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देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल कुछ भोजपुरी कविता
मुरारी कहां भेंटईहें
भरल बाडे़ दुशासन सगरो
चीर कहां से अईहें,
करीं अरज कर जोडि़ के
मुरारी कहां भेंटीहें।
डेगे डेगे चीर खींचाता
द्रौपदी के लाज के,
भीष्म बनि देखतरुए
ई दुनिया...
देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी कविता हम भोजपुरीया
दुखवा कलेसवा में हिमत ना हारीला,
सुखवा में कबो ना धाधाईं भोजपुरीया।
सभके हो सुख चैन इहे हम मनाईला,
दोसरा के दुख के संघाती भोजपुरीया।
महला दुमहला के...
देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी होली गीत गोरी कहवां...
होली के दिन पति पत्नी में रंग के बहाने कईसे मजाक में व्यंगबाजी होता एह गीत के माध्यम से अनुभव कईल जाव:-
रंगवा हरिअर गोरी...
देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल तीन गो भोजपुरी गीत आ...
महंगाई
महंगाई अईसन कईले बा बेहाल
कि नुन रोटी हो गईल मोहाल।
माई के दूध सुखल बचवा के अतडी़
हमरा कमासुत के झुरा गईल गतरी,
आगे बुझात नईखे होई...
देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी कविता बेटा ह कि...
चालीस बरीस प अईसन भईल
जमले बेटा बुढ़ऊ के अंगनाई,
थरीया ढोल मजीरा बाजल
बाजल सोहर में खुब शहनाई ।
...
देवेन्द्र कुमार राय जी के लिखल भोजपुरी गीत बात समझ ना...
किस्मत से निकल के का आईल
ई बात समझ ना पाईले,
जहवां जहवां कुछ आस दिखे
ओह ओर खीचल चलि जाईले।
सभ अन्जान भईल एहीजा
केहु ना आपन...