फागुन में सखी फागुन में
सईंया हमरा के कईले लाचार
ए सखी फागुन में ।
केनहु से आवे धरे भर अंकवारी
आव तुं नियरा मिलीं जा पारा पारी,
कतनो पोल्हाई उ बात न माने
आठो पहर सईंया लुटे बहार,
ए सखी फागुन में
सईंया———कईले लाचार ।
बाएं गाल प हरियर डाले
दहिना गाल प लाल,
सउंसे बदन के रंग से रंगले
देले सिंगार बिगार,
ए सखी फागुन में
सईंया————-कईले लाचार ।
फागुन फाग के रंग रंगईले
प्रेम के रंग में छंवडा़ भईले,
फागुन में सईंया भईले कन्हैया
दिन अछईत देले चोलिया लासार,
ए सखी फागचन में
सईंया————-कईले लाचार ।
सासु जी के बेटा देख अंगना लजाले
फगुआ के पुआ बिना हमरा ना खाले,
फागुन के रंग अईसन चढ़ल बा
कहे आव लुटीं जा मिलिके बहार,
ए सखी फागुन में
सईंया———–कईले लाचार।
कबहीं लुकाई हम कबहुं पराई
हुलुकी हुलुकी हम घरवा में जाईं,
कइके इशारा सईंया ई कहले
ई त हउवे प्रेम के फुहार,
ए सखी फागुन में
सईंया हमरा के कईले लाचार ।