561. नाचे से कब ले बांचे!
  562. नाधा त आधा, आधा त साधा।
  563. नानी के आगे ननिऔरा के बात।
  564. नानी, पानी, बेइमानी के धन ना रसे।
  565. नान्ह बिट्यिा, पुरान जबड़ा, भतार के मरली चार तबड़ा।
  566. नाम गंगादास, कमंडल में जले ना, नाम अन्हारी बारी, होम क के पल्लवे ना।
  567. नाम धनपति, घर पर करायने ना।
  568. नाम रामायन, करीखही अक्षर से भें ना।
  569. नाम लवंगिया, बसाय अंडरबोय।
  570. नामी बनिया के नाम बिकाला।
  571. नामे नाम, ना त अकरवले नाम।
  572. निझारल जिएला, विस्वासे मुयेला।
  573. निपले पोतले डेहरी, पेन्हले ओढ़ले मेहरी।
  574. निरबंस अच्छा बहुबंस ना अच्छा।
  575. निरबल के दइबो सतावे ले।
  576. निरबल के बल राम।
  577. नीम हकीम खत जान, भीतर गोली बाहर प्रान।
  578. नीमन गीत गाएब, ना दरबार देखे जाएब।
  579. नेकी बदी साथ जाला।
  580. नेत धरम के मारी मुँह, पे भ तवन करीं काम।
  581. नोहरनी देखले नोह बढ़ल।
  582. नौकर ऐसा चाहिए घर कभी ना जाय, काम क ताव से भीख माँग कर खाय।
  583. नौकर के चाकर मड़ई के ओसारा।
  584. पंडित सोइ जो गाल बजावा।
  585. पइंचा में पानी ना परे।
  586. पइसवा तीन, चिजुइया कीनी बीन।
  587. पइसा ना कौड़ी, बीच बाजार में दौड़ा-दौड़ी।
  588. पकड़े के गोड़ त पकड़ले बाड़े सोर।
  589. पड़ोसिन सिहैली उपास।
  590. पड़ोसिया के सिहइला से इनार के पानी झुरा जाला।
  591. पढ़लऽ त बड़ा गुन कइलऽ, हँसलऽ त दूनों कुल नसइलऽ।
  592. पढ़े फारसी बेचे तेल, देख भाई कुदरत के खेल।
  593. पत कवर बिसमिल्ला।
  594. पतरी तिरिअवा कुलवा के हानि, सरबस खा के निरबस बानि।
  595. पतिबरता कहाँ नइखी, कुट्नी से बचें तब त!
  596. परले राम कुकुर के पाले, धइले पों पट्कलस खाले।
  597. पर्रूआ बैल हेव के आशा।
  598. पहिला दिन पहुना, दूसरा दिन ठेहुना, तीसरा दिन केहुना।
  599. पहिले खइली घोर-घार, तब खइली पिठुरा, थाली धो के पी लेहली, पेट् हो गइल सुसुरा।
  600. पहिले लिखीं, पी दीहीं, घ त कागज के बाप से लिहीं।
  601. पांक से पांक ना धोआई।
  602. पाकल आम के कवन ठीक, कब चू जाई!
