आपन जिनगी तबाह मत करि हऽ।
प्यार करि हऽ बियाह मत करि हऽ।।
आदमी से तू नेता बन जई बऽ।
राजनीति के चाह मत करि हऽ।।
ऊ कमाएले आ त खाए लऽ।
मौगी मारे तऽ आह मत करि हऽ।।
ऊ सरापे तऽ तोहरा पड़ जाए।
अइसन भारी गुनाह मत करि हऽ।।
मित्र तोहर पढ़े कविता तऽ।
निमनो लागे तऽ वाह मत करि हऽ।।
के हू आगे बढ़े जे तोहरा से।
सुन लऽ ओकरा से ड़ाह मत करि हऽ।।
उहँा फैसन के खेल बा मिर्जा।
ओने आपन निगाह मत करि हऽ।।
– मिर्जा खोंच