मनोज तिवारी, निरहुआ और पवन सिंह के बाद खेसारीलाल ऐसे एक्टर हैं जो गायकी में लोकप्रिय होकर आए हैं। इसलिए इनकी फिल्में लगातार हिट हो रही हैं। एक गरीब परिवार से आया लड़का आज भोजपुरी का बड़ा स्टार बन गया है और पूरी इंडस्ट्री को इस पर नाज है। उनसे बातचीत-
आपकी पहली ही फिल्म “साजन चले ससुराल” ने फ्लॉप होती इंडस्ट्री में जान फूंकी। उसके बाद आपके सामने फिल्मों की लाइन लग गई?
इस मामले में मैं खुशनसीब हूं। यह आलोक कुमार जी का फैसला था कि मुझे फिल्मों में आना चाहिए। उसके पहले मैं गायकी में रमा हुआ था। खुश था। जगह-जगह शो करता और लोगों का मनोरंजन करता था। आज भी शो कर ही रहा हूं। मैं खुश हूं कि भोजपुरी इंडस्ट्री ने पसंद किया और सम्मान दिया। मैंने भी जी तोड़ मेहनत की। हमारी मिलीजुली कोशिश का नतीजा है कि “जान तेरे नाम”, “देवरा पे मनवा डोले”, “दिल ले गई ओढ़निया वाली”, “नागिन”, “लहू के दो रंग”, “प्यार झुकता नहीं”, “तेरी कसम”, “संसार” आदि फिल्मों ने मुझे भी कामयाबी का मजा चखाया।
अब आपके जीवन में शो का कितना महत्व रह गया है?
शो अब भी कर रहा हूं। इसके लिए मुझे फिल्म छोड़नी पड़े तो छोड़ दूंगा। मैं पब्लिक के बीच का आदमी हूं। गाने गाकर उन्हें झुमाता-नचाता हूं। उनका मनोरंजन करता हूं। जो कुछ भी आज हूं, उन्हीं की वजह से हूं। उनसे दूर होने की बात तो सोच ही नहीं सकता। मैंने सीनियर एक्टरों से सीखा है कि कैमरे के सामने कैसे रहा जाता है। दर्शक मुझे परदे पर भी रियल लुक में ही देखना चाहते हैं। 15 फिल्मों में मैंने औरत का भी रूप धरा है, सारी फिल्में हिट हुई हैं। मुझे अफसर या बड़ा आदमी बनना अच्छा नहीं लगता। उसमें सहज नहीं रह पाता हूं। मैंने वास्तविक जीवन में भैंस चरायी है। गरीबी से लड़ने के लिए लिट्टी-चोखा बेचा है। मगर भोजपुरी संस्कारों को कभी नहीं छोड़ा।
लेकिन भोजपुरी फिल्मों में भोजपुरी संस्कार क्यों नहीं हैं?
यह पूरी तरह धंधे का बाजार है। भोजपुरी का बजट कम होता है। इसके पास पैसे नहीं हैं। इसलिए आइटम आदि डाल कर हिट कराने की कोशिश होती है। अच्छी कहानी को आने का मौका नहीं मिलता है। अगर आती भी हैं तो उन्हें मसालेदार बनाकर पेश किया जाता है। इसे देखने वाले भी मध्य और निम्न वर्ग के लोग हैं। भोजपुरी के पास वैसे थिएटर भी नहीं हैं कि पढ़ेिलखे लोग जा सकें। अगर सिनेमा में थोड़ा परिवर्तन हो और थोड़ा परिवर्तन दर्शक में, तो अच्छी फिल्मों का आना शुरू हो जाएगा। तब भोजपुरी संस्कारों को भी जगह मिलेगी। निर्देशक राजकुमार. आर. पाण्डेय की आने वाली भोजपुरी फ़िल्म खून भरी मांग की शूटिंग २ दिसेम्बर से मुम्बई में हेगी
मैं पब्लिक का आदमी हूं खेसारीलाल