बिधना कइसे के मतिया मरा गइले
अब तऽ घरही में पियवा भुला गइले।
पढ़ल-लिखल पिया बाड़े बिदमान हो
बइठल बेकार बाड़े नाहीं कवनो काम हो
हमरा मनवा के सरधा सब मेटा गइले
अब तऽ…………. ।।
सबकर पियवा करेलें खूब काम हो
रोपेया कमाई के बनावे धन-धाम हो
हमरा सोझा सबके गहना गढ़ा गइले
अब तऽ…………… ।।
दिन-रात पिया मोरा जाने काथी गुनेले
सोचि-सोचि कागज पर जाने काथी लिखेले
हमरा जिनगी में अगिया लगा गइले
अब तऽ……………. ।।
अचके में पियवा के भइल बड़ा नाम हो
कविता कहानी गीत छपलें तमाम हो
ओहि में हमरो के अमर बना गइले
अब तऽ पिया मोरा जगवा में छा गइले।।
—डाॅ पवन कुमार