अब ना चलाईब | भोजपुरी कहानी | संजीव कुमार जी

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परनाम ! स्वागत बा राउर जोगीरा डॉट कॉम प, आयीं पढ़ल जाव संजीव कुमार जी के लिखल भोजपुरी कहानी अब ना चलाईब, रउवा सब से निहोरा बा कि पढ़ला के बाद आपन राय जरूर दीं, अगर रउवा संजीव कुमार जी के लिखल भोजपुरी कहानी अच्छा लागल त शेयर जरूर करी।

“का बाबु, तहनी के कहिया होश आई, ई लहरिया कट मोटरसायकल चलावल छूटी की ना…” खिसिया के सोनुआ के बाबुजी कहत रहलन। संजीव मास्टर साहब ओहि डगरिया से जात रहनी। तनी रुक के सुन के कहनी की घबरा मत, जवान लइकन बाड़न सन, समझ बढ़ी तब ओकनी के विचारों भी बढ़ी। घबरा मत सोनुआ के बाबुजी। हम कभी ओकनी के समझा देहब। हीरालाल और मोतीलाल दुनु पकिया यार.. आ एगो नया यार सोनुआ के बनवले रहे लो। इहे देख के सोनुआ के बाबुजी खिसियास की 15 साल के सब बाड़न सन, कहि कुछऊ हो जाव तब।

संजीव कुमार जी
संजीव कुमार जी

एक दिन संजीव सर स्कुलिया में आवत रहनी, तले तीनो जाना भेटा गइले। संजीव सर तीनो जाना के बुला के समझवनी की देख लोग, 18 साल के बाद गाड़ी चलावे के नियम बा, पहिले ड्राइविंग के लाइसेंस बनवा ल, तब गाड़ी चलावे के बा, ना त बिना लाइसेंस के गाड़ी चलइब त 5000 रुपया फाइन बा, 18 साल से कम के लोग गाड़ी चलाई त 10000 फाइन बा, तीन आदमी बैठ के जाइ तबो फाइन बा,बिना हेलमेट के 1000 फाइन बा, बिना इन्सुरेंस के 2000 फाइन बा और 18 साल से कम के लोग गाड़ी चलाई त ओकर बाबुजी के भी जेल होइ, फाइन होइ तउन अलगे से लागी। लेकिन समझावल के कौनो असर ना भइल। तीनु एक दूसरा के देखल सन, हेने से सुनलन सन, आ होने से निकलल सन। तीनु एक नम्बर के बेफाट। केहु समझावे, कौनो असर ना होखे। एक दिन के बात रहे। तीनु यार लोग के मन भइल की तनी टाउन घुमल जाव। बस आदत ध लिहल लो।

आदतवा त बिगड़ले रहे। एक दिन तीनु यार एगो मोटरसाईकल पर सवार होके, एन एच पर चल दिहल लोग, आगे चेकिंग होखत रहे,अब फस गईल लोग। गाड़ी के स्पीड एकदम स्लो हो गइल। पुलिस के देख के हाथ कापे लागल, बुझाव की हैंडिल छुट जाइ। डरे बुझाव की शरीर मे कुछउ नइखे। सब ढिठाई पुलिस के देख के गोल हो गइल रहे। बुझाव की संजीव सर के बतिया मान लेले रहतीसन त आज ना पकड़ई ति सन।

अब हीरा तनी दिमाग के तेज रहलस। अब हीरा दिमाग लगवले, मुड़ी खजुआवे लगले, अब मास्टर साहब लोग के ज्ञान के बात दिमाग मे घुमे लागल, तले त पुलिस जी हाथ देहलन। हिरालालवा दिमाग के बड़ी तेज रहे. मोतीलाल तनी पातर, बेमरियाह खानी लागस, सोनुआ पीछे बईठल रहे।

हीरा दिमाग लगा ही लिहलन। हीरा, कहलन मोती से, सुन तु बीमार बाड़, जल्दी से बीमार के एक्टिंग करल शुरू कर द, सोनू ते मोती के दुनु हाथ पकड़ले रहिए, की ई बीमार बाड़न…. पूरा बढ़िया से नौटनकी करके बा, कि पुलिस जी के भी शक ना होखे। पुलिस जी के हाथ देहला के बाद,गाड़ी रोक दिहलन। “ए तुम तीनो, कहा जा रहा है और वह भी 18 साल के कम उम्र का होकर गाड़ी चला रहा है, पकड़ो पकड़ो,गाड़ी साइड करो, जल्दी जल्दी उतरो..”
“साहब परनाम, बीच वाला भाई बहुत बीमार बाड़न, इंकरा जल्दी से हॉस्पिटल ले जाए के बा” हीरा पुलिस जी से कहलन। मोती पूरा कराहे लगलन, जैसे बुझाव की साचो के बड़ी बीमार बाड़न, पीछे से सोनुआ खुबे जोर से मोती के पकड़ले रहे।

दरोगा जी मोती के हाथ से छुवे जात बाड़न, छुवते छुवते मोती चिलाय लगलन, बाप रे बाप बड़ी दर्द बा, जल्दी से डॉक्टर किहा ले चल सन, बाप रे बाप जल्दी चल सन…।
अब पुलिस जी के बुझाइल की एकनि के हॉस्पिटल भेजल जरूरी बा। डरे के मारे तीनो जाना के हालत पातर हो गइल रहे, कि झूठ पकडाइल की तीनो जाना जेल में, मोटर साईकल पकड़ाई तउन अलगे बा, औरि फाइन लागी तउन अलगे बा। बाप रे बाबुजी मरिहन औरि डटीहन उ अलगे बा। पुलिस से पहिलका हालि भेंट भइल रहे। पुलिस के मार के बारे में गांव के लोग कई हालि बतवले रहे लो…,ई सब बात सोच के तीनों जाना के हालत खराब भ गईल रहे।

तब सिपाही जी कहे ठीक है जाओ इसको जल्दी से दिखाकर लाओ….। उधर से आओ फिर सब कागज चेक करेंगे। तीनो जना फुर से गाड़ी भगावल लो। कुछ आगे गाड़ी वालालोग खड़ा रहे, सब लोग में कुछ लोग पकडाइल रहे। आपस मे बात करत रहे लो कि हम हेतना फाइन देहनी ह, त हम हेतना, बाप रे बाप गाड़ी के सब कागज ले के चले के चाही, ओहिजा से गवई रोड ध के घरे आइल लो। आ अपना अपना बाबुजी के आगे कान पकड़ के माफी मांगल लो, की फिर हमनी अइसन गलती ना करब सन।

अब 18 साल के भइला के बाद लाइसेंस बनवा के ही गाड़ी चलाइब। औरि हमेशा नियम के पालन करब। हीरा, मोती औरि सोनु मन ही मन पुलिस जी के औरि मास्टर साहब जी के धन्यवाद दिहल लोग की समझ बढ़ावे खातिर रउआ दुनु के धन्यवाद बा। समंझ बढ़े त बढ़े विचार। अब तीनो यार मोटरसायकल देख के मूड़ जाव लो, मन ही मन कहत जाव लो कि अब 18 वर्ष के बाद, लाइसेंस के संगे, हेलमेट लगा के, जूता मोजा पहिर के, सब कागज संगे ले के, नियमानुसार ही मोटरसायकल चलाईब।

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