Tag: आदित्य प्रकाश अनोखा
हम बुझिले
हम देखिले
हम सुनीले
हम बुझिले
हम समझिले,
आपन गउँआ, आपन नगरिया
लोगवा काहे छोड़$ता,
सहर से नाता जोड़त जोड़त
अंगना काहे भोरऽता।
हम सहिले
हम भोगीले
हम जीहिले
हम मरीले,
समय बेचके पइसा खातिर्
घर छोड़के...