परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, रउवा सब के सोझा भोजपुरी लोकोक्ति ओकर अरथ के दुसरका भाग, पढ़ीं आ शेयर करीं आ आपन भोजपुरी भाषा के आगे बढ़ाई आ भोजपुरी के ऑनलाइन के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगन तक पहुचावल जाव।
भोजपुरी लोकोक्ति गॉव में जनमल। गाँव से धीरे-धीरे शहर में आइल। गाँव वाला लोग के बोलचाल में लोकोक्ति यह तरह से घुलल मिलल बा कि ओह लोगके बोलचाल से लोकोक्ति के निकालल सम्भव नइखे।
एही आँख से भादो खेपब
जरूरत के मोतबिक साधना ना भइल के तरफ इशारा बाटे। भादो महीना किसान खातिर बड़ा कष्टदायक होला। घर में भोजन नइखे, घर चुवता, लवना आ चारा के बडा कठिनाई बा। एह हालत में कमजोर आँख वाला किसान कइसे भादो खेपी |
कँकरी खाके भेंटी तीत
स्वर्थी आदमी पर आक्षेप बाटे। ऊ लोग काम काम बन गइला पर वोही आदमी के भला-बुरा कहे लागेला जेकरा से काम बनल रहेला, कँकरी खात बेर पूरा कँकरी चट कर जाय आ कहल शुरू करे कि कँकरी के ऊपर वाला भाग बहुत तीत रहल ह। कहल जाला- “कैसी आँखे फेर लीं मतलब निकल जाने के बाद “।
कठया मारल
कबो कबो आदमी के कठया मार देला। यानी आदमी ना सोच पावेला कि का करीं का ना करीं, काठ जइसन निष्क्रिय हो जाला। अइसन स्थिति तब उत्पन्न होला जब आदमी कवनो अप्रत्याशित प्रतिकूल खबर पावेला।
कडुआ-कडुआ थू थू मीठ मीठ गप-गप
मन के मोताबिक काम सभके खुश करेला। बाकिर मन के खिलाफ थोरको शह्य ना होला। मीठ वस्तु प्रसन्नता से ग्रहण कइल जाला, बाकिर कडुआ चीझ पर नाक-भौं सिकोरेला।
कदुआ पर सितुहा चोख
कमजोर के सभे सतावेला। कदु आ पर, सितुहा और तेज हो जाला। छूड़ी के तुलना में सितुहा त चोख होला ना बाकिर कदुआ जइसन कमजोर आ मोलायम छिलका वाला चीज़ पर ऊ आपन रोब जमावेला। भाव बा कि कमजोर पर अबरो दूबर आपन रोब जमावे लगेला।
कबो धने पर धना, कबो मुठठी भर चना
खर्चीला आदमी कवनो मद में एतना अधिक खरच कर देला कि ओकरा दोसरा मद में अधिक कटौती करे के परेला। कम आमदनी वाला आदमी जदी मिंतव्ययिता के धेयान ना राखे त ओह आदमी का मुठठी भर चना पर गुजर करेके परेला। जीवन में परिस्थिति बराबर एक जइसन ना रहे। जदी आदमी सोच समझ के ना चले आ बेतहाशा खर्च करत चल जाव त ओकरा मुठठी भर चना पर गुजर करे के नौबत आ जाई।
कमजोर कसाई ना बकसेला ना जल्दी जाने मारेला
कमजोर शासक कुशलता पूर्वक ना शासन करेला ना गद्दी के मोह छोड़ेला। अकुशल शासक के अधीन शासित के स्थिति कमजोर कसाई जइसन हो जाला जे ना जल्दी से बकरा के जबह कर सके ना बकरा के छोड़ सके।
करिया अछर भइँस बराबर
अक्षर करिया होला आ भइँस भी करिया होले। अब जेकरा अक्षर के थोरको ज्ञान नइखे ओकरा खातिर त अक्षर भइँसे जइसन बाटे।
करिया बाभन गोर चमार एक साथ ना उतरी पार
बाभन के करिया आ चमार के गोर भइल वर्णशंकर भइला के ओर संकेत बा। अइसन लोग से पाला परला पर केहू जीत नइखे सकत। विलक्षण वस्तु पर एकाएक भरोसा ना करे के चाहीं।
कलवार के लरिका भूखे मुएे लोग कहे बउराइल बा
केहू के वास्तविक स्थिति के ना बुझल। जइसे कलवार के लइका भूख से छपटात होखे आ लोग कहे कि पीके बउराइल बाटे। बिना सही स्थिति के जानले लोग अनुमान से सत्य के पकड़े के चाहेला बाकिर अनुमान से यथार्थ के ज्ञान ना होला।
कहँवा गरजल, कहँवा बरिसल
झगड़ा दोसरा के बिच भइल आ तीसरा का ओकर फल भोगे के परल। जइसे बदरी कहीं गरजेला आ बरिसेला कहीं |
कहाँ राजा भोज कहाँ भोजवा तेली
नाँव से केहू बड़ा ना होला। गुण से बड़ा होला। भोज नाँव के तेली राजा भोज के बराबरी नइखे कर सकत। भोजवा से उपेक्षा मालूम पड़ता।
कह के सुनाई कि आँखी देखाई
प्रत्यक्ष देखे वाला के कहके सुनावला के जरूरत ना होला। जइसे हाथ कँगन के आरसी काहे खातिर
ध्यान दीं : इ भोजपुरी लोकोक्ति शारदानन्द प्रसाद जी के लिखल किताब नाच ना जाने ऑंगनवे टेढ़ से लीहल बा
भोजपुरी मुहावरा
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दुसरका भाग
तिसरका भाग
चउथा भाग