आएँ ?
ई का कहलू बेटी ! “लव मरेज” ?
उहो बिना दहेज़
ना बेटी ना ! …..नाक उतरवा देबू का
तहरा नामे बैंक में लाखो रुपया जमा करले बानी
अनकर खेत पढ़ के घुर्खेल
कई के दखल दखनी
लाख में सोचले बानी बोलावे के बरियात
फल मिठाई के क देम रेलम रेल
कतना दो सपना…. कतना दो बात
जनि कर बेटी हमार कुल स्कीम फेल
कहियो जे घर घूसखोरी के लपेट
हो जाई हमरा जेल
इहो कहे लायक त न रहब
की कूल्ह कुकरम कइनी बेटी के देबे खातिर दहेज़
से जानी करा बेटी अइसन “लव मैरिज”
जऊना में
ना एक पैसा के लेन
न एक पैसा के देन