Tag: कजरी
माया शर्मा जी के लिखल एगो कजरी
बदरा घीरि -घीरि आवेला अँगनवाँ।
मचावे सोर पवनवाँना।।
टुकुर-टुकुर धरती निहारे बदरिया ,
सूखल अँचरवा पसारे एहि कदरिया।
कि जइसे एक बूँद खातिर तड़पे,
तड़पे जल बिन मछरिया ना।।1।।
सूखले...
सिमट रहल लोकराग कजरी : जयशंकर प्रसाद द्विवेदी
लइकइयेँ से सुनत आवत बानी सन कि हमनी के देश क अतमा गाँवन में वास करेले। बाकि गाँवन के अतमा …? एकर उत्तर हेरे...