दिन भर महभारत बांचेली !
हमरी कपार पर नांचेली !
अपनी मांगन पर अड़ जाली !
जे मना करी हम लड़ जाली !
कहें हमसे कि जीन्स ले आव, हम
नाही पहिनेलीं साड़ी !
नवहा नवहा हमरा घर में, मलिकाईन आईल बाड़ी !
घरवाके होटल जानेली !
हमराके वेटर मानेली !
पेप्सी कोला बीयर पीएं !
पॉपकोर्न आ चिप्स प जीएं !
रोटी तरकारी रुचे ना, हमरासे मांगे
बिरयानी !
नवहा नवहा हमरा घर में, मलिकाईन आईल बाड़ी !
पचहत्तर गो क्रीम मंगावें !
सब पईसा में आगि लगावें !
हमरो के कुछ बाति बतावें !
टेढ़ आँखि कइके समझावें !
कहें हमके, “क्लीन हो जाओ, क्यों रखते ये
घटिया दाढ़ी !”
नवहा नवहा हमरा घर में, मलिकाईन आईल बाड़ी !
एकदिन काम से अइनी जब !
खूब ऊ सेवा कईली तब !
लगनी सोचे ई का होता !
कउवा कईसे बनल तोता !
सोचत रहनी तवले कहली, “राजा,
हमको चहिए गाड़ी !”
नवहा नवहा हमरा घर में, मलिकाईन आईल बाड़ी !
नखरा कि उनकर एतना बा !
गीनि ना पाईं केतना बा !
जेतने होखो सब ठीक बा !
जईसन होखो सब नीक बा !
काहें कि हमरी मनवा में त, बस ऊहे समाईल बाड़ी !
नवहा नवहा हमरा घर में, मलिकाईन आईल बाड़ी !
सांभर: भोजपुरी गीत गजल गवनई फेसबुक ग्रुप