केहू करे सिंगार बइठ के केहू करे बेगार
करीं शिकायत केकरा से ई दुनिया के व्यवहार।
जेकर नसीब में जे लिखल बा उ ओकरा मिल जाई
अपना ऊपर करीं भरोसा लिखल भी टर जाई।
सब केहू के लड़े पड़ेला आपन-आपन युद्ध
चाहे राजाराम होखस चाहे गौतम बुद्ध।
होनी त बस होनी होला कवनो हाल में होई
कोटिस करीं उपाय मगर होनी टरै ना लोई।
चंचल मनवां दाब ना माने कतनों दाब लगाईं
देखल जानल बूझल बा ई हमरा मत समझाईं।
भाग के रेखा हाथ में देखे मनई बा कमजोर
आगो बढ़के भाग जे पलटे होला ओकरे शोर।
बात बात में बात बढ़ेला ई जाने सब कोई
बतकूचन से बांचीं तब नू फगुआ चइता होई।
सबकर भला त हमरो भला माई कहे हमार
खाली अपना में अझुराइल बेजा ह सरकार।
प्रीत करे से रीत ना जाने रीत ना जाने प्रीत
रीति देखके प्रीत करे जे ना ह केकरो मीत।
बनला के ह सभे संघतिया बिगड़ल के ना कोई
जे बिगड़ल के साथ निबाहे असली संगी सोई।