कलाकारी से हमरा नियर इंसान तू गढ़ल |
इंसान के गढ़ गढ़ तू सृष्टि में आगे बढ़ल ||
बिघना के इ कलाकारी देखी |
नर मादा के सुनर रूपवा निरेखि ||
नर आ मादा के मेल से, आगे डगरी सृष्टि |
कर उपाय, राख सुघर सोच, नीमन दृष्टि ||
नीमन जबून के पहचान करावेला हर माँ बाप |
समय के फेर से बदल जाला सबकर नाप ||
समय के कान्ह चढ़, उमरिया बढ़ल |
जिनगी चली कइसे, चिंता छाती चढ़ल ||
जिनगी त ह एक बंसुरी नियर |
छेद होला कई गो, चाहे होखे लाल चाहे पियर ||
बांसुरी जिनगी के, बजावे जे जान गइल |
बिघना क निक उपहार बा, उ इ मान गईल ||
जेकरा ना आइल एके बजावे |
बा परेशान उ, कइसे जिनगी बचावे ||
तोहार बनावल कीर्ति आपस में भिड़े |
जात पात ऊंच नीच धर्म बदे उठे गिरे ||
हमहू बनवली तोहरे. सूंदर मुरतिया |
बेच बेच तोहरा के हमार बदलल सुरतिया ||
तोहार बनावल कीर्ति एक दूसर के कपारे फ़ोड़े |
हमार बनावल मूरति के आगे हाथ उ जोड़े ||
ओके पूरा बा बिसवास , सुख इहे देहि |
धावत बा मंदिर मस्जिद पूजता राम बैदेही ||
जन सेवा ह, राउर बड़का सेवा |
जाने जहान तबो मुँह मोड़े जइसे बेवा ||
बिघना गढ़ले एके नियर देहिया |
समाज हीगरा देहलस मोट आ मेहीआं ||
धरम आ जात पात में बँटाईल आदमी |
रंग भाषा बोली में छीटा गईल आदमी ||
आदमी के करम से अंझुरा गईल जिनगी |
सझुराइ रउरे ना त डीनगल अउरी डीगी ||
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तारकेश्वर राय
ग्राम + पोस्ट : सोनहरियाँ, भुवालचक
जिला : गाजीपुर, उत्तरप्रदेश