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मोछि मुरेरत आँखि घुरेरत

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मोछि मुरेरत आँखि घुरेरत पापी के केहु निरेखत नाहीँ।
ताकत बा हमहीँ के सबै, ओकरे ओरियाँ केहु देखत नाहीँ
सासु जेठानी खङी देवरानी, दुसासन के केहु छेकत नाहीँ हे
बिरना हमरे उपरा फटहिउ धोतिया केहु फेँकत नाहीँ
चारि पति मुङिअइलन पँचम् पारथ भी बनी बइठे बेचारु
आन के हाथ से आपन नारी, उधारि लखै चटके नहीँ तारु
अइसे मेँ ना बिसरइह तुहुँ पति देवै प पाण्डव भइले उतारु
कीमत का जनिहैँ एन्हँने मछरी मरलेँ पउलेँ मेहरारु
खीँचु दुसासन जोर लगाइ के टेर हमार जो वो सुनी पइहैँ
भउजी के गोद मेँ होइहैँ
तबहुँ बिसवास हमैँ हरि नाहीँ भुलइहैँ
टेर सुने न अबेर लगे रहिया मेँ कतहुँ थिर ना रहि पइहैँ,
नार नदी सब डाँकत रे,
बनि के हिरना बिरना चलि अइहैँ
जियत बा जबले भयवा, एहसान न आन के माथे चढइबे गाढे मेँ
भारी भरोस हमार ओन्हैँ तजी केके भला गोहरइबै पाँच
पति पर ऐसी गति एहि देश मेँ साँझे आग लगइबे सासुर मेँ सब
कायर बा अब नइहर से बिरना बोलवइबै
नँगी हमेँ सब देखन चाहलेँ घिँची के धोती इहै चरचा बा एक
तोहैँ तजि देश देशन्तर कै ठकुरान इहै ठकचा बा
गाङे मेँ जो बिसरइब हमेँ हरि जा तोहसे हम बोलब
नाहीँ तू बहिनी-बहिनी कहब फेरु नाता कबौँ तोसे जोङब नाहीँ

पूस मेँ ले खिँचङी अइब गठरी सङ जाये पै खोलब
नाहीँ सावन मेँ तोहेँ बाँधे बदै जरइ फेरि ताल मेँ बोरब नाहीँ

तीज परे तिउहार परे बीरना फेरी धोती मँगाउब नाहीँ
आन के आगे भले झुकबे तोहँसे कुछउ फुरमाउब नाहीँ
मउर बँधे भगिना के सिरे इमिली तोहसे घोटवाउब
नाहीँ पूत बियाहन तु चलब हम काजर आँख लगाउब नाहीँ
अइसै करै के तोहेँ रहलेँ हमके काहेँ बहिनी तु बनईल
आजु से टुटल नात हमैँ बहिनी कही के कबहुँ ना बोलइह
हम तोहके मुहँ नाहीँ देखाइब जा तुहऊँ हमकै ना देखईह चक्र
सुदर्शन शँख गदा तिनहुँ के अँचार नवाई के खईह.

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