जिअत मुर्दा के कब्रिस्तान बा बिहार,
जोना में जान त बा बाकिर बेजान बा बिहार।।
भोजपुरी भोजपूरी सब चिल्लाता,
कहा से मिली भोजपुरी के मान्यता।।
जे ज्यादा पढ़त बा उ भोजपुरी से भागता,
जे कम पढ़त बा उ भोजपुरी के नाशता।।
जिअत मुर्दा के कब्रिस्तान बा बिहार,
जोना में जान बा बाकिर बेजान बा बिहार।।
यूपी हो चाहे हो बिहार बताई सभे,
कहि लऊके ला,भोजपुरी में लिखल प्रचार या समाचार।।
नेता जी भी आवे नी, सब से भोजपुरी में न हिन्दीये में बतिआवे नी,
भोजपुरी त दूर बा उहा के हिन्दियो ठीक से न बोल पावे नी।।
जिअत मुर्दा के कब्रिस्तान बा बिहार।
जोना में जान त बा बाकिर बेजान बा बिहार।।
हस हस सब कोई बात त करे,
आपन होके आपने भोजपुरी से सब डरे।।
अरे निडरता के पाठ पढ़ के
सब के रउवा पढ़ावत बानी,
फिर अपने काहे डरत बानी।।
जीअत मुर्दा के कब्रिस्तान बा बिहार,
जोना में जान त बा बाकिर बेजान बा बिहार।।
लड़त बानी आप अश्लील से।
आ अश्लीले के बढ़ावा देत बानी।।
अरे जिनगी जीही पुरुषार्थ जइसन।
काहे जिअत बानी मऊगा के भावार्थ अइसन।।
डर डर के कब तक चुप रहेम।
ई अश्लीलता के पानी कब तक पिअत रहेम।।
जिअत मुर्दा के कब्रिस्तान बा बिहार,
जोना में जान त बा बाकिर बेजान बा बिहार।।
जय हो जय हो चिलात बानी सोशल मीडिया पे।
जमीन पर उतर के कहिया लड़ेम अश्लीलता से।।
श्लील के समर्थक बानी त डटल रही।
बिना स्वार्थ के ऐसे सटल रही।।
जे अपना देश मे नइखे घुमले उ घूम आवे।
अपना भोजपुरी माई के का ईज्जत बा देख आवे।।
खुद खोखला बना के आपो खोखला होतानी।
जब अश्लील नइखी सुन सकत त अश्लील गावे वाल के त रोक सकत बानी।।
जिअत मुर्दा के कब्रिस्तान बा बिहार,
जोना में जान त बा बाकिर बेजान बा बिहार।।
रउवा बढ़ाव देत बानी अपना घर से।।
खुद अपना आप से अउर अपना समाज से।।
थोड़ा जोन बचल बा उ त बचाई।
भविष्य खातिर कुछ त कर जाई।।
हर छेत्रिये भाखा उठान पे बा।
हमनी के भोजपुरी काहे प्राण तेजान पर बा।।
जिअत मुर्दा के कब्रिस्तान बा बिहार,
जोना में जान त बा बाकिर बेजान बा बिहार।।
अरे अबो समय बा उठी उठ के देखी।
तूफान बनी श्लील के गुलाल उड़ा के देखी।।
रंग दी अपना भाई भाखा के सब जगह।
सब द्वेष मिटाई अपना भोजपुरी के गले से लगाई।।
एक बार मिटी जब ई अश्लील के झूठ रंग।
निखर जईहे भोजपुरी माई, अरे खिलउठी ईनकर माटी के रंग।।
जिअत मुर्दा के कब्रिस्तान बा बिहार,
जोना में जान त बा बाकिर बेजान बा बिहार।।
विवेक सिंह।। पंजवार सिवान।।
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