  603. पातर डेहरी अन्न के खैकार।
  604. पातर डेहरी फोंफड़ बाँस, मउगा बेटा कुल के नाश।
  605. पानी में मछ्री, नौ-नौ कुट्यिा बखरा।
  606. पाव भर धनिया सहादलपुर कोठी।
  607. पिआ सरा त गाछ्ी पर, पंच सरा त भुइंया।
  608. पुरबिल्ला के चूक रहे। (पुरबिल्लाउपूर्वजन्म)
  609. पुरवइया के बहल राँड़ के रोवल, कब बाँव ना जाला।
  610. पुरानचाउर पंथ परेले।
  611. पु भाई नाक वाला।
  612. पू ना पाछ्े, हम दुलहिनिया के मौसी।
  613. पूत परजा बराबर।
  614. पूस के दिन फूस, माघ के दिन बाघ।
  615. पे क कुरकुर, जूड़ा क मँहमँह।
  616. पे में रही त गुन करी, बाहर जाई त खून करी।
  617. पेन्हेला सब कोई, चमकावेला कोई-कोई।
  618. पैसा त बेसवा भी कमाले।
  619. फट्क के लीं, फट्क के दीं।
  620. फट्क गिरधारी, जिनका लोटा न थारी।
  621. फाट्ल जामा बाजार में धक्का।
  622. बइठल ले बेगारी भला।
  623. बउरहवा के भंइस, गाँव भर धंूचा ले के दउड़े।
  624. बकरी कहिया के मरखाह, कोईरी कहिया के सिपाही।
  625. बकरी के महतारी कब ले खैर मनाई।
  626. बकसऽ ए बिलार मुर्गा जी त बांड़े रहिहें।
  627. बगुला मरले पर हाथ।
  628. बछ्वा बैल बहुरिया जोय, ना हर बहे ना खेती होय।
  629. बड़ आदमी के चेर बनी, केंगाल के दोस्त ना।
  630. बड़ से पायीं छ्ो से ना पायीं।
  631. बड़-बड़ के टोपी ना, कुत्ता के पैजामा।
  632. बड़-बड़ घोड़ी दहाइल जा गदहा पू कतेक पानी।
  633. बड़-बड़ ढ्ोल तहाँ ट्मिकी के मोल?
  634. बड़का खेत में तीन पाव बीआ।
  635. बढ़े बंस डफालिन होय।
  636. बढ़े बंस पिता के धरमा, खेती उपजे अपना करमा।
  637. बतिया मानेबाकिर खूंट्वा ओहि जा रही।
  638. बन में अहीर, नैहर में जोय, जल में केवट्, केउ के ना होय।
  639. बन में बेल पाकल कौआ के कवन काम के ?
  640. बनल काम में बाधा डालो, कु तो पंच दिलायेगा।
  641. बनला के संघाती सब केउ, बिगड़ला के के ना।
  642. बनले मरद बिगड़ले भक्कू।
  643. बनिया तउले ना, गंहकी क पू द।
  644. बपवा लबरा पुतवा चोर, दूनो परइले देस के ओर।
  645. बबुआ जनमले खुरपी के बेंट्, हाथ गा़ेड डोरा, नादी लेखा पेट्।
  646. बर अच्छा त बरच्छा।
  647. बर के बंू ना बरिअतिया के मिठाई।
  648. बरऽ छानऽ सोखा भइंस दीहें।
  649. बरिया हा त तूरे, जीते त थूरे।
  650. बरिया हा त मुँह में मारे।
  651. बरियार चोर सेन्ह पर गाजे।
  652. बलिदान के बकरी के कवन ठीक!
  653. बवना बवना, जो के खेलवना।
  654. बहनी ना बाटा, अइले गेठर काटा।
  655. बहरा लम्बी-लम्बी धोती, घ अंठुली के रोट्ी।
  656. बहिर कुत्ता बतासे धावे, न एहर पावे ना ओहर पावे।
  657. बहिला गाय दुआर के सोभा।
  658. बहुत गया, थोड़ा है बाकी, अब मत हाथ बिगाड़ो साथी।
  659. ब हर ना ब कुदारी, अमृत भोजन दे मुरारी।
  660. बांझ का जाने परसौती के पीड़ा।
  661. बांस आ सुअर कट्ला पर बुझाले।
  662. बांस के जरी बांसे होई।
  663. बाग में जाईं ना, पाँच आम रोज खाईं।
  664. बाजऽ बाजन बाजऽ, दुस्मन के घर बाजऽ।
  665. बाणी गवरैया बांझ से नजारा।
  666. बात करीं केवल, भतार लागस चाहे देवर।
  667. बात बिगाड़े तीन, अगर, मगर, लेकिन।
  668. बानर के हाथ में नरियर।
  669. बानर जनि आदी के सवाद!
