रन से बन ले अमर गगन में,
गुंजत इहे कहानी बा।
एह सुराज के ताज पहिलका,
कुंवर सिंह बलिदानी बा।
जेकर बलि बिरथा ना भारत,
माई फिर महरानी बा।
रंग तिरंगा बीच केशरिया,
लहरत अमर निशानी बा।
लहू लेपले लाल सुरूज ई,
ढ़ाल जेकर मरदानी बा।
जेकरा जस के हँस- हँस हरदम,
चन लुटावत चानी बा।
खड़ा हिमालय छाती तनले,
आन जेकर अभिमानी बा।
धहरत रोज समुन्दर अन्दर,
जेकर जोस तूफानी बा।
धरती में बा खून-पसेना,
चल पवन मस्तानी बा।
तेगा-गरज बज्जर बदरी में,
बिजली खड़ग पुरानी बा।
महामाया के रथ ई लप्प-लप्प,
तरकस तीर कमानी बा।
जेकरा भुजके बल से अब ले,
गंगा बीच रवानी बा।