झुरू झुरू बह तरूए फागुन के हावा,
सईंया ई त कह।
कहिया ले गवना करईब हमार,
सईंया ई त कह।
संगही के सखी सभ भईली रसगुला,
अपना पिया के गोदी खेले रोज झुला,
हमरा के कहिया ले गोदी झुलईब
सईंया ई त कह,
कहिया ले—————-ई त कह।
हमरा त घरे धनी नाहीं भौजाई,
अईसन बात हम कहवां बताई,
माई से कहि के हम दिन भेजवाईब,
धनी धीर धर,
होलीए के दिन हम पलंग डंसाईब,
धनी धीर धर,
माई से कहि———धनी धीर धर।
फगुए के दिन तोहार गवना कराईब,
ओही दिन अंगना में फगुआ गवाईब,
माई के नाति खातिर पूजन कराईब,
धनी धीर धर,
लगले में मईहर के दर्शन कराईब,
धनी धीर धर,
माई से कहि———धनी धीर धर।
झुरू झुरू बह तरूए फागुन के हावा,
सईंया ई त कह।
कहिया ले गवना करईब हमार,
सईंया ई त कह।
देवेन्द्र कुमार राय
(ग्राम-जमुआँव, पीरो, भोजपुर, बिहार)