  670. बाप कूली बेटा साहेब
  671. बाप के गर में मुँअड़ी, बेटा के गर में रुँदराछ्।
  672. बाप के तीकी ना बेटा के जुलफी। (तीकीउ चिरकी)
  673. बाप के नाम साग-पात बेटा के नाम परौर।
  674. बाप दादा न खइले पान, दाँत बिदोरले गइल परान
  675. बाप न झुलले मातारी ना झुालली, हमहीं झुाललीं सरधा बुतवलीं।
  676. बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुँपैया।
  677. बाप बेटा बरतिया, माई-बेट्ी गीतहारिन।
  678. बाबा के बेर्ही तर बेट्ी उपास, करऽ बेट्ी करम के आस।
  679. बाबा जी के दाना हक लगाके खाना।
  680. बाबा जी जिअलो पर खाले, मरलो पर खाले।
  681. बाभन कुत्ता हाथी, तीनो जात के घाती।
  682. बाभन खिअवले, बाबू कहवले, कायथ थम्हवले।
  683. बाभन चले कइसे, कट्हर फ जइसे।
  684. बाभन जात अन्हरिया रात एक मूठी चिउरा भर धउरल जास।
  685. बाभन नाचे कोइरी देखे।
  686. बाभन, बरखा, बाढ़, बेयार, दखिना पइले, भइलफरार
  687. बार उखड़े ना बरियार खाँ नाम।
  688. बारह बरिस तप कइली, जोलहा भतार मिलल।
  689. बारी के बारी कोलवांसी।
  690. बारी समइया पिया खोर-खोर खइले, म के बेरा बउखा गर्हवले।
  691. बावन बीरवा हार गइले, बाकी बाड़े चमसुर।
  692. बावाजी के मुखे दुआर
  693. बिअवा के धनवा कूट्-कू खइली, बोये के बेरा नइहर गइली।
  694. बिगड़ला के बहनोई केहूना, बनला के सार सब कोई।
  695. बिट्यिा गिहथिन कि केंट्यिा गिहथिन।
  696. बिन जोल ईद।
  697. बिना मन के बिआह कनपट्ी पर सेनुर
  698. बिना मेंह के दौनी।
  699. बिनु घरनी घर भूत के डेरा।
  700. बिलाई के पे में घी पची
  701. बिलाई के भागे सिकहर टूट्ल।
  702. बिलार भइली मुखिया, गीदड़ करमचारी।
  703. बीन के हाल गोबिन्द जानेले।
  704. बुढ़वा भतार पर पाँच ट्किुली।
  705. बुरबक सरहले।
  706. बूढ़ बकरी बगैचा चरे।
  707. बूढ़ भइली दूर गइली।
  708. बूढ़ सूगा पोस मानी?
  709. बे बोलावे के बोले! त बर के मउसी।
  710. बेट्ओ मीठ भतरो मीठ, किरिया केकर लगाके खाई ?
  711. बेटा भइल जवान, त कोठी में लागल पेहान। (पेहानउढ्क्कन)
  712. बेटा मरल अच्छा साख मरल ना अच्छा।
  713. बेटा मांगे गइली भतार गंवा के अइली।
  714. बेट्ी के मैया रानी, बूढ़ी समैया भरेली पानी।
  715. बेट्ी चमार के नाम राजारनिया।
  716. बेट्ी बिअहली कुइयां उड़हली।
  717. बेल तर के मारल बबूर तर।
  718. बेसवा र्रू धरम बचे।
  719. बैद-बैद-बैद, दूनो आँख के भड़कौना बैद।
  720. भंसार घर दबिला मजा करी। (भंसारउभंड़सार, दबिलाउगंड़ासी की तरह का एक हथियार)
  721. भइल बिआह मोर करबे का?
