अपना भोजपुरी में पहेली के बुझउवल कहल जाला, बुझउवल से लइकन में सोचे के आ विश्लेषण करे के क्षमता बढ़ेला। हमरा पता बा की रउवा बुझउवल (भोजपुरी पहेली) पढ़ के राउर आपन लइकाइ जरूर मन पर जाइ, अच्छा लागल त शेयर आ लाइक जरूर करी।
भोजपुरी पहेली | बुझउवल | Bhojpuri Riddle
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अंगना में कचबच, बारी में तऽ हइए ना;
अस फल खइहऽ कि ओकरा बोकला त हइए ना।
– ओला - अगल-बगल खूटा, गाय मरखनी दूध मीठा।
– सिंघाड़ा - आड़ी बा गाड़ी, पहाड़ पर चढ़ी,
मरदा पर मउगी झमाक से चढ़ी।
-पालकी - ई मेता के अजगुत बात
बे दुलहा के गइल बरात।
– राम की बारात - ऊपर आगि नीचे पानी, बीच में बइठे पंडित ज्ञानी।
ई बुझौवल बूझे से बड़ा गियानी।
– हुक्का-चिलम - ऊपर से चित कइनी, जेतना मन ओतना धँगनी।
– सील-बट्टी - ऊजरी बिलइया के हरिअर पोंछि।
– मूली - एक ओर जट तिवारी, दूसरी ओर जटुली
दुनु जाना में भेंट भइल, लागल चटाचटही।
– केंवाड़ी - एक घड़ा में दुरंग पानी।
– अंडा - एक चिरइया चट ओकर दुनु पर।
ओकर खलरा ओदार ओकर मांस मजेदार।
– ईंख - एक जीव असली, ओकरा हाड़ ना पसली।
– जोंक - एक ठो गगरा, ना तोरा से उठे
और ना तोरा बाप से उठे।
– कुंआ - एक थाल मोती से भरल
सबके सिर पर ओंधा धरल
चारों ओर ऊ थाली फिरे
मोती ओसे एक न गिरे।
– आकाश - एक नगर में दू बादशाह, दूनू छतर धरे,
रे सखि! हमें बताव कइसे राज करें।
– स्तन - एक नार देखी मैं न्यारी
अन्दर कपड़ा ऊपर उघारी।
अपने काम की कड़ी सेयानी
और के हाथ से पीवे पानी।
– दावात - एक नारी अचरज करे,
साँप मारि पिंजड़ा में धरे।
– दीपक - एके नारी, पुरुष बा ढेर
सबसे मिले एक ही बेर।
– कंघी - एक नारी बहुरंगी, घर से बाहर निकली नंगी।
ओ नारी के इहे सवाल, नीचा नथुनी मुंह पर धार।
– तलवार - एक पहलवान के नकवे टेढ।
– चना - एक पेड़ कसमीरा कुछ लौंग फरे कुछ जीरा
कुछ काकरि कुछ खीरा।
– महुआ और कोइना - एक पहलवान के पेटवे काटल।
– गेहूँ - एक बाटे फेंड़, ओपर ओखरि अनेक।
– कटहल का पेड़ - एक बिता के फेड़, सवा हाथ के पाता।
– चाक और कीली - एक मुरगी चलते-चलते थकी गैल।
छूरी से टाँग काटिले त फेरु चले लगलै।
– पेन्सिल - एक लड़की अइसन, फुन्सी के बाटे फैसन।
– कटहल - एक समय में ऐसा देखा बन्दर दूहे गाय,
छाली काट जंगल में फेंके दूध बनारस जाय।
– पासी, ताड़ और (ताड़ी) - ऐंठत कान तुरंते रोवे
ओकर आँसू प्यास बुझावे।
– पानी का नल - ऐसा सबद कहाँ कोई ज्ञानी
यूंची देख डंटा फुफुवानी।
दोनों हाथ से मसोर के धरे
जे-जे मन में आवे से से करे।
– कुम्हार, चाक, मिट्टी का पिंड - कटोरा पर कटोरा, बेटा बाप से भी गोरा।
– नारियल - काजर अस कजरारी बेटी, इंगुर के सिंगार।
