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शशि रंजन मिसिर जी के लिखल देवठान के कहनी
कार्तिक के महिना में हमार आजी रोज भिनसारे दुआर पर शिवाला के कुआं पे नहास, ओहिजे तुलसी जी के दीया बारस आ साथे गीतो...
शशि रंजन मिसिर जी के लिखल गोधन के बहाने
"बड़का भैया मर जास, उधिया जास ! हमार सब भाई मर जा स... कवनो भाई भतीजा के जरुरत नईखे, सब जाना मर-उधिया जास |"
भोरहिं...