  722. भउजाई के बढ़निये में लछ्न। (बढ़नी – कूंची, झाडू)
  723. भक्ति नाहीं भाव नाहीं, नेह नाहीं माया में, अढाई सेर ठूँस के सुत गइले धरमसाला में।
  724. भतार के कमाई बाजार में गवइली, बेटा के कमाई बंक में।
  725. भर गाँव से बतिआ आवस, मालिक से मँुह लुकावस।
  726. भर मत करिहऽ भूमिहार के, पों जनि धरिहऽ सियार के। (भरउ विश्वास)
  727. भर, भुईंहार, अहीर ये माना, पोस न माने तीनो जाना।
  728. भरा भूत ओखेले।
  729. भरी हाथ चूरी ना त प से रांड़।
  730. भल भुइंहार के कहल मत करिहऽ, चिरकी उखाड़ के जेंवर बरिहऽ।
  731. भल र्तृया रहले त लुगरिये पर लुभास।
  732. भला कुल के बेट्ी बाड़ू, भला कुल के नारि। अगिला चार उजरले बाड़ी, पिछ्ला में लगवली हाथ। (चारउफूस के घर का छ्प्पर)
  733. भला संग बसिहऽ खइहऽ बीड़ा पान, बुरा संग बसिहऽ कइह दूनो कान। (कान कटाना उइज्जत गंवाना)
  734. भाई के भात ना हजाम के पक्की।
  735. भाई-बहिनी आन के, जोहिया परान के। (जोहियाउजोड़ू, मरद)
  736. भाग बुरी बौना, बिआह में खिअवले, अब बाकी बा गवना!
  737. भाजा खाये के मन, तेल का कम।
  738. भादो भंइसा चइत चमार। (मस्त रहते हैं)
  739. भारी र भार से पतुकी भड़ाक से।
  740. भुइंहार के अंतरी उनचास हाथ।
  741. भुइंहार भगत ना बेसवा सती, सोनार सांच ना एको रती।
  742. भुखले लइका गूलर खाले।
  743. भूख त छ्ंू का, नींद त सेज का!
  744. भूखा के दीं अघाइल के ना।
  745. भूल गइल भाव-भजन, भूल गइल फकरी, तीन चीज जायज रहे, नून तेल लकरी।
  746. भूसा के उधिआइल, बड़का के खिसिआइल ना बुझाला।
  747. भेखे भीख मिलेला।
  748. भोग माई आपन कमाई।
  749. भोज त ओज का, ओज त भोज का?
  750. भोथर चट्यिा के बस्ता मोट्। (चट्यिाउविधार्थी)
  751. भोथरो हंसुआ अपने ओर खींचेला।
  752. भो भाव ना जाने, पे भ से काम।
  753. मइल लूगा, दूबर देह कुकुर का कवन सनेह।
  754. मउगा मरद कलट्र से इयारी।
  755. मउगी भतार के झगरा, बीच में बोले से लबरा।
  756. मकई सूखल, राजपूत भूखल।
  757. मछ्री खा के बकुलवा ध्यान।
  758. मड़हा मरद चउरई जोय, सेकरा घरे बरक्कत ना होय। (मंड़हाउमांड पीने वाला, चउरहीउचावल खाने वाली)
  759. मन क पहिनीं चउतार, विधना लिखले भेड़ी के बार। (चउतारउबारीक ँन का कम्बल)
  760. मन चंगा त कठौती में गंगा।
  761. मन माने त चेला, ना त सबसे भला अकेला।
  762. मन में रहल से ना भइल, पंच मिल भकोसीं। (भकोसींउभक्षण करीं)
  763. मन मोर चंचल जिअरा उदास, मन मोर बसेला इयार जी के पास।
  764. मन हुलसे त गाईं गीत, भादो में उठाईं भीत। (हुलास उल्लास)
  765. मर गइल त का हऽ, बिदा करऽ
  766. मर जाई जीव, त के खाई घीव
  767. मरजी गोबिन्द के केराव फ भेली। (केरावउमट्र)
  768. मरद के घोड़ा के घास काट्ीं, निमरद के घोड़ा पर मत चढ़ीं।
  769. मरद मुये नाम के, निमरद मुये पेट् के।
  770. मरना है काशी तो खुशामद किसका?
  771. मल बटुली खो भात सो दूनी आठ।
  772. महतारी के कोख, कोंहार के आँवा।
  773. महराज जी हउअऽ त कोख में मरबऽ?
