फगुआ में देख अबीर आ गुलाल
हम का का कहीं,
रंग में रंगाईल नाचता सउंसे गांव
नाव केकर केकर लीही।
लचके कमर देख बुढ़वा जवान के,
सभे भुलाईल बा अपना गुमान के,
भोजपुर के अईन रुप मिली ना कहीं,
नाव केकर केकर लीही,
रंग में————–सउंसे गांव ।टेक।
भउजी के बहीनी उठवले बाडी़ हाला,
बिना रंगईले केहु एहीजा से ना जाला,
सभके रंगाईल आजु खाता बही,
नाव केकर केकर लीहीं,
रंग में —————-सउंसे गांव ।टेक।
रंग देख काकावा चोन्हा में छरक जाले,
धोती सम्हारत झुठो के भड़क जाले,
होलिया के बात कवन कवन कहीं,
नाव केकर केकर लीहीं,
रंग में रंगाईल नाचता सउंसे गांव
नाव केकर केकर लीहीं।
फगुआ में देख के रंग आ गुलाल
हम का का कहीं ।
देवेन्द्र कुमार राय
(ग्राम-जमुआँव, पीरो, भोजपुर, बिहार )