संतोष पटेल जी के लिखल भोजपुरी कहानी कांच कोइन
इहाँ हमरा से बड़का हीरो कवनो बा का ? हम अभिये चाहीं त निमन निमन जाने के ठीक कर दी -- किसुन दारु पि...
विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी रसपान
जिनिगी के सभसे मधुर इयाद साइद बचपने के होला। लरिकाईं के कुछ मीठ स्मृति के असर अइसन गहिरोर होला कि ताउम्र अदिमी ओकर अहसास...
धनंजय तिवारी जी के लिखल भोजपुरी कहानी अगुआ
“गाव सभी सखिया अगुआ के स्वागत में गारी” माइक पर जैसे ही इ गाना गूजल मामा के चेहरा पर लाली आ गईल। फिर माइक...
विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी चौपाल
चईत के महीना मे जब हर प्रकार के पेड़, पौधा के फूल, फल के अकार धरेला, तबे खेत से फसल कट के खलिहान के...
विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी रत्नसागर
अइसन सायद केहु होइ जे अपना गाँव के याद ना करत होइ। चाहे उ देश मे हो या बिदेश में, हर इंसान के आपन...
रवि सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी कन्यादान के अधिकार
पूरा बीस साल बाद मंजू आपन बेटी शिवानी के लेके गाँवे आईल रहली।घर के कोना-कोना से उनकर ईयाद जुडल रहे। आँगना,दुवार,तुलसी-चौड़ा,ईनार,निम के गाछ सब...
रवि सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी छत के घर
केदार बाबा आ बलिराम बाबा अपना समय के नामी भूमिहार (भूंजार) रहे लोग। बियाह के बाद बड़ा शान से खूब निमन खापरापोश वाला घर...
रवि सिंह जी के लिखल भोजपुरी कथा बेटी के भाग
गोधन कुटा गईल रहे, लोग बियाह-शादी के रिश्ता खातिर आवे-जाय लागल रहे।रघुनाथ के भी आपन बेटी के हाथ पियर करे के रहे। एगो सेयान...
रवि सिंह जी के लिखल आपन पहचान
सारिका बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के रहली। पढ़ाई लिखाई के संगे ही खेल कूद में भी अव्वल रहली।उनकर पढ़ाई लिखाई के रुचि देखी...
बढई-बढई खूँटा चीर खुँटवा में दालि बा, का खाईं का पीं, का लेके परदेश...
नानी दुवारे तरई बिछावत नेहा के बोलवली-"नेहा! मुन्हार होता ,आव$ दुवारे,तरई बिछवले बानी,बइठ$ तउलक रसोई बनेला।"नेहा घरमें से अउते कहली-त नानी कथ्था कहबू नँ?"नानी...
माया शर्मा जी के लिखल बिसरल भोजपुरी कथ्था
"नानी का करताड़ू, हम खेलि के आ गइनी। आव न$ ...बिछाव तरइया बइठल जाव"-नेहा नानी के बोलावत कहली। नानी तरई लियाके बिछा दिहली,तउलक ऐगो...
विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी जुआठ
जब कवनो गृहस्थ अपना कंधा पर गृहस्थी के जुआठ बांध के गृहस्थी के भार खिचेला, त उ गृहस्थ अपना-आप में एगो महान व्यक्ति के...
विमल कुमार जी के लिखल भोजपुरी लघु कथा एक लोटा पानी
रामदीन थाकल मांदल आँफिस से अपना घरे आवते बड़ी जोर-जोर से आवाज लगइले। बेटा सुनत बाड़$ बड़ी जोर से पिआस लागल बा जलदी से...
विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा रहमत के रमजान
ज्येष्ठ के आधा महीना बीतला के बाद रमजान के पहिलका अज़ान भइल।अभी ब्रम्हबेला के सुरुआत होत रहे. सब कोई अपना अपना छत पे सुतल...
विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी बंसी के बगईचा
आसमान के असमानी रंग पर मटिया रंग के गर्दा चढ़ गईल रहे। लागत रहे कि आज ही कालदेव आपन बरसो के भूख मिटावे खातिर...
जगदीश खेतान जी के लिखल भोजपुरी कहानी इंसानियत
घड़ी के एलारम बाजे लागल। हम हड़बड़ा के उठलीं आ बइठ गइलीं। आजे हमार बी.काम के फाइनल परीक्षा खतम भइल रहे।परीक्षा समाप्त होते भर...
विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी लघुकथा ललका रंग
फागुन के महीना मे चरो ओर उमंग के लहर दऊरे ला, हर कोई मस्ती के रंग मे रंगल नजर आवेला !
चाहे ऊ इंसान होखे...
जगदीश खेतान जी के लिखल भोजपुरी कहानी चार गो भूतन से भेंट
आयी पढ़ल जाव जगदीश खेतान जी के लिखल एगो बेहतरीन भोजपुरी कहानी चार गो भूतन से भेंट:-
रउवा लोग अपने जीवन मे भूत, प्रेत, चुड़ैल...
विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी लघु कथा पगली
फसल के कटाई के बाद चारो तरफ दूर-दूर तक नजर के रोक-थाम खातिर कुछो न लऊके | आपन नजर के जहाँ तक दौड़ाई उ...
विवेक सिंह जी के लिखल भोजपुरी लघु कथा आश
आश मनुष्य मनोवृती के अटूट शक्ती, जोन कबो आपन दम न तोडे ! आश ओह समय तक दिल मे होला. जब केहु आपन के...