  774. मांगे के भीख पा के बीख। (बीख पादना (मु.) उ क्रोध में बात करना, ऐंठ कर बोलना)
  775. मांगे के भीख पू के गांव के जामा! (जामाउपूंजी, सम्पदा)
  776. मांड़ घोटाव ना पीठा ढ्केल। (पीठाउदाल-पीठा, आ की लोई दाल में पकाया हुआ)
  777. मांड़ जू ना, ताड़ी पर आसा।
  778. माई क कुट्वन-पिसवन, बेटा दुर्गादत्त।
  779. माई बेट्ी एके मती हमही उलदिया, हमरा के देखी के लुकइले उलदिया। (उलदिया उअधिक, उलद उल्था उ विपरीत)
  780. माघ बरखल चाहे, भाई जुदा भइल चाहे।
  781. माछ्ी मारा पों उखाड़ा, चींउटा से रणजीता, मैं तो बहुत वीर मजबूता।
  782. माट्ी के देवता तिलके में ओरा गइले। (ओरा जानाउ समाप्त होना)
  783. माथ ना बन्हवली, पिअवा के मन रखली।
  784. माथ पर मोट्री बहोर भइया, घर-घर पू मट्कोर कहिया। (बहोरना उ निकलना, घर से बाहर होना)
  785. माथ में लगावे के तेल ना पुआ पकावे के साध।
  786. मामा हित मामी मुँह मरावन।
  787. माय गुन बछ्री पिता गुन घोर, ना अधिक त थोरे-थोर।
  788. मायभा-मातारी खुश भइली, त कहली-“ए बाबू !लिट्यिा में तनी छ्ेद करऽ, तहरा के माठा दीं।
  789. मार के ट्र जाईं, खा के पड़ जाईं।
  790. मा गइले मेहरी, ठेठावे लगले डेहरी।
  791. मारेला भतार, हँसेला संसार, कहीं छू ना भतार
  792. मालिक मालिक एके।
  793. मीठो चाहीं, भर कठौती चाहीं।
  794. मँुह एहिसन मँुह ना, मँुह तिनकोना।
  795. मँुह के बाफ ना रोकाला, हाँड़ी के बाफ रोका जाला।
  796. मँुह बाछ्ी के पे हाथी के।
  797. मँुह में दाँत ना चाउर-चिउरा से मस्का।
  798. मुँह ना धोवे से ओझा कहावे।
  799. मुँह र्तृया की ओर, गोड़ गोर्तृया की ओर।
  800. मुँह हइये ना बेल लील लिहले।
  801. मुठियक दाल में घुठियक पानी।
  802. मुरदा पर जइसे पाँच मन माट्ी, ओहिसे एक मन अउर
  803. मुर्गी बोललस भइल बिहान, उठऽ हे जजिमान।
  804. मूलधन, आनधन, आधाधन गहना, कपड़ा लाता ट्ीम-टाम झां धन लहना।
  805. मूस गइल बिअल में धसन ठेठा के का होई!
  806. मूस मोइले लोढ़ा भइले।
  807. मेंह के बल पर घा के बैल फेंउकेला।
  808. मैं मर जइबो ट्का ना बिकइबो, ट्कवा देखि-देखि जीअरा बुझइबो।
  809. मैं रानी, तें रानी, के भरी डोला के पानी?
  810. मैं लरकोरिया, तू अलवात, दूनो जगतिया एके में बान्ह।
  811. मैं सुनरी, पिया सुनरी, गाँव के लोग बनरा-बनरी।
  812. मों पर ताव झगरुँवा नाव।
  813. मोर पिया बात ना पूछ्े, मोर सोहागिन नाव।
  814. मोर भूख मोर माई जानेले, कठौती भर पिसान साने ले।
  815. रसोइया एक जानी, गाजिर-बिजिर दू जानी, ब प त तीन जानी।
  816. रहल त मनही ना भावल, चल गइल त मन पछ्ताइल।
  817. रहल बुढ़िया भइल काल, मरल बुढ़िया भइल अकाल।
  818. रहला पर के दानी, भादो में कहाँ ना पानी?
  819. रहली इनिया बिनिया भइली गाँव के महतिनिया।
  820. रहली तीन जानी, पदली कवन जानी ?