बइठल बाटी पतरी डाढ़ी देखत बा संसार।
– जामुन - करिया कमर उजर सूत, जे ना बूझे मेहरी के पूत।
– भैंस और उसका दूध - करिया बिलार ओकर हरियर पोंछ।
– बैंगन - कारा, पर कौआ नहीं, उठब पर हौवा नहीं
नाक से करता अपना काम, तुम बताओ उसका नाम।
– हाथी - कारी गाय पाछाँ में बाँधल।
– स्त्रियों का जूड़ा - किस में एक अनोखी बात
मुख कडुआ आ मीठी बात।
– खीरा - कोठी पर बोले कॅगना, झलक जाय अंगना।
– दीपक - कौन सहर आगी लागल कौन सहर सुंआ।
चलू सखी देखन, सोर करे कुंआ।
– हुक्का - खड़ी है, मनभरी है, लाख मोती जड़ी है
राजा जी के बाग में दोसाला ओढ़े पड़ी है।
– मकई का बाल - खर खाये बढ़ जाय, पानी पीए मर जाय।
– आग - खेत में उपजे सब केहू खाय।
घर में उपजे घर बाहि जाय।
– फूट - गर्मी में सुख पहुंचावेला और जाड़ में आग।
बिना पाँव के चले बराबर, वाह रे सुंदर भाग।
– पंखा - गोर बदन मुख साँवला बसे नदी के तीर।
पहिले रण में वह लड़े एक नाम दोउ वीर।
– दोनों स्तन - घर घर भैंसी नाथल बा।
– तराजू - घर में बुढ़वा लटकल बा।
– ताला - चउकी पर बन बइठल रानी,
सिर पर आग बदन पर पानी।
– मोमबत्ती - चढ़ल नाक पर, धइलस कान,
बोलऽ जल्दी कउन जवान।
– चश्मा - चांद-सुरुज में भइल लड़ाई, सुकवा आवे तबे छोड़ाइ।
– ताला-चाभी - चुम्मा लेते चिचिआ के उठे।
– शंख बजाना - चौंसठ कनिया, चौंसठ भतार
चार चवन्नी, एक भतार।
– रुपया - छाती फाटल, कपारे घाव,
नीमन घर में ओकर ठाँव।
– शंख - छाती से छाती लड़े, लड़े छेद से छेद
घिसिर-घिसिर कइला से निकले चीज सफेद।
– जाँते में आटा पीसना - छोटकी बबुनिया के नकबे टेढ़।
– चना - छोटी चुकीबाड़े फाटल उनकर पेट
गरीबन के के पूछो, राजा खाले ढेर।
– गेँहू - जंगल उपजे हाट बिकाय, हिंदू तुरुक सभे मिलि खाय
नाम लेत में आवे हँसी आधा गदहा आधा खसी।
– खरबूजा - जब परदेसी घर में अइलन।
बाँधल आ लटकावल गइलन।
– परदा - जाए में दुःख, समाए में सुख।
– चूड़ी पहनना - जे कीनल से पेन्हल ना, जे पेन्हल से देखल ना
– कफन - झांझर कुइयाँ रतन के वारी
बुझिवे त बूझ नत देइब गारी
– चलनी - तनी गो छउड़ी बड़ कहरी,
तनी सा टुंग देहनी सब जहरी
– मिरचाई - तर मेहा ऊपर खलिहान, तापर खेती करत किसान
– कुम्हार का चाक - तहरा माई के पेट फूले, हमहीं दबाई ले।
– रोटी पकाना - तोरा अँगना गइली त बिना मंगले देलू।
– पीढ़ा - तोरा घर गइली खोलि के बइठलीं
– जूता - थप्पर मारते छींक बोलावे, रास्ते-पैरे भीख मॅगावे।
– खैनी (सुरती) - दिन में सोए रात में रोए जेतना रोवे ओतना खोवे।
– मोमबत्ती - दूध के जान, दही के बच्चा, सब कोई खाला ओकरा के कच्चा
– मक्खन या नेउन - देखे में गोल-गोल, पीतर के लोटा, जेना बूझे से बन्दरे के बेटा।
