भोजपुरी के श्लाकापुरुष पाण्डेय कपिल जी के एगो ग़ज़ल 1977 ई में आईल रहे –
जमाना के आंधी केतना प्रासंगिक बा रउरो देखीं —-
जेने देखि ओने बस हमहीं हम बा
केहू से ना केहू तनिको सा कम बा
करे बकबास जेकरा मन करे जे
ना हमरा इचको भार केहू के गम बा
जमाना के बहुत बा तेज आंधी
तनी रुक के चले, केकरा में दम बा
ए लहरा में सभे लहरा रहल बा
भले ना बांच सकल कवनो करम बा
सभे एही के जिनगी मान लेता
ना खुल पावल ए जिनगी के भरम बा
भरम के सब केहू भरमा रहल बा
मगर टूटत ना केहू के भरम बा…
आभार: संतोष पटेल जी
रउवा खातिर:
भोजपुरी मुहावरा आउर कहाउत
देहाती गारी आ ओरहन
भोजपुरी शब्द के उल्टा अर्थ वाला शब्द