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गोधन : एगो लोक परब
गोधन आने कि गउ माता के काया से जनमल संतति आ संपति। आजु भले हमनी के गाँव-नगर में रहत बानी जा, बाकी मानुख सभ्यता...
शशि रंजन मिसिर जी के लिखल गोधन के बहाने
"बड़का भैया मर जास, उधिया जास ! हमार सब भाई मर जा स... कवनो भाई भतीजा के जरुरत नईखे, सब जाना मर-उधिया जास |"
भोरहिं...