  821. रही जीव त खाई घीव
  822. राजा के ओढ़ना रानी के बइठना।
  823. राजा के बेटा, हुमेले के नाती, नौ सेर कपड़ा के बान् ले गांती।
  824. राजा दुखिया, परजा दुखिया, जोगी के दु:ख दूना दु:ख।
  825. राजा म इन्द्र घर पावे।
  826. राजावा के घर मोतिये के दु:ख
  827. राजावा के राज भइल बनरा के तिलक चढ़ल।
  828. रात अंधरिया पंथ ना सूझे, खाल ँच बराबर बूझे।
  829. रात भर बहुरिया चाँचर खेलस, दिन में कौआ देख डेरास।
  830. राम के नाम परात के बेरा।
  831. राम जी के चिरई राम जी के खेत, खालचिरई भर-भर पेट्।
  832. राम जी के माया कहीं धूप कहीं छाया।
  833. राम भरोसे राम लीला पाठी।
  834. राम से गु ना त गुलाम से?
  835. राम-राम कहत रहऽ मड़ई में परल रहऽ।
  836. राह बतावे से आगे चले।
  837. रेंग-रेंग-रेंग, तोरा खपरी में बेंग।
  838. लंका में सब उनचासे हाथ।
  839. लंगा से खुदा हारे।
  840. लंगा से दूर भला।
  841. लंगा से लंगा लागे, तब फरिआला।
  842. लइका के रोग भइल दूध बढ़िया गइल।
  843. लइका भइल हल्ला भइल, सबेरे देखीं त बाबू के जूँजिये ना।
  844. लइका मालिक, बूढ़ देवान, मामला बिगड़े साँझ-बिहान।
  845. लउका पर सितुहा चोख
  846. लउट्ल भाग भइली लरकोरी, नित उठ दूध भर-भर खोरी।
  847. लकड़ी छ्लिले चिकन, बात छ्लिले र्रूखड़।
  848. लछ्मी आवेली त छ्प्पर फार के।
  849. लछ्मी के आइल कहीं, ना गइल कहीं।
  850. लड् लड़ी त झिल्ली झरी।
  851. लड़ पड़ोसिन दीदा रात।
  852. लबरो के लइका भइल, उधापति नाम पड़ल।
  853. ललका चिउरवा, करिअवा गूड़, पे के जरले लिहले हूर।
  854. लागी से दिआई, बाकिर बाजी रोशन चउकी।
  855. लागे के बले, भागे के डरे।
  856. लाजू मरस लाज ला, पे मरस पेट् ला।
  857. लाजू मरस, ढ्ी जीअस।
  858. लाजे बहुरिया कोवा ना खइली, कमरी ले पिछुआरा गइली।
  859. लाजे भवे बोलस ना, सवा भसुर छ्ोड़स ना।
  860. लाठी के हाथे राउत बेवात। (बेवातउबिना बात के झगड़े के लिए तैयार)
  861. लात के आदमी बात से ना माने।
  862. लादल बैला लादल जाय, छुँछ्का बैला कोंहरत जाय।
  863. लाल मरिचइया तितइया बा ओतने, बूढ़ बानी तबो कुइया करेब ओतने।
  864. लाल-लाल पइसा त रुँदना कैसा ?
  865. लालची गइले खुशामद करे, परलोको के हानि भइल
  866. लालू के धन जगधर बेवहरिया।
  867. लाह करीं पिया तोरा पर, पोंटा पोंछ्ी तोरा गोंछा पर।
  868. लिहीं तेकर दिहीं ना, खाईं सेकर गाईं ना।
  869. लूगा आ झूला सलूका चाहीं, जोसन ना बाजू भभूटा चाहीं।
  870. लू में चरखा नफा।
  871. लू ला कू खाव।
  872. ले दही, दही।
  873. ले लुगरिया चल डुंमरिया।
  874. लोकनी पू ना, कनिया हकन करे।
  875. लोट्वे ना त पेट्वे।
  876. लोभी के घर ठग उपास ना करे।
  877. लोहा के कल में रेंड़ के पचरी।
  878. वजन में बड़हर से कट्हर बड़ा।
  879. संगही पिया परिचय नाहीं।
  880. संदेसे देही ना जामे।
  881. संवसे गांव में एगो ओझा।
  882. सइंया से साँस ना देवर मारस मट्की।
  883. सकता बाभन ना भला, बैष्णो भला चमार।
  884. सकल चुड़इल के, मजमून परी के।
  885. सजनी के धन भइल, तर ँपर मन भइल
  886. सती के रोवले देव रोवे।
  887. सब कुकुर कासी जइ त पतलवा के चाट्ी ?
