भोजपुरी गीत-रचना के साहित्यिक संस्कार जवना गीतकारन का कलम से सुलभ होत रहल बा, ओह में रिपुञ्जय निशांत अन्यतम रहल बाड़े। अइसन विशिष्ट गीतकार के चुनल इक्यावन गीतन के ई पहिलका भोजपुरी गीत संग्रह आवे याद बसेरा भोजपुरी संसथान ग्रंथमाला के अठहत्तरवाँ ग्रन्थ-पुष्प का रूप में प्रस्तुत करत हमरा गौरव के बोध आ हुल्लास के अनुभूति हो रहल बा।
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रिपुञ्जय निशान्त के रसात्मक अनुभूति, बौधिक संस्कार से सयंमित होक भी, आपण मूलाधार अक्षुण्णं रखले बा आ अपना अभिव्यक्ति के सहजता से भोजपुरी गीत के उदात्त धरातल देबे में सफल भइल बा। ग्राम्य संस्कृति, आंचलिक भाव-बोध, प्राकृतिक सौन्दर्य आ ओकरा मानवीय लगाव उनका संवेदनशील आ उदात्त कवी-ह्रदय में भावात्मक अनुराग भाव के जे लहरा उठावत रहल बा ऊ उनका गीतन में बहुत मार्मिकता से अभियञ्चित भइल बा।
रिपुञ्जय निशान्त के व्यंजक पद-विन्यास,लयात्मक छंद योजना आ सुविचारित विम्ब-विधान उनका शिल्प-सामर्थ्य ले प्रमाण बा। भाव आ शिल्प के समंजित संतुलन उनका रचना-कौशल के परिचायक बा।
आवे याद बसेरा के प्रकाशन पर रिपुञ्जय निशान्त के हार्दिक बधाई देते हम आदरणीय भाई बच्चू पाण्डेय जी के प्रति श्रद्धापूर्वक आभार व्यक्त करत बानी, जे एह पुस्तक के ‘प्रस्तवना’ में एह कविके गीती-प्रतिभा के सम्यक रूप से उजागर करत उनका सारस्वत साधना के अपना शुभशंसा से आप्यायित कइले बाड़े।