– बेल - धूप लगे पर सूखे नाहीं, छाँह लगे कुम्हिलाय।
तुमसे पूछो ए सखी, पवन लगे मरि जाय।
– पसीना - नाक पर चढ़े आ पकड़े कान बतावऽ ये बाबू ई कवन जवान
– चश्मा - नाथल थरिया घर-घर घूमे।
– तराजू - नाव करे ढक-ढक नदी घोंघिआय,
केवला के पात पर सोना उतराय।
– मक्खन - नीचे पतला ऊपर चौड़ा, ई मत जानऽ नारी हऽ।
टाँग उठाके डाल दिया, ई मत जानऽ गारी हऽ
– पाजामा - पंख बिना उड़ रहल अकेला
बाँध गला में डोर।
बतलाव चिरई के नाम
जे नापे अम्बर के छोर।
– पतंग - पंडित! पंडित! बूझऽ बात
रात भर में तीनों जनमें
बाप, बेटा अवरु नात।
– दही, घी, मट्ठा - पान अइसन पातर, चाँद अइसन चकता।
– पापड़ - पीअर सुराही लम्बा घेट मोती भरल ओकर पेट
– अनार - पैर बिना ऊपर चढ़े, बिन मुख भोजन खाय,
एक अचम्भा देखल भाई, जल पीए मरि जाय।
– आग - फरे ना फुलाय, भर ढाका तुराय।
– पान-पत्ता - फाटल पेट दरिद्री नाम, उत्तम घर में वाको ठाम,
श्री को अनुज, विष्णु को सारो, पंडित होय तऽ अरथ बिवारो
– शंख - बन में रहली, बन फल खइली
बन में भइल बियाह।
अइसन पुरुष का पाले परली
पीठी लागल सेवार।
.- नाव - बन में बछरू डंकरत बा, केहू घरे ना
– शेर - वन में ओखर टाँगल बा।
– कटहल का फल - बन में गोजी फेंकल बा। बन में बरहा बिगल बा।
– साप - बाट चलत मोर अँचरा गहे
मोरे सुने न आपन कहे
अस एहवात का झगड़ा छाँटा
ऐ सखी साजन, ना सखी काँटा।
बाप गरम बेटा ठंड, पोता चिक्कन छह-छह।
– दूध, दही एवं घी - बीच ताल में बसे तिवारी
बे कुंजी के लगे किवाड़ी।
– घोंघा - बोलवला पर बोले ना, मरला पर उड़े।
– फुटबाल - बीसों के सिर कट गइल,
ना मुअल ना खून भइल।
– नाखून - भर बित्ता के डालीले, सैउसे देह हिलाइले।
– दातौन - मउगी करे तीले तीले, मर्दा करे तीन बेर।
– काजल - मथनपुर के राजा चिटुकपुर धरइले।
तरहथीपुर बिचार भइल नोहरपुर मरइले।
– जूआँ - माथ पर मोटरी, चूतड़ में लकड़ी।
– चूल्हा - राजा के बेटा नबाबे के नाती, सौ गज कपड़ा के बान्हेला गाँती।
– प्याज - लाल गाय खर खाय, पानी पीए मर जाए।
– आग - लाल ढकना, टहकार ठकना खोल खिड़की पहुंचाव पटना।
– लेटर बॉक्स - सगरे गाँव में एके ढेला
– सूरज - सब कोई चल गइल, बुढ़वा लटक गइल।
– ताला बन्द करना। - सांझ के पैदा भइल, अधरतिया जवान
होत सबेरा मर गइल, घरवा भइल मसान।
– ओस - सिर पर आग बदन में पानी।
– हुक्का - सोने के सामपियारी, सोने के पिंजड़ा उड़ गइली सामपियारी, पड़ल बाटे पिंजड़ा
– प्राण - हती बुती गाजी मियाँ, लम्बा बा पोंछ भागल जाले गाजी मियाँ, खदेरेला पोंछ
– सूई धागा - हाथ गोड़ हइए ना पीठि पर पाँच गो अंगुरी
– चिपरी
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