एह पागल मन के गहराई…
जे दूर रहे, उ पास रहल
हर दम ओकरे,एहसास रहल
दू जिस्म रहे, एक साँस रहल
होठवा पे अइसन,प्यास रहल
जे पास बा, उ खास ना
ओकरा खातिर,एहसास ना
उ प्यार करे, फिर भी बात ना
ओकर बोली, बरदास ना
उ चली जाई, फिर याद आई
अंखिया फिर, आशु छलकाई
बितल बतिया, फिर दोहराई
के समझत बा, के समझाई
एह पागल मन के गहराई…
‘प्रवीण’
रउवा खातिर:
भोजपुरी मुहावरा आउर कहाउत
भोजपुरी शब्द के उल्टा अर्थ वाला शब्द
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : पहिलका दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : दुसरका दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : तिसरका दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : चउथा दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : पांचवा दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : छठवा दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : सातवा दिन
कइसे भोजपुरी सिखल जाव : आठवाँ दिन
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