पुरखन के किरिया खाके कहतानी- कि हमनी के हरामज़ादा हईं जा आर्य, शक, हूण, मंगोल, मुगल, द्रविड़ आदिवासी, गिरिजन, सुर आ असुर
ना जाने कवना कवना के खून बह ता हमनी के नस नस में ओही खून से डोलता हमनी के काया हाँ, हमनी के दोगला हईं जा पांचों तत्वन के साक्षी मान के कहतानी-कि हमनी के हरामज़ादा हईं जा!
गंगा, जमुना, ब्रम्हपुत्र आ कावेरी से लेके वोल्गा, नील, दजला, फरात आ थेम्स तकले असंख्य नदियन के पानी बा हमनी के खून में ओही कुल्ह से हमनीं के बनल बानीं जा कर्मठ, सतत् संघर्षशील सत्यनिष्ठा के किरिया खाके कहतानी- कि हमनी के हरामजादा हईं जा!
ना जाने कतना संस्कृतियन के हमनी के आत्मसात कइले बानीं जा केतना सभ्यता कुल्ह से हमनीं के करेजा सिंचाइल बा हज़ारन बरिस के लमहर जात्रा में ना जाने कतना लोग छींटले बा बीया हमनी के देह में हमनी के बनवले रखल बा निरंतर उर्वरा एह देस के थाती सिर-माथा प रखके कहतानी
कि हमनी के हरामजादा हईं जा!
बुद्ध, महावीर, चार्वाक, आर्यभट्ट, कालिदास कबीर, ग़ालिब, मार्क्स, गाँधी, अंबेडकर एह सभे के मानस-पुत्र हईं जा हमनी के तहरा लोग से जादे स्वस्थ आ पवित्तर बानीं जा एह देस के आत्मा के किरिया खाके कहतानी- कि हमनी के हरामजादा हईं जा!
हमनीं के एक बाप के संतान ना हईं जा हमनी में खांटी खून ना मिली हमनी के नाक-नक्श, कद-काठी, बात-बोली, रहन-सहन, खान-पान, गान-ज्ञान सभेके सभे गवाह बिया हमनी के डीएनए टेस्ट करवाके देखा लीं गुणसूत्र में मिल जाई अकाट्य प्रमाण रख देब तूं कुतर्क के धनुष-बाण हम आजु एहिजा घोषणा करतानी- कि हमनी के हरामजादा हईं जा!
हम जन्मल बानीं कइयेक बार कइयेक कोखन से हमरा नइखे मालूम कि हम केकर संतान हईं बाकिर एतना जरूर जानतानी जेकर होखे को परमाण नइखे हम ओह राम के वंशज ना हईं माफ़ करी ह रामभक्त लोग कि हमनी के रामजादा ना हईं जा!
हे शुद्ध रक्तवादी लोगन, हे पवित्र संस्कृतिवादी लोगन हे ज्ञानी-अज्ञानी लोगन हे साधु-साध्वी लोगन सुनीं, सुनीं, सुनीं! हर आम ओ ख़ास सुनीं!
नर, मुनि, देवी, देवता सभे लोग सुनीं!
हम अनंत प्रसवन से गुज़रल एह महादेस के जारज़ औलाद हईं एहसे डंका के चोट प कहतानी कि हमनी के हरामजादा हईं जा ! हं, हमनी के हरामजादा हईं जा !!
सांभर: मुकेश कुमार (आखर के फेसबुक पेज से )