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माई आ कागावा प कवि ह्रदयानन्द विशाल जी के लिखल दू...
माई तु कवन कवन दुख झेललु, माई के गुन गावत कवि ह्रदयानन्द विशाल जी
ताहार नेकी नाही भुलाईब
गुनवा जियब तबले गाईब
हमके दुनिया देखलवलु लालटेन से
जिनगी...
अबे ले माई के लगे रहेनी
दूगो लंगोटिया इयार ढेर दिन बाद एक दूसरा से मिलल लोग, बाते बात में एगो दोस्त दोसरासे बस जाने खातिर पुछले
"का इयार तहरा...