  888. सब कोई दढ़िवाले बा, चूल्हा के फूंको!
  889. सब गुन के आगर धिया नाक के बहेंगवा।
  890. सब चिरैया झूमर पा लंगड़ा हुचुक।
  891. सब जगह नीच गोतिया से बरोबरी।
  892. सब दिन सेवले कासी, म के बेरा उसर-बासी।
  893. सब धन सुकुल के, सुकुल के मोल कुकुर के।
  894. सब रमायन बीत गइल, सियाजी के बिआह कब भइल, पते ना।
  895. सबके दुलार महतारी के हँकार।
  896. सर गल जइहें, गोतिया ना खइहें, गोतिया के खाए से, अकारथ जइहें।
  897. सरल गाय बाभन के दान।
  898. सरसो गिरहस्थ के निहाल भइले तेली।
  899. सरसो तरहथी पर, पेरऽ तेल, तब देखऽ जवानी के खेल।
  900. सराहल बहुरिया डोम घ जाली।
  901. सहर में गाली, गली में माँफी।
  902. सहर सिखावे कोतवाल।
  903. साँच के सोर पाताल में ।
  904. साँच में आँच का?
  905. साँझे गइली पराते अइली।
  906. साँप ना खोने बिअल, कोइरी ना बसे दीअर।
  907. साठा त पाठा।
  908. सात बेर सतुअन, भतार के आगे दतुअन।
  909. सात भतार सतबरता एक कइली गंड़गहता।
  910. सात मूस खा के बिलाई भइली भगतिन।
  911. सात सेर के सात पकवली, चौदह सेर के एके, तू दहिज सातो खइलऽ, हम कुलवंती एके।
  912. सातू के पे सोहारी से भरी?
  913. सादी करीं जान के, पानी पीहीं छान के।
  914. साधु-सजन के फुट्हा दुलम बेसवा फा सारी।
  915. साल के दूसाल बांस कटाले।
  916. साव सधे दूना लाभ।
  917. सावन भादो से दूबर?
  918. सावाँ सोहले मूर्ख सरहले।
  919. सास कि बोलि त घींच मारेब मूसर।
  920. सास के ड जुदा भइली, ननद परली बखरा।
  921. सास ना ननद, घर आनंदे-आनन्द।
  922. सास बाड़ी कूट्त, पतोह बाड़ी सूतल।
  923. सास भइली परसन्न त कोनाई के लगवली लिट््ट्ी।
  924. सास मांगस पानी, ढ्केल द रुँखानी।
  925. सास रुँठि त करि का? लुगरी छ्ोड़ पहिरहि का?
  926. सासु से ट्ेढ़ी पगहिया से मेरी।
  927. सियरा के मन बसे केंकरी के खेत में।
  928. सीता के दिन वियोग में ही बीत गइल।
  929. सील के लोर्हा क बड़ाई हमहँु शंभुनाथ के भाई।
  930. सुअर के बिस्टा, निपे के ना पोते के।
  931. सुकुवार बहुरिया के माझा ढ्ील।
  932. सुखला सावन भरला भादो।
  933. सुघा के मँुह कुत्ता चाट्े।
  934. सुधा बहुरिया के घंूघ तर साँप बिआले।
  935. सुन ए माट्ी के लोला, कायथ, सोनार कहीं भगत होला?
  936. सुनते साख ना पूछ्ल जाला।
  937. सुरहा ताल के मछ्री, तिनफेड़िया के आम, पकड़ी तर के बइठल, छ्ोड़ देहले राम।
  938. सूई ना समाय तहाँ फार घुसिआय।
  939. सूद के पैसा दोबर ना त गोबर।
  940. सूप के पिट्ला से ँ भागी?
  941. सेमर के फूल देखि सुगना लपइले, मरले ठोर भुआ उड़ि गइले, सुगना हो! इ मन पछ्तइले।
  942. सेर जागे, सवैया जागे छ्ट्ंकी के छ्ट्पट्ी बरे।
  943. सेर मरद पसेरी बरद।
  944. सेराइल बा सथाइल बा, बखरवो कहीं जाई!
  945. सोना सोनार के सोभा संसार के।
  946. सोम्ह आ दानी के खरचा बराबर।
  947. सोम्ह के धन सैतान के नेवान
  948. सोरहो सिंगार घेघवे बिगाड़।
  949. सौ घर कसाई, ँहाँ एगो बाबाजी के का बसाई।
  950. सौ चो सोनार के एक चो लोहार के।
  951. सौ दवा एक संयम।
  952. सौ में सूर हजार में काना, सवा लाख में ऐंचां ताना, ऐंचा ताना क पुकार, कोइंसा से रहियो होंसियार।
  953. सौती के ट्ीस कठौती पर।
  954. हँस के बोले नारी, सारकाम बिगाड़ी।
  955. हँस के मांगे दाम, तीनो काम नकाम।
  956. हँसल घर ही बसेला।
  957. हँसुआ के बिआह में खुरपी के गीत।
  958. हंस के मंत्री कउआ
  959. हजाम के बरिआत ठाकुरे-ठाकुर।
  960. हट्यिा के चाउर, बट्यिा के पानी, बइठल रिन्हेली मदोदर रानी।
  961. हट्यिा के चाउर, बट्यिा के दाल।
  962. हड़बड़ी के बिआह कनपट्ी पर सेनुर
  963. हत्या के भरोसे बाछ्ी फोद काढ़ेले।
  964. हम अइनी तो आपन जान, तें सुतले कमरी तान।
  965. हम खेलीं आन से सइंया विरान से, कुकुर लौंड़ू खेले गइले जव के पिसान से।
  966. हमरा भरोसे रहिह ना, अपना घ खइह ना।
  967. हमार एक आँख, गोतिया के दूनो आँख चल जाव मंजूर।
  968. हमार नकिया छ्ँू जाला ए विसंभर भइया, तोहार लोलवा ए तेजनो।
  969. हर कुदार नेग चार, अमृत बसे खुरपी के धार।
  970. हर के मारल हेंगा विश्राम।
  971. हर टू घर भरे, पालो टू ब परे।
  972. हर द हरवाह द आंड़ खो के पैना दऽ।
  973. हर ना फार लबर-लबर हेंगा।
  974. हर ब से खर खाय, बकरी अंचार खाय।
  975. हर हेंगा में कोढ़िया पगुरी में रंग।
  976. हरवाह चरवाह के इनार के पानी।
  977. हरवाही में हरिनाम।
  978. हरही के पे में सोरही।
  979. हरिजन चा बरन में ँचा।
  980. हरी घास बकरी से इयारी।
  981. हाँके भीम भए चौगूना।
  982. हाकिम के हुकुम, नौकर के चाकर
  983. हाथ अगरबत्ती, गा़ेड मोमबत्ती।
  984. हाथ के मुसरी बिअल में गइल, बिअल कोड़न लागल।
  985. हाथ गोड़ समतूला, आनकर रोट्ी बीख के मूला।
  986. हाथ पर पवली, पात पर चट्ली।
  987. हाथ में ना गा़ेड में ट्कहा लिलार में।
  988. हाथी अइलस हाथी, हाथी पदलख ट्ीं।
  989. हाथी के लिंग पर ई के फाहा।
  990. हाथी के हउदा ना, बकरी के ओहार।
  991. हाथी चोरावल, खाला-खाला गइल।
  992. हित कुटुम अइले-गइले।
  993. रमजानी, सतुआ सानीं, पे चली त हम ना जानीं।
  994. होत परात किरिया लेब, कारी भइंस अहीर के देब।
  995. होसियार के सउदा मन ही मन।
  996. होसियार लइका हगते चिन्हाला।
  997. बेटी चमार के नाम राजरनिया|
  998. रोए के रहनी त अन्खिये खोदा गइल

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