परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आई पढ़ल जाव गणपति सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी टूट गईल कंठी माला, रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा गणपति सिंह जी के लिखल भोजपुरी कहानी अच्छा लागल त शेयर आ लाइक जरूर करी।
आज इतवार रहे। खा पीके आराम करत रनी हां। अचानक एगो फोन आईल हां। देखनी हs कि इ हमार एगो खास करीबी मने रिश्ता के भतीजा के फोन रहे। बात शुरू कइनी हs। सर समाचार भईल हs। बात बतकही के बीचे ऊ कहलस कि चाचा हम छठा महिना में बिआह करतानी।
हमार कान, आंख मुंह खुल ले रहे गइल हs। हमरा लागल हs कि हम कवनो सपना देखतानी का भाई। पट से पहिले आपना के चिंऊंटी कटनी ह। लागल हs कि हम होश में बानी।
फोन कान मे सटवले हम बितल समय में पहुँच गइनी हs।
एगो समय रहे कि ऊ हरमेशा कहे कि चाचा हम बिआह शादी के फेरा में नानू परब। ई सब बेकार के झमेला हs। हम समाज सेवा करब आ संत महात्मा बनब। आपना गरदन मे हमेशा तुलसी माला आ कबो रूद्राक्ष पहिरे। कबो कबो ओशो महराज के कहानी सुनावे। ऊ एगो माजल कलाकार भी रहे। जब बांसुरी मुंह से सटा के आंख मुंदी के जब बजावे लागे तs आछा आछा लोग दांते अंगुरी कांटे। चित्रकारी भी मस्त बनावे। सब कुछ ओकर ठीक रहे।
बिआह के बात पर ऊ भड़क जाव। ओईसे ऊ हमरा से उमिर में तो बड़ रहे बाकिर रिश्ता के चलते हम बहुते समझाई। बाकिर उ टस से मस ना होखे। ओकर सीधा कहनाम रहे कि हम सेवा भावना खातिर संत बनेब तs बनेब। एह दुनिया दारी में ना पड़ेब।
तले हमर मलकिनी हमरा के हिला के कहली हs कि केकरा से बतिआत बानी। ओ ने से हलो हलो होता आ रउआ चुपचाप कान मे फोन सटवले का सोचत बानी। हमार धेयान टूटल हs आ हम कहनी कि ना कुछो। कुछ मन पड़ गइल हs। सोचे लगनी हs।
फिरू हमहूं एने से हलो कह के बतिआवे के शुरू कइनी हs आ कहनी हs कि बबुआ बहुते नीक सोचल हs। जवानी में तs जोश में कुछ ना बुझाला बाकिर बुढ़ारी में बुझियो के आदमी का करी। बहुत नीमन बात बा। माई के तोहरा सेवा करेला एगो कनिआ के आईल जरूरी रहल हs। चल देरे से सही बाकिर आछा सोचल हs। अब तs कंठी माला टूट गइल नूं। बिआह कके फेरू सधुअइब नानू। भतिजवा हंस के कहता कि ना चाचा अब ऊ बात नइखे। बस तहरा लोग के आशिरवाद चाहीं।
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