माई आ कागावा प कवि ह्रदयानन्द विशाल जी के लिखल दू गो भोजपुरी गीत

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माई तु कवन कवन दुख झेललु, माई के गुन गावत कवि ह्रदयानन्द विशाल जी

ताहार नेकी नाही भुलाईब
गुनवा जियब तबले गाईब
हमके दुनिया देखलवलु लालटेन से
जिनगी जियतानी माई तहरे देन से
जिनगी….

बोरा पर सुतवलु आपना कोरा के लइका
पुआरा के चटाई बनल कमरा
नुन पानी घोरल रोटी भात मड़गिलवा
सगरो इयाद बाटे हमरा

कटिया पिटिया बन बनिहारी
फुटहा बर्तन पेवन वाला सार
देखि अशुवा नाही ठहरे बरसे नैन से
जिनगी जियतानी माई तहरे देन से
जिनगी….

आपना ना खेती बारी कइले के आसरा
मनलु ना माई तबो हार हो
एतना के बाद भी तु बचवन के पोसलु
जिये लायेक दिहलु संस्कार हो

कहले ह्रदया शास्त्री बिरेन्दर
तहरे सुरत बसल बा अंदर
तहरे कोखी जनम लिहीं हम फेन से
जिनगी जियतानी माई तहरे देन से
जिनगी….

ए कागावा कहअ

कागावा कहअ
काहाँ जाता जागावा
ए का….
कुशल छेम सब साँच बतावअ
बइठअ ना आ के लागावा
कागावा….

आपन वाला सहेजत नइखे
आन के घर मे ताके
पर परपंच मे माथा फोरे
नाही आपना मे कबो झाँके
मानव तन के कदर भुलाइल
बुझे नाही आभागावा
कागावा….

कुटिल कुभाव कुसंगति ब्यापे
कुमति कुठाँवे जाता
छल चतुराई डाह के डेरा
मन मे मईल बटोराता
धन पराया नारि पराई
लेके पराईल ठागावा
कागावा….

सोच घिनावना चाल डारावना
सब्द बाण बरसावे
शाह अनील हरेन्दर सरमा
राम नाम नाही भावे
ह्रदयानन्द विशाल कहेले
नरक कुंड बा आगावा
